The Lallantop
Advertisement

चिकन-65 में ये '65' क्या होता है?

एक नहीं, दो नहीं, पूरे पांच किस्से हैं.

Advertisement
Img The Lallantop
नाम ज़रूरी है या टेस्ट ये तो आपको ही तय करना है. (Image: Zyka.Com)
pic
मुबारक
15 सितंबर 2017 (Updated: 15 सितंबर 2017, 10:45 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
चिकन के शौक़ीन लोगों का साबका 'चिकन-65' से ज़रूर पड़ा होगा. लेकिन क्या आपको पता है इस डिश के नाम में '65' क्यों जुड़ा है? बिल्कुल कील ठोककर तो कोई नहीं बता पाएगा लेकिन कुछ किस्से हैं, कुछ थ्यौरीज़ हैं, जिन्हें आपको बताते हैं. ये तो सबको पता ही होगा कि ये साउथ इंडियन डिश है. आइए टटोलते है इस डिश के दड़बे को.


#1.

सबसे पहले तो एक किस्सा सुनिए. दंतकथा टाइप. कुछ साल पहले साउथ इंडिया में लगभग सभी रेस्टोरेंट कम बार में एक चीज़ का बड़ा भौकाल था. इस बात का कि कौन कितनी मिर्चें खा सकता है! इस बात को एक होटलवाले ने कैश किया. उसने एक डिश बनाई. जिसमें हर एक किलो मुर्गे में 65 मिर्चें थी. यहीं से नाम चला बताते हैं.
चिकन-65 का चिकन की बेहद मशहूर डिशेस में से एक है. (Image: Recipes of India)
चिकन-65 का चिकन की बेहद मशहूर डिशेस में से एक है. (Image: Recipes of India)



#2.

सबसे विश्वसनीय कहानी ये है कि इसे 1965 में चेन्नई के बुहारी रेस्टोरेंट ने इंट्रोड्यूस किया था. साल पर ही इसका नाम पड़ गया 'चिकन-65'. इस कहानी को इस बात से भी बल मिलता है कि उसी रेस्टोरेंट ने 'चिकन-78', 'चिकन-82' और 'चिकन-90' नाम की डिशें भी परोसी. जिन्हें क्रमशः 1978, 1982 और 1990 में इंट्रोड्यूस किया गया. ये अलग बात है कि जलवा '65' का ही रहा.  'कौन बनेगा करोड़पति' में भी यही थ्यौरी दी गई थी.
चाइनीज़ फ़ूड जॉइंट्स में बहुत पॉपुलर है ये डिश. (Image: Spicy World)
चाइनीज़ फ़ूड जॉइंट्स में बहुत पॉपुलर है ये डिश. (Image: Spicy World)



#3.

एक थ्यौरी ये भी है कि जब ये डिश अस्तित्व में आई थी, इसे मुरब्बे की तरह लंबे समय तक स्टोर करके रखा जाता था. उसके बाद ही सर्व किया जाता था. स्टोर करने की आइडियल अवधि चूंकि 65 दिन की थी, इसलिए इसका नाम 'चिकन-65' पड़ा.
अब तो पनीर-65 भी मिलने लगा है. (Image: Swadcuisine.com)
अब तो पनीर-65 भी मिलने लगा है. (Image: Swadcuisine.com)



#4.

एक और भाईसाहब का मानना है कि इस डिश की एक फुल प्लेट में चिकन के एग्जैक्टली 65 पीस हुआ करते थे. और मसाले भी 65 तरह के डलते थे. तो और कोई नाम रखते भी कैसे?
'पनीर-65' के बाद 'गोभी-65' भी आने से वेज वालों ने राहत की सांस ली. (Image: Veg Recipes of India)
'पनीर-65' के बाद 'गोभी-65' भी आने से वेज वालों ने राहत की सांस ली. (Image: Veg Recipes of India)



#5.

आख़िरी कहानी थोड़ी लॉजिकल जान पड़ती है. कहते हैं कि उत्तर भारत के सैनिक जब साउथ में तैनात होते थे, तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या भाषा की ही होती थी. तब तो गूगल ट्रांसलेटर भी नहीं था. चेन्नई के होटलों में मेन्यू अक्सर तमिल भाषा में होता था. ज़ाहिर सी बात है उत्तर भारतीयों के कहां पल्ले पड़ना था! तो उन्होंने अपनी पसंदीदा डिश को ऑर्डर करने का एक तरीका ईजाद किया. वो उस नंबर से ऑर्डर देते, जो इस डिश के सामने मेन्यू पर लिखा था. पैंसठ नंबर की डिश. सिक्स्टी फाइव. तो यूं इसका नाम ही पड़ गया 'चिकन-65'.
'चिकन-65' अक्सर मेन कोर्स की जगह स्टार्टर की तरह खाया जाता है. (Image: Zyka.Com)
'चिकन-65' अक्सर मेन कोर्स की जगह स्टार्टर की तरह खाया जाता है. (Image: Zyka.Com)



खैर, कहना 'राजा अवस्थी' का कि ईंट से ईंट जोड़ने के लिए सीमेंट चाहिए होता है. फिर चाहे वो जेके सीमेंट हो या अम्बुजा सीमेंट, कतई फ़र्क नहीं पड़ता. ईंट से ईंट जुड़नी चाहिए बस! इसी तर्ज पर चिकन चाहे '65' हो या '56'. खानेवाले को तो उसके लज़ीज़ होने से मतलब है. शेक्सपीयर ने भी तो 'चिकन-65' की दो प्लेट खाने के बाद ही बोला था,
"नाम में क्या रक्खा है?"


चिकन के बाद थोड़ा मटन की बात भी हो जाए:



ये भी पढ़ें:

तिलिस्मी सीरियल ‘चंद्रकांता’, जिसके ये 7 किरदार भुलाए नहीं भूलते 

नाम से नहीं किरदार से जाने जाते हैं ये कलाकार

नाग-नागिन की वो झिलाऊ फिल्में, जो आपको किडनी में हार्ट अटैक दे जाएंगी

इंडिया का वो एक्टर जिसे देखकर इरफ़ान ख़ान और नवाज़ भी नर्वस हो जाएं

Advertisement

Advertisement

()