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जॉन अब्राहम की ये बात 'छावा' और 'द कश्मीर फाइल्स' के मेकर्स को बहुत हर्ट करेगी

जॉन अब्राहम ने कहा कि इस तरह की फिल्में इस मक़सद से बनाई जाती हैं ताकि लोगों की सोच को हाइपर-पॉलिटिकल माहौल में बदला जा सके.

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जॉन ने कहा कि वो इस तरह की फिल्म कभी नहीं बनाएंगे.
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शुभांजल
12 अगस्त 2025 (Updated: 13 अगस्त 2025, 01:27 PM IST)
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John Abraham की फिल्मोग्रफी में देशभक्ति और पॉलिटिकल फिल्मों की कोई कमी नहीं है. उनकी अपकमिंग फिल्म Tehran भी इसी थीम पर बनी है. बावजूद इसके वो पॉलिटिक्स से कन्नी काटते दिख रहे हैं. उनके मुताबिक, आजकल एक खास विचारधारा वाली फिल्मों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है. Chhaava और The Kashmir Files जैसी मूवीज को बहुत ज़्यादा लोग देख रहे हैं. इनके ज़रिए फिल्ममेकर्स दर्शकों को बरगलाना चाहते हैं. जॉन कहते हैं कि इस बात उन्हें बेहद डरावनी लगती है.

जॉन इस वक्त अपनी अगली फिल्म 'तेहरान' का प्रमोशन कर रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत की. पॉलिटिकल फिल्मों की बढ़ती संख्या पर अपना विचार रखते हुए उन्होंने कहा,

"हमें सेंसरशिप की ज़रूरत तो है. लेकिन जिस तरह इसे संभाला गया है, उस पर सवाल उठते हैं. हमारे साथ सेंसर बोर्ड का एक्सपीरियन्स ठीक रहा है. लेकिन मैंने भी अपनी फिल्मों को ज़िम्मेदारी से बनाया है. मैं न तो राइट विंग का हूं और न ही लेफ्ट विंग का. मैं राजनीति से दूर हूं. जो बात मुझे सबसे ज्यादा परेशान करती है, वो ये कि आजकल राइट विंग वाली फिल्में बहुत ज़्यादा चलती हैं. ऐसे में एक फिल्ममेकर के रूप में खुद से सवाल करना पड़ता है कि क्या मैं सिर्फ पैसा कमाने वाली लाइन पर चलूं या वही बनाऊं जो मैं कहना चाहता हूं. और मैंने दूसरा रास्ता चुना है."

ये पूछे जाने पर कि क्या वो 'छावा' और 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्में बनाएंगे. इस पर जॉन ने कहा-

"मैंने 'छावा' नहीं देखी है. लेकिन मुझे पता है कि लोगों को वो फिल्म बहुत पसंद आई है और 'द कश्मीर फाइल्स' भी. लेकिन जब कोई फिल्म इस मक़सद से बनाई जाती है कि वो लोगों की सोच को एक हाइपर-पॉलिटिकल माहौल में बदल सके, और फिर ऐसी फिल्मों को बड़ी संख्या में दर्शक मिलते हैं, तो ये बात मुझे डरावनी लगती है. जहां तक आपके सवाल का जवाब है- ‘नहीं, मुझे कभी ऐसा करने का मन नहीं हुआ. न ही मैं कभी इस तरह की फिल्म बनाऊंगा’."

हालांकि जॉन ने सेफ खेलते हुए ये कहा कि उन्होंने 'छावा' और 'द कश्मीर फाइल्स' देखी नहीं है और वे बहुत पॉपुलर रहीं. लेकिन असल में वे राइट विंग की जिन फिल्मों की आलोचना कर रहे थे और उन्हें डरावना बता रहे थे, उस पैमाने में हाल में आई 'छावा' और 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्में ही फिट बैठती हैं. एंकर ने इन फिल्मों का नाम लेकर उनके बयान को स्पष्ट करना चाहा तो जॉन ने खंडन नहीं किया कि वे इन फिल्मों की बात नहीं कर रहे हैं. यानी उनके बयान का सार और अर्थ सिर्फ यही निकलता है कि वे अपने ब्रैंड ऑफ नेशनलिज़्म की फिल्मों को 'छावा' और 'द कश्मीर फाइल्स' वगैरह से बेटर मानते हैं और कथित राइट विंग की फिल्मों को डरावना सा बताते हैं.

बता दें, जॉन अब्राहम जिस फिल्म को प्रमोट कर रहे हैं, वो है 'तेहरान'. ये भी एक पॉलिटिकल फिल्म है. जो कि 2012 में दिल्ली में इज़रायली एम्बैसी के पास हुए बम धमाके के इर्द-गिर्द घूमती है. ये बम ब्लास्ट किसने किया, इसका पता लगाने की ज़िम्मेदारी उठाता है दिल्ली पुलिस का ऑफिसर राजीव कुमार. जॉन ने फिल्म में इन्हीं का रोल किया है. मगर इस बीच ऐसा क्या होता है कि उसे इंडिया अपना आदमी मानने से इन्कार कर देती है? यही फिल्म की कहानी है. जॉन के अलावा इसमें मानुषी छिल्लर, नीरू बाजवा और मधुरिमा तुली ने भी काम किया है. ‘तेहरान’ को ऐड फिल्ममेमकर अरुण गोपालन ने डायरेक्ट किया है. ‘तेहरान’ 14 अगस्त को ज़ी5 पर रिलीज होगी. 

वीडियो: जॉन अब्राहम ने किस बात पर कहा, बॉलीवुड में लोग उन्हें नापसंद क्यों करते थे

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