तानाजी ट्रेलर के दो डायलॉग जिन्हें सुनकर मन बहुत खराब हो गया है!
अजय देवगन स्टारर इस हिस्टोरिकल ड्रामा की ये गलती इसका पीछा नहीं छोड़ेगी.
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अजय देवगन और सैफ अली ख़ान के एक्शन पैक्ड अभिनय वाली 'तान्हाजी' के डायरेक्टर ओम राउत ने इससे पहले बाल गंगाधर तिलक की बायोपिक 'लोकमान्य एक युगपुरुष' का निर्देशन किया था. मराठा यौद्धा तान्हाजी मालसुरे के जीवन पर बनाई ये मूवी उनके जीवन का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है.
तान्हाजी- द अनसंग वॉरियर. 10 जनवरी, 2020 को रिलीज़ होगी. आज 19 नवंबर को ट्रेलर आया है. फिल्म को डायरेक्ट किया है ओम राउत ने. इसमें तान्हाजी का रोल किया है अजय देवगन ने. पत्नी के कैरेक्टर में दिखेंगी उनकी रियल लाइफ वाइफ काजोल. उदयभान के नेगेटिव रोल में दिख रहे हैं सैफ अली खान. ऐसी ही फिल्म की सबसे ख़ास बातें आप इस लिंक पर ज़रूर क्लिक करके पढ़ें -
अजय देवगन की इस फिल्म के ट्रेलर में जो नहीं दिख रहा, वो फिल्म का सबसे बड़ा सरप्राइज़ हो सकता है
जब से ट्रेलर आया है अजय देवगन के फैंस बहुत खुश हैं. उत्साहित हैं. कुछ लोग उत्साहित नहीं हैं और उन्हें ट्रेलर औसत लगा. लेकिन हम यहां बात कर रहे हैं ट्रेलर के उन पहलुओं की जो शॉक में डाल गए. सबसे बड़ा शॉकर रहा ट्रेलर में आया ये डायलॉग -
"जब शिवाजी राज़े की तलवार चलती है तो औरतों का घूंघट और ब्राह्मणों का जनेऊ सलामत रहता है".
इसके राइटर और 'तान्हाजी' के मेकर्स ने न जाने क्या सोचा था लेकिन आज के टाइम में ये डायलॉग बहुत गलत है. 1) क्योंकि 'घूंघट' और 'जनेऊ' के इसी सिंबॉलिज़्म को पीछे छोड़ने के लिए हमारे समाज को न जाने कितनी लड़ाई लड़नी पड़ी है. हम फिर से वहीं नहीं लौट सकते. 2) क्योंकि ‘ब्राह्मणों के जनेऊ’ की रक्षा में तलवार के उठने में ये फिल्म गौरव महसूस कर रही है और ये डरावनी बात है. इस डायलॉग के जरिए ये फिल्म थियेटर आने वाले दर्शकों को जातिवादी होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके हिसाब से वर्गभेद अच्छी चीज़ है. इसके मुताबिक ब्राह्मण होना बड़े सम्मान की बात है. जाहिर है फिर इस फिल्म के जेहन में ऐसे लोग भी होंगे जो अस्पर्श्य होंगे, अनटचेबल होंगे. ये सब ऐसी बातें हैं जिन्हें लिखते, पढ़ते हुए रोएं खड़े होते हैं. कंपकपी होती है. ये 2019 में हम देख रहे हैं. 3) क्योंकि औरतों का घूंघट महानता की बात नहीं है. इस घूंघट से औरत को मुक्ति दिलाने के लिए दशकों से जंग चल रही है. लेकिन ये फिल्म पीछे लौटकर इसे फिर उसी में कैद कर दे रही है. इस आलोचना के खिलाफ ऐसे तर्क दिए जाते हैं कि ये तो पीरियड फिल्म है. पीरियड फिल्म में तो उस दौर की वस्तुस्थिति दिखाएंगे ही. लेकिन ये तर्क खोखला है. अजय देवगन की हेयर स्टाइल, काजोल का उच्चारण, सैफ-अजय के किरदारों का हवा में उड़ना, रस्सियों पर स्लाइड करना ... क्या ये सब सत्य के करीब है? कितना करीब है? उस युग में नीची कही जाने वाली जातियों पर मराठा या अन्य शासकों के जो अत्याचार थे, दरिंदगी की हद तक पवित्रता-अपवित्रता थी, फिर तो उसे भी महिमामंडित कर दिया जाएगा फिल्म बनाने के नाम पर. फिल्म अगर दिखाएगी भी तो उसे महिमामंडित नहीं करेगी. फिल्म के हीरो (अजय) और विलेन (सैफ) का ग्रुप्स में नाचना कौन सी सच्चाई है लेकिन सिनेमेटिक लिबर्टी के नाम पर फिल्म में ये मसाला भरा गया है न? तो क्या इस बात का ख़याल नहीं रखा जा सकता था कि भई हम ये घूंघट, ब्राह्मण और जनेहू को क्यों ग्लोरिफाई कर रहे हैं?4th Feb 1670: The surgical strike that shook the Mughal Empire! Witness history like never before. Presenting the official #TanhajiTrailer: https://t.co/NOykEyWrUh@itsKajolD #SaifAliKhan @omraut @itsBhushanKumar @SharadK @ADFFilms @TSeries @TanhajiFilm
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) November 19, 2019
"कुत्ते की तरह जीने से बेहतर है शेर की तरह मरना"
ये डायलॉग भी दिक्कत भरा है. ‘शेर की मौत’ वाली फैंटेसी से कोई दिक्कत नहीं है, उन्हें मुबारक लेकिन ‘कुत्ते की तरह जीने’ से क्या मतलब है? क्या किसी कुत्ते का जीवन कमतर है? किसी pet lover के आगे कहकर देखिए ये बात. आपके लिए ये ‘गंदगी’,’भीरूपन’,’दुश्मनी’ के मेटाफर हैं. बाकियों के लिए उनके बच्चों जैसे हैं. हाल ही में ट्रंप ने भी ऐसी असंवेदनशीलता दिखाई थी. ऐसा नहीं है कि ये आलोचना हवाई है. जिस फिल्म में किसी पशु या उसी छवि का यूज़ होता है, उसे फिल्म के स्टार्ट में सर्टिफिकेट लगाना होता है कि इस फिल्म की मेकिंग के दौरान किसी पशु को हानि नहीं पहुंचाई गई. तब जाकर फिल्म पास होती है. यानी हमारा समाज संवेदनशील है इन चीजों को लेकर. आज के ज़माने का जो समझदार युवा दर्शक है उसे कुत्ता और शेर वाले रूपक में कोई रुचि नहीं है. वो जिओ और जीने दो में यकीन रखता है. उसे न तो किसी से ऊपर होना है न ही किसी के कमतर. 'तान्हाजी' एक बड़ा प्रोजेक्ट है और इससे बहुत उम्मीदें थीं. ट्रेलर ने निराश किया है. अब देखना है कि फिल्म की रिलीज के बाद ये निराशा बढ़ती है या कम हो जाती है.वीडियो देखें: ब्रह्मास्त्र: शाहरुख, रणबीर, आलिया और अमिताभ बच्चन इंडिया की सबसे बड़ी फिल्म में दिखेंगे

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