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अखिलेश यादव के समय चले बुलडोजर को सलमान खुर्शीद ने योगी सरकार से जोड़ा!

सोशल मीडिया पर उन्नाव में बुलडोजर चलने के दावे से जोड़कर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं.

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वायरल ट्वीट का स्क्रीनशॉट.
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अंशुल सिंह
9 जून 2022 (Updated: 9 जून 2022, 07:53 PM IST) कॉमेंट्स
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दावा

7 जून को कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने एक ट्वीट किया. ट्वीट में कुल चार तस्वीरें हैं और चार में से दो तस्वीरों में बुलडोजर चलता हुआ दिखाई दे रहा है. बाकी दो तस्वीरें बुलडोजर चलने के बाद की लग रही हैं. सलमान खुर्शीद ने इन तस्वीरों के आधार पर उन्नाव और फर्रुखाबाद में बुलडोजर चलने का दावा किया है.

सलमान खुर्शीद ने अपने ट्वीट का कैप्शन अंग्रेजी में दिया, जिसका हिंदी अनुवाद है- (आर्काइव)

यूक्रेन नहीं, ये बुलडोजरलैंड के उन्नाव और फर्रुखाबाद की तस्वीरें हैं.

सिर्फ सलमान खुर्शीद ही नहीं, वायरल तस्वीरों को फेसबुक यूज़र्स भी उन्नाव और फर्रुखाबाद से जोड़कर शेयर कर रहे हैं.

 

पड़ताल

वायरल तस्वीरों के साथ किए जा रहे दावे की जब 'दी लल्लनटॉप' ने पड़ताल की तो वायरल दावा भ्रामक निकला. तस्वीरें उन्नाव की हैं लेकिन इनका योगी सरकार की कार्रवाई से कोई संबंध नहीं है. अवैध निर्माण तोड़े जाने की ये तस्वीरें अखिलेश सरकार के समय की हैं.


पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने सलमान खुर्शीद के ट्वीट पर कमेन्ट्स को देखा. एक ट्विटर यूज़र ने खुर्शीद के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए चार में से दो तस्वीरों को पुरानी बताया. कमेंट में जिन Avinash Srivastava  के ट्वीट को कोट किया गया है उन्होंने सलमान खुर्शीद के ट्वीट पर लिखा,

2016 की तस्वीरों को अभी 2022 में फैलाकर कौन सा एजेंडा चलाना चाहते हैं Congress के नेता?

Avinash के इस ट्वीट में उमर उजाला में छपी 26 मई 2016 की रिपोर्ट को देखा जा सकता है. बाद में हमने कुछ की-वर्ड्स की मदद से सर्च शुरू की तो हमें अमर उजाला की 2016 में छपी रिपोर्ट मिली. अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक,

‘ध्वस्तीकरण अभियान के लिए तय गुरुवार सुबह पांच बजे छोटा चौराहा से अताउल्ला नाला रोड पर प्रशासनिक अमला पहुंच गया. अभियान का विरोध करने के लिए व्यापारियों ने पहले से ही तैयारी कर रखी थीं, लेकिन उनकी तैयारियां धरी रह गईं. प्रशासन के कड़े रुख के आगे कोई कुछ नहीं कर सका.  दो पोकलैंड व चार जेसीबी मशीनों ने यहां के अवैध निर्माणों को ढहाना शुरू कर दिया. आधा दर्जन मशीनों ने दोपहर तक इस क्षेत्र के 50 मकानों को चिह्नित स्थान तक जमींदोज कर दिया.’

अमर उजाला की इस रिपोर्ट से क्लू लेकर हमने साल 2016 को ध्यान में रखते हुए अपनी पड़ताल जारी रखी. इस दौरान हमें फेसबुक यूज़र शुभम निगम का 26 मई 2016 का फेसबुक पोस्ट मिला. पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, 


तबाही का मंजर 
बदला गया उन्नाव का नक्शा 
उजड़ गया उन्नाव का छोटा चौराहा
(कवरेज शुभम निगम हिन्दुस्तान प्रेस)

शुभम निगम के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट.

घटना के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने शुभम निगम से संपर्क किया. उन्होंने बताया, 


'वायरल हो रही तस्वीरें 2016 की हैं जिसे मैंने अपने कैमरे में कैद किया था. तब मैं एक स्थानीय अखबार में बतौर फोटोजर्नलिस्ट जुड़ा था. 2016 में उन्नाव में छोटा चौराहा के पास सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा था जिसके चलते अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया था.'

हालांकि सलमान खुर्शीद के ट्वीट में दिख रही चौथी तस्वीर के बारे में सर्च करने पर हमें कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली.

ट्वीट के बारे में अपना पक्ष रखते हुए सलमान खुर्शीद ने इंडिया टुडे से बातचीत की. खुर्शीद ने कहा, 


‘ट्वीट में दिख रही तस्वीरें मेरे साथ फर्रुखाबाद के स्थानीय लोगों द्वारा साझा की गईं, जहां डिमोलिशन ड्राइव चल रही थी.  ट्वीट करते समय, मुझे नहीं पता था कि पहली तीन तस्वीरें पुरानी हैं’


उन्नाव में बुलडोजर कब चला था?

उन्नाव में मई के महीने में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलने की खबरें सामने आई थीं. इस दौरान शहर के बड़ा चौराहा से गांधी नगर चौराहे के बीच अस्थाई अतिक्रमण हटाने के लिए जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार के निर्देश पर कार्रवाई की गई थी. इस बीच एक व्यापारी का अपनी दुकान बचाने के लिए गिड़गिड़ाते हुए वीडियो भी वायरल हुआ था.

नतीजा


हमारी पड़ताल में वायरल तस्वीरों के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक साबित हुआ. सलमान खुर्शीद ने जिन तस्वीरों को योगी सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान का बताकर शेयर किया है वो अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान खींची गई थीं. 

नोट - इस रिपोर्ट के पब्लिश होने के बाद सलमान खुर्शीद ने दी लल्लनटॉप से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि मैंने अपने ट्वीट में कहीं भी ये नहीं लिखा कि ये तस्वीरें 2022 की हैं या 2016 की.

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