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कहानी पाकिस्तान की सबसे महंगी फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट' की, जिसे बनने में 10 साल लग गए

फिल्म का ट्रेलर आते ही उसकी तुलना 'गेम ऑफ थ्रोन्स' और 'बाहुबली' जैसे महाकाय प्रोजेक्ट्स से हो रही है.

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1979 में आई 'मौला जट्ट' को रीबूट किया गया है.
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22 अगस्त 2022 (Updated: 22 अगस्त 2022, 16:14 IST)
Updated: 22 अगस्त 2022 16:14 IST
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‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’. ये एक आगामी पाकिस्तानी फिल्म का नाम है. हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ. जिसके कमेंट बॉक्स में पाकिस्तान से ज्यादा भारत की जनता की हाजिरी है, और ऐसा ट्रोल करने के मकसद से नहीं. लोग ट्रेलर को सराह रहे हैं. उसे हॉलीवुड लेवल का बता रहे हैं. इंडिया में कहां देख पाएंगे, इसका जुगाड़ ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. ‘लाल सिंह चड्ढा’ की निर्मम ट्रोलिंग के बीच इंटरनेट का एक ये पक्ष भी है. खैर, ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ का ट्रेलर देखकर उत्सुक होने वालों में सिर्फ आम पब्लिक नहीं. अनुराग कश्यप ने फिल्म का ट्रेलर शेयर किया. साथ में लिखा,

आखिरकार वो फिल्म जो मुझे बहुत पसंद है और जो आप सब ज़रूर देखना चाहेंगे, उसका ट्रेलर आ गया है.

ये पहली बार नहीं है जब अनुराग ने ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ को लेकर अपनी उत्सुकता ज़ाहिर की है. 21 दिसम्बर, 2018 को अनुराग ने फिल्म का फर्स्ट लुक शेयर करते हुए लिखा था,

मौला जट्ट लौट आया है, और इस बार ये फवाद खान है.

‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ अब 13 अक्टूबर को पाकिस्तान के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है. अनुराग कश्यप ने फिल्म को लेकर ट्वीट भले ही चार साल पहले किया हो. लेकिन उसके बनने की कहानी उससे भी काफी पहले की है. पाकिस्तान के पंजाबी सिनेमा को क्लोज़ली न फॉलो करने वालों के लिए भी मौला जट्ट एक नया नाम हो सकता है. क्या है उसकी कहानी, और इस फिल्म ने इतना रौला क्यों पाया हुआ है, आज यही सब बताएंगे. 

# गंडासा फिल्मों का उदय

पाकिस्तानी लेखक अहमद नदीम क़ासमी ने एक शॉर्ट स्टोरी लिखी थी, ‘गंडासा’. पचास के दशक की बात है ये. कहानी थी मौला जट्ट नाम के आदमी की. पुराने जमाने की कहानियों की तरह उसके साथ कुछ गलत होता है, और उसे अब बदला लेना है. लेकिन ये सिर्फ बदले की कहानी नहीं थी. मौला जट्ट के बहाने ये एक्सप्लोर करना चाहती थी मैस्क्युलेनिटी की बारीकियों को. उस समाज को जो पुरुष को रोने नहीं देता. उसे रोष करते हुए देखना चाहता है. जिन्होंने कहानी पढ़ी, उन्होंने इस पक्ष को सहारा. ये मत आम जनता तक पहुंचना ज़रूरी था. 
उन तक पहुंचा भी, पर किसी और शक्ल में. 1974 में एक पाकिस्तानी फिल्म रिलीज़ हुई. नाम था ‘वहशी जट्ट’. कहानी का नायक था मौला, जिसे अपने पिता की हत्या का बदला लेना है.

मौला अपने हाथ में गंडासा उठाता है, और ज़मीन का रंग लाल होने तक नहीं रुकता. पिक्चर समाप्त. जनता खुश. फिल्म बनाने वालों ने पैसा कमाने के मकसद से कहानी बदल दी. इससे दो चीज़ें हुईं – पहली ये कि ‘गंडासा’ कहानी की सीख स्वाहा हो गई. दूसरी, पाकिस्तानी सिनेमा में गंडासा फिल्मों का उदय हुआ. जैसे अमेरिका की वेस्टर्न फिल्में फेमस हैं. जहां मुंह में सिगरेट दबाए, तिरछी टोपी पहने, बगल में बंदूक बांधे लोग दिखते हैं. जापान ने समुराई फिल्में दी. जहां लंबी तलवारों वाले योद्धा दिखते. गंडासा फिल्मों के भी पाकिस्तानी सिनेमा के लिए कुछ ऐसे ही मायने थे. ऐसा नहीं था कि यहां हर नायक बस हाथ में गंडासा लिए घूम रहा है. बल्कि इन फिल्मों ने हिंसा का स्तर और घिनौनापन बढ़ाया. ‘वहशी जट्ट’ की कमाई ने फिल्ममेकर्स को भरोसा दिया, कि मौला जट्ट की कहानी बिकती रहेगी. 

इसी सोच के साथ 04 फ़रवरी, 1979 की तारीख को एक फिल्म रिलीज़ हुई. नाम था ‘मौला जट्ट’. पहले सबको लगा कि ये हर दूसरी फिल्म की तरह साबित होगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. फिल्म बॉक ऑफिस पर चल निकली. 120 से भी ज़्यादा हफ्तों तक चली. फिल्म में खून-खराबे और वहशीपन के लिए सरकार उस पर बैन लगाना चाहती थी. मिलिट्री ने शिकायत की कि फिल्म में बहुत हिंसा है. लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर सरवर भट्टी समय रहते कोर्ट पहुंच गए, और सरकार के आदेश पर स्टे लगवा दिया. जब तक सरकार कुछ कर पाती, तब तक ‘मौला जट्ट’ क्रांति बन चुकी थी.      

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पाकिस्तानी सिनेमा की कल्ट फिल्मों में से एक है ‘मौला जट्ट’.  

‘मौला जट्ट’ की कामयाबी से प्रेरित होकर लाइन से गंडासा फिल्में बनती चली गईं. हालांकि, हर मूवमेंट की तरह इसे भी रुकना था. अर्ली 2000 तक जनता परदे पर गंडासा गिनते-गिनते थकने लगी थी. इन फिल्मों में ठहराव आया, और फिर मामला पूरी तरह शांत हो गया. 

# ‘गंडासा फिल्मों को फिर महान बनाना है’

2013 में एक पाकिस्तानी फिल्म रिलीज़ हुई. इसे बनाने वाला नया डायरेक्टर था. ये फिल्म थी ‘वार’. उस समय के पाकिस्तानी सिनेमा के लिए एक स्टाइलिश फिल्म थी. हॉलीवुड का इन्फ्लूएंस था, फिर भी फिल्म के डायरेक्टर बिलाल लशारी ने अपनी जगह बना ली. ‘वार’ इतनी ज़्यादा पसंद की गई कि उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शुमार हो गई. अभी स्टेटस है कि ये सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली पाकिस्तानी फिल्मों में छठें पायदान पर है. 

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‘वार’ ने पुराने कमाई के रिकॉर्ड्स को ध्वस्त कर दिया.  

‘वार’ की कामयाबी के बाद सब जानना चाहते थे कि बिलाल के पास दुनिया को दिखाने के लिए और क्या है. बिलाल ने उसी साल उसकी भी घोषणा की. उन्होंने बताया कि वो अब मौला जट्ट की कहानी पर काम करेंगे. 1979 में आई फिल्म से प्रेरणा लेंगे. वो गंडासा फिल्में देखकर बड़े हुए, और अब उसी जॉनर को रिवाइव करना चाहते हैं. उनके शब्दों में कहें तो,

लेट्स मेक गंडासा फिल्म्स ग्रेट अगेन.

यानी फिर से गंडासा फिल्मों को महान बनाना है.  

# जब प्रोड्यूसर ने रोड़े लगा दिए 

बिलाल को क्लियर था कि वो अपनी कहानी कैसे दिखाना चाहते हैं. बस उसकी ज़रूरत के अनुसार फैक्टर्स लाने थे. पीरियड ड्रामा दिखाने के लिए बड़ा स्केल चाहिए था. फिल्म के लिए बजट जुटाया, इतना कि उनकी इस फिल्म को पाकिस्तान की सबसे महंगी फिल्म कहा जाने लगा. बिलाल ने अपने कई इंटरव्यूज़ में फिल्म के महंगे बजट का ज़िक्र किया. बस उस नंबर को पब्लिक नहीं किया. हालांकि, वैराइटी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म ‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ का बजट कई मिलियन डॉलर्स में है. एक तरह से ये पाकिस्तानी सिनेमा की ‘बाहुबली’ हो सकती है. इतनी बड़ी फिल्म बनाने के लिए मज़बूत कास्ट का होना भी ज़रूरी था. उन्हें अपना मौला मिला फवाद खान में. इस न्यूज़ से काफी लोगों को हैरानी भी हुई थी. इसकी वजह थी फवाद की पुख्ता रोमांटिक हीरो वाली इमेज. बिलाल का कहना था कि फवाद को यहां देखिएगा, यकीन नहीं कर पाएंगे. फवाद के पॉपुलर शो ‘हमसफ़र’ से उनकी को-स्टार माहिरा खान ने भी फिल्म जॉइन की. हुमाइमा मलिक फिल्म से जुडने वाली अगली एक्ट्रेस थीं. आपने हुमाइमा को इमरान हाशमी के साथ ‘राजा नटवरलाल’ में भी देखा है. 

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फवाद खान बिल्कुल नए अवतार मेंं दिखेंगे. 

बिलाल ने अपने इंटरव्यूज़ में एक बात कई बार कही. मौला की कहानी से जनता तभी जुड़ सकेगी जब उसके सामने खूंखार विलेन हो. कहानी में विलेन का नाम होता है नूरी नत. बिलाल को अपना नूरी मिला हमज़ा अब्बासी में. हमज़ा ने कैरेक्टर के लिए इंटेंस वेट ट्रेनिंग की, ताकि वो राक्षसनुमा लग सकें. बिलाल एक बात को लेकर क्लियर थे. फिल्म में हिंसा के स्केल पर वो खुद कोई कैंची नहीं चलाएंगे. इसी वजह से उन्होंने ट्रिब्यून को दिए इंटरव्यू में कहा,

कुछ सीन्स की वजह से पेरेंट्स अपने बच्चों को ये फिल्म नहीं दिखाना चाहेंगे. मैं सलाह दूंगा कि बच्चों को सिनेमाघरों में बिल्कुल भी न लाएं. कमज़ोर दिल वाले और बड़े बच्चे अपने घर पर ही रहें.

ये बात बिलाल ने फिल्म का फर्स्ट लुक टीज़र रिलीज़ करते हुए कही. ध्यान कीजिएगा कि उस वक्त कैलेंडर में साल था 2018. अनाउंस किया गया कि 2019 में फिल्म आपके करीबी और दूर वाले सिनेमाघरों में आ जाएगी. परंतु फिल्म आई नहीं. 1979 वाली ‘मौला जट्ट’ के प्रोड्यूसर सरवर भट्टी कोर्ट पहुंच गए. उनका कहना था कि बिलाल एंड टीम ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स का उल्लंघन किया है. इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी यानी आपके दिमाग से रची गई कोई रचना. ये कोई भी कहानी, किरदार आदि हो सकता है. बिलाल की टीम का कहना था कि उन्होंने पुरानी फिल्म के राइटर नसीर अदीब से किरदारों के राइट्स खरीद लिए थे. दोनों पक्षों के बीच लीगल पचड़ा लंबा खींचता चला गया. 2020 में दोनों पार्टियों में रज़ामंदी हुई. सरवर मान गए, लेकिन सिर्फ इस फिल्म के लिए. 

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फिल्म 13 अक्टूबर को पाकिस्तान के सिनेमाघरों में खुलेगी. 

‘द लीजेंड ऑफ मौला जट्ट’ के लिए ऑल इज़ वेल होने लगा. लेकिन फिर कोरोना महामारी फैल गई. सिनेमाघर बंद पड़ गए. अब चीज़ें सामान्य होने लगी हैं. लोग सिनेमाघरों की ओर लौटने लगे हैं. इसलिए अब मेकर्स ने नया ट्रेलर रिलीज़ किया, वो भी नई रिलीज़ डेट के साथ. अब ‘लिजेंड ऑफ मौला जट्ट’ 13 अक्टूबर, 2022 को सिनेमाघरों पर रिलीज़ होगी.     

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