कन्नन अय्यर की डायरेक्ट की हुई फिल्म, “ए वतन, मेरे वतन” फ्रीडम फाइटर उषा मेहताके जीवन पर आधारित है. उषा मेहता उन हजारों-लाखों गुमनाम नायकों में से एक हैंजिन्होंने 90 साल यानी 1857 से लेकर 1947 तक चले आजादी के आन्दोलन में धूप, घाम,पानी, पत्थर सहे, सिर्फ एक ख़्वाब के लिए कि देश आजाद हो. उषा मेहता को साल 1998 मेंदेश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था. साल2000 में उनकी देह पूरी हुई. उन्हें बरतानिया हुकूमत ने चार बरस तक येरवडा जेल मेंरखा था. जब वे जेल से बाहर आईं तो उस वक्त 20,000 लोगों का हुजूम दरवाजे पर उनकाइन्तजार कर रहा था. ये त्रासदी है कि हम उनके बारे में बिल्कुल नहीं या बहुत कमजानते हैं. ये फिल्म उस कमी को बहुत हद तक पूरा करती है. देखें वीडियो-