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कौन था डकैत ददुआ, जिस पर बन रही फ़िल्म में अरशद वारसी और प्रतीक गांधी काम कर रहे हैं

तिग्मांशु धूलिया इस फ़िल्म को पहले इरफ़ान खान के साथ बनाना चाहते थे.

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तिग्मांशु ददुआ पर 'यश' नाम की फ़िल्म बना रहे हैं
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अनुभव बाजपेयी
12 अक्तूबर 2022 (Updated: 12 अक्तूबर 2022, 06:35 PM IST) कॉमेंट्स
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2019 में एक खबर आई थी, 'पान सिंह तोमर' के बाद तिग्मांशु धूलिया और इरफ़ान खान एक बार फिर किसी प्रोजेक्ट में साथ आने वाले हैं. ये प्रोजेक्ट फेमस डकैत ददुआ की कहानी पर आधारित होगा. धूलिया इसकी स्क्रिप्ट पर पिछले पांच सालों से काम कर रहे थे. लेकिन इरफ़ान की मौत के बाद उनका ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था. तिग्मांशु इसे फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे थे, जो कि अब कामयाब होती नज़र आ रही है. इस फ़िल्म का नाम होगा 'यश'. इसकी कास्ट भी सामने आई है.

अरशद वारसी और प्रतीक गांधी निभाएंगे मुख्य भूमिका

इरफ़ान की डेथ के बाद से तिग्मांशु को नए सिरे से 'यश' के बारे में सोचना पड़ा. वो इसे दोबारा से लाने का प्लान कर रहे हैं. अब इसकी कास्ट भी फाइनल हो गई है. इसमें अरशद वारसी और प्रतीक गांधी मुख्य भूमिकाओं में होंगे. ये पहला मौक़ा है, जब अरशद और प्रतीक किसी प्रोजेक्ट में एक साथ नज़र आएंगे. अरशद डकैत ददुआ की भूमिका निभाएंगे. प्रतीक गांधी एसएसपी यश की भूमिका में होंगे. इन्हीं के नेतृत्व में स्पेशल टास्क फोर्स ने ददुआ और उसके गैंग का सफाया किया था. फ़िल्म ऐक्शन पैक्ड डकैत थ्रिलर होने वाली है. इसकी कहानी ददुआ के एनकाउंटर ऑपरेशन के इर्दगिर्द रहने वाली है. कैसे कुछ बहादुर पुलिस वालों ने ददुआ, उसके गैंग को निशाने पर लिया और इलाके में फैले खौफ़ को खत्म किया. एक बार ददुआ के एनकाउंटर में इनवॉल्व ऑफिसर अमिताभ यश ने लल्लनटॉप के मंच पर इस ऑपरेशन की पूरी कहानी सुनाई थी. आप भी सुनिए:

कौन था ददुआ?

सत्तर के दशक में नॉर्थ के वीरप्पन के नाम से मशहूर शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ का बीहड़ में खौफ़ था. बिल्कुल जैसा, 'शोले' में गब्बर का था. उसका डायलॉग है ना, 'पचास-पचास कोस तक जब कोई बच्चा रोता है, तो माँ बोलती है बेटा सो जा, वरना गब्बर आ जाएगा.' ददुआ का एमपी और यूपी के तकरीबन 500 गांवों और 10 चुनावी क्षेत्रों में जलवा था. उसकी ताकत और राज का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि नेताओं को चुनाव जीतने के लिए उसके आशीर्वाद की ज़रूरत होती थी. जिस तरफ़ ददुआ उस तरफ़ जीत. करीब 30 साल चले ददुआ के आतंक का आलम यह था कि अगर किसी को प्रधानी, विधायकी या सांसदी का चुनाव लड़ना होता था, तो उसे एक मोटी रकम चढ़ावे में चढ़ानी पड़ती थी. उसके ऊपर मर्डर से लेकर किडनैपिंग के क़रीब 200 क्रिमिनल चार्जेस थे. कहते हैं एक बार यूपी के ही मानिकपुर में लाधौवा गांव के सरपंच पर ददुआ को कुछ शक था. उसे लगता था कि सरपंच जिमीदार दिया गया काम ईमानदारी से नहीं करता. इसी शक में ददुआ ने उसे खौफनाक मौत दी थी. जिमीदार के पिता के अनुसार,

“उसने मेरे सबसे बड़े बेटे की दोनों आंखें फोड़ दी थीं. मेरा बेटा रात का खाना खाने के बाद घर के बाहर खड़ा था, तभी उसकी कुछ गुंडों से बहस हो गई. झगड़ा बढ़ा तो लोकल पुलिस भी वहां पहुंच गई. उन गुंडों में ददुआ भी शामिल था. वो पुलिस के सामने ही मेरे बेटे को रात के अंधेरे में घसीटते हुए जंगल की तरफ ले गया. उसके साथी मेरे बेटे को पीट रहे थे और फिर उसने जेब से चाकू निकालकर उससे मेरे बेटे की दोनों आंखें बाहर निकाल दीं और थोड़ी देर बाद घर के बाहर छोड़ गया.”

ऐसे ही कई खौफ़ भरे कारनामे थे ददुआ के. ये तो बस उसका एक नमूना भर है. तिग्मांशु धूलिया अपनी फ़िल्म 'यश' के ज़रिए यूपी में फैले डकैत और राजनेताओं के गठजोड़ को दिखाने की कोशिश करेंगे. फ़िल्म ददुआ के उदय, उसके सिस्टम के साथ हुई तनातनी और उसके पॉलिटिकल पावर पर केंद्रित होने वाली है. साथ ही कैसे उसका और उसके गैंग का जुलाई 2007 में एनकाउन्टर किया गया, फ़िल्म इसे भी बड़े पर्दे पर उतारेगी. इसकी शूटिंग जनवरी 2023 से शुरू होने की संभावना है. अरशद और प्रतीक अपने कुछ वर्तमान प्रोजेक्ट्स को खत्म करके 'यश' की टीम से जुड़ेंगे.

कैसे हुआ था ददुआ डकैत एनकाउंटर?

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