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पॉल्यूशन में फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए क्या करें? डॉक्टर ने आसान तरीके बता दिए

दिल्ली, गाज़ियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा सहित कई शहरों में हवा की क्वालिटी very poor है. यानी बहुत खराब. और ये तो सबको पता है, खराब हवा का सीधा असर आपके फेफड़ों पर पड़ता है. ऐसे में फेफड़ों को बचाने का तरीका डॉक्टर से जानिए.

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5 things you must eat for healthy lungs
खराब हवा का सीधा असर आपके फेफड़ों पर पड़ता है.
5 नवंबर 2025 (Published: 02:47 PM IST)
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क्या दिल्ली, क्या नोएडा. इन दिनों पूरे देश की हवा खराब है. सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के डेटा के मुताबिक, हरियाणा के धारुहेड़ा और रोहतक का AQI सीवियर कैटेगरी में है. AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स. ये एक पैमाना है, जो हवा की क्वालिटी बताता है. अगर AQI 0 से 100 के बीच है तो हवा अच्छी मानी जाती है. फिर जैसे-जैसे AQI का लेवल बढ़ता है, हवा बिगड़ने लगती है. अगर AQI 400 पार पहुंच जाए, तो इसे बहुत ही गंभीर माना जाता है.

बागपत, बहादुरगढ़, भिवाड़ी, दिल्ली, गाज़ियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जींद और सोनीपत जैसी जगहों पर हवा की क्वालिटी very poor है. यानी बहुत खराब. और ये तो सबको पता है, खराब हवा का सीधा असर आपके फेफड़ों पर पड़ता है.

Air pollution in India linked to millions of deaths | Harvard T.H. Chan  School of Public Health
बुरा हाल है!

जो लोग यहां रहते हैं या काम करते हैं, वो सबकुछ छोड़-छाड़कर जा तो नहीं सकते. लेकिन, अपने फेफड़ों का ख़्याल ज़रूर रख सकते हैं. इसके लिए एक तो आपको मास्क पहनना है. कपड़े वाला मास्क नहीं. N95 मास्क. दूसरा, जब AQI ज़्यादा हो, तब घर से बाहर निकलने से बचें. तीसरी टिप, अपनी डाइट में कुछ ऐसी चीज़ें शामिल करें, जो आपके फेफड़ों को मज़बूत बना सकती हैं.

क्या हैं ये चीज़ें, ये हमें बताया सीनियर डाइटिशियन और ‘वन डाइट टुडे’ की फाउंडर, डॉ. अनु अग्रवाल ने.

Dr. Anu Agrawal - Senior Consultant Dietitian & Founder of Onediettoday |  Assistance Professor | Ex. AIIMS RSHK. | Cancer Diet Specialist |Diabetic  Educator|Researcher|Life Member at IDA, NSI ADE & IAPEN | LinkedIn
डाइटिशियन अनु अग्रवाल

डॉक्टर अनु बताती हैं कि आपको अदरक ज़रूर खानी चाहिए. अदरक में जिंजरोल्स और शोगोल्स जैसे तत्व होते हैं. इनमें एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं. ये एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह भी काम करते हैं. एंटीऑक्सीडेंट्स हमारे सेल्स को नुकसान से बचाते हैं. अदरक से फेफड़ों की अंदरूनी सूजन तो घटती ही है. फेफड़ों के सेल्स भी हेल्दी रहते हैं. आप अपनी चाय, सूप और सब्ज़ी में अदरक डाल सकते हैं.

फेफड़ों के लिए हल्दी भी काफी फायदेमंद है. हल्दी में करक्यूमिन नाम का तत्व होता है.  ये एक एंटीऑक्सीडेंट है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण भी पाए जाते हैं. यानी हल्दी भी फेफड़ों में आई सूजन को कम करती है. साथ ही, फेफड़ों को इंफेक्शन और नुकसान से बचाती है. आप रोज़ आधा-एक चम्मच हल्दी अपने खाने में डाल सकते हैं. अगर हल्दी वाला दूध पी रहे हैं. या हल्दी-पानी पीना चाहते हैं, तो उसमें थोड़ा काली मिर्च का पाउडर भी डालें. इससे करक्यूमिन शरीर में ज़्यादा बेहतर तरीके से एब्ज़ॉर्व होता है.

फेफड़ों के लिए अजवाइन भी अच्छी मानी जाती है. इसमें थाइमोल और कार्वाक्रोल जैसे नेचुरल ऑयल पाए जाते हैं. ये ब्रोन्कियल ट्यूब्स को खोलते हैं. ब्रोन्कियल ट्यूब्स फेफड़ों में हवा ले जाने वाली ट्यूब्स हैं. अजवाइन, फेफड़ों और सांस की नलियों में आई सूजन कम करने में मदद करती है. जिससे सांस लेने में आसानी होती है. आप रोज़ आधा से एक चम्मच यानी करीब 2 से 5 ग्राम अजवाइन ले सकते हैं.  कैसे? इसे अपनी सब्ज़ी में डाल सकते हैं. या सुबह-सुबह अजवाइन वाला पानी पी सकते हैं.

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 अगर आपको फेफड़ों से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है. या प्रदूषण की वजह से कोई दिक्कत महसूस हो रही है. तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

अलसी के बीज यानी Flax Seeds खाना भी फेफड़ों के लिए अच्छा है. इनमें ओमेगा-थ्री फैटी एसिड, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं.  ये फेफड़ों की सूजन कम करने में मदद करते हैं, और सेल्स को नुकसान से बचाते हैं. आप रोज़ 1 से 2 चम्मच भुने या पिसे अलसी के बीज सलाद, दही या स्मूदी में डालकर ले सकते हैं.

रोज़ 4 से 6 बादाम भी आपको ज़रूर खाने चाहिए. बादाम में विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं. ये फेफड़ों के सेल्स को नुकसान से बचाते हैं. रोज़ बादाम खाने से रेस्पिरेटरी सिस्टम की सूजन कम होती है. रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी वो अंग, जो सांस लेने और छोड़ने में मदद करते हैं. फेफड़े भी हेल्दी रहते हैं.

हालांकि अगर आपको फेफड़ों से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है. या प्रदूषण की वजह से कोई दिक्कत महसूस हो रही है. तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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