उल्लू से कोरोना वायरस का इलाज बताने वाले राजस्थानी ताऊ ‘मेरे मुंह से निकल गई’
मेरा नाम अर्जुन लाल गुर्जर है. जिला-जयपुर, राजस्थान वाले ताऊ अपनी बात से पलटे.
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बाईं तरफ हैं राजस्थानी ताऊ, जो कोरोना का इलाज बता रहे थे और दाईं तरफ हैं वो बालक, जिनके ‘मुंह से गलती से निकल गई थी’. फोटो सांकेतिक है, लेकिन जो हम समझाना चाह रहे हैं, वो समझ आ गया होगा!
दुनियाभर में 11 लाख से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से इंफेक्टेड हो चुके हैं. 60 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. दुनियाभर के बड़े-बड़े डॉक्टर कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में जुटे हैं, जो अब तक मिला नहीं है. लेकिन राजस्थान के एक ताऊ ने इलाज खोज लिया है, ऐसा उनका दावा है. उल्लू से कोरोना वायरस का इलाज. लेकिन आम जनमानस तक इन युगपुरुष का बताया इलाज पहुंच पाता, उससे पहले ही ताऊ का वही मूमेंट हो गया- ‘मेरे मुंह से निकल गई भइया, मेरी ज़बान टूट गई.’
बाकायदा उनका एक वीडियो आया. वीडियो में ताऊ पहले अपना नाम बताते हैं-
“हां जी, मेरा नाम अर्जुन लाल गुर्जर है. जिला-जयपुर, राजस्थान.”फिर वो आते हैं मुद्दे पर और बताते हैं-
“ये कोरोना की बीमारी एक छूत की बीमारी है. ये सुई से, गोलियों से, इलाज से नहीं जाएगी. इसके लिए उल्लू जानवर होता है, पक्षी उड़ने वाला. उसके ऊपर हाथ फेरो, फिर ये कोरोना का मरीज़ के ऊपर हाथ फेरो. ये बीमारी स्वतः ही चली जाएगी. ये परीक्षण हमारा किया हुआ है, हमारे बुज़र्गों ने आजमाया है. इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है. इसकी दवा अपने पास राजस्थान में काफी तादाद में है. लेकिन करने वालों की कमी है. उल्लू एक ऐसा जानवर है, जो छूत मारता है और ये बीमारी ख़तम हो जाएगी”[video width="320" height="175" mp4="https://akm-img-a-in.tosshub.com/sites/lallantop/wp-content/uploads/2020/04/part-1_050420-061520.mp4"][/video] यहां खतम होता है पहला वीडियो. फिर दूसरा वीडियो आता है. अब तक स्वतः जा चुकी है. बीमारी नहीं, अर्जुन लाल गुर्जर जी की मेडिकल साइंस. वो फिर से कुछ कह रहे हैं. इस बार बड़े धीर-गंभीर हैं और पीछे खड़ी है पुलिस की जीप. एक शख़्स और है वीडियो में, जिसका चेहरा नहीं दिख रहा. पीछे खड़ी पुलिस की जीप और बात करने के अंदाज़ से अंदाज़ा ही लगा सकते हैं कि शायद कोई पुलिस वाला ही हो. ये दूसरे राउंड की बातचीत सुनिए..सामने वाला शख़्स – हां बाबा, कोरोना का इलाज बताओ क्या है? राजस्थानी ताऊ – कोरोना का कोई इलाज नहीं है साब, डॉक्टरों के अलावा. ये तो मेरी गलती हो गई. ये मेरी बहुत बड़ी गलती है. सामने वाला शख़्स – उल्लू से इलाज बता रहे थे आप? राजस्थानी ताऊ – उल्लू से कोई इलाज नहीं होता है. ये तो सब हमारी बकवास है. हम तो ऐसे ही फालतू बोलते हैं. सामने वाला शख़्स - क्या कहोगे पब्लिक से कोरोना से इलाज के लिए? राजस्थानी ताऊ – डॉक्टरों से ही इलाज होगा. उल्लू से कोई इलाज नहीं होगा. सब लोग घर में रहो. रोड पर घूमने से कोरोना फैलता है. मेरा स्टेटमेंट गल्त था. [video width="320" height="175" mp4="https://akm-img-a-in.tosshub.com/sites/lallantop/wp-content/uploads/2020/04/part-2_050420-062455.mp4"][/video] तो दोस्तों, ये थी अर्जुन लाल गुर्जर और उल्लू से कोरोना के झूठे इलाज की शिक्षाप्रद कहानी. अब टीवी पर दोबारा शक्तिमान आना शुरू हो गया है. तो जाते-जाते हम भी बताते हैं ‘छोटी-छोटी, मगर मोटी बातें’. कोरोना का कोई इलाज नहीं है. बचाव ही इलाज है. अब तक इसकी कोई दवा, कोई टीका तैयार नहीं हुआ है. कार्य प्रगति पर है. लेकिन फिलहाल असुविधा के लिए ख़ेद है. इसलिए अफवाहों पर, सोशल मीडिया की नीक-हकीमी पर ध्यान ना दें. फिलहाल लॉकडाउन है. घर में रहें. और लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी मैदान देखते ही हिरण ना बन जाएं. ख़ुद को ज़रा समेटकर रखें. सोशल डिस्टेंसिंग और बेसिक हाईजीन का ख़्याल रखें. डोंट बी लाइक अर्जुन लाल गुर्जर.
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