फिल्म रिव्यू- फिर आई हसीन दिलरुबा
2021 में 'हसीन दिलरुबा' नाम की एक फिल्म आई थी. रोमैंटिक थ्रिलर फिल्म थी. अब इसका सीक्वल आया है. जिसका नाम है 'फिर आई हसीन दिलरुबा'. रिव्यू पढ़कर जानिए कैसी है ये फिल्म.
फिल्म- फिर आई हसीन दिलरुबा
डायरेक्टर- जयप्रद देसाई
राइटर- कनिका ढिल्लौं
एक्टर्स- तापसी पन्नू, विक्रांस मैस्सी, सनी कौशल, जिमी शेरगिल
रेटिंग- 2.5 स्टार्स
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2021 में 'हसीन दिलरुबा' नाम की एक फिल्म आई थी. रोमैंटिक थ्रिलर फिल्म थी. अब इसका सीक्वल आया है. जिसका नाम है 'फिर आई हसीन दिलरुबा'. मगर फिल्म देखने के बाद हमारा सुझाव है कि इस फिल्म का नाम होना चाहिए था क्यों आई हसीन दिलरुबा? ओरिजिनल फिल्म को सीधे नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ किया गया था. तगड़ी व्यूअरशिप मिली. इसके अलावा इसका सीक्वल को बनाने की कोई और ठोस वजह समझ नहीं आती.
'फिर आई हसीन दिलरुबा' की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां 'हसीन दिलरुबा' खत्म हुई थी. इसलिए आपको ब्रीफ रिकैप देते हैं कि पिछली फिल्म में क्या हुआ था. रिशु और रानी की शादी होती है. मगर ये शादी कुछ ठीक नहीं चल रही है. क्योंकि रानी, रिशु से प्यार नहीं करती. ऐसे में एक दिन रिशु का कज़िन नील उनके घर रहने के लिए आता है. रानी, नील के प्रति आकर्षित हो जाती है. दोनों शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं. ये बात रिशु को पता चल जाती है. वो रानी से घृणा करने लगता है. मगर अब रानी को रिशु से प्रेम होने लगता है. ऐसे में ये जोड़ा नील को अपने रास्ते से हटाने का फैसला करता है. पुलिस और जेल के चक्कर से बचने के लिए वो इस घटना को ऐसे अंजाम देते हैं, जिससे ये नील नहीं, बल्कि रिशु की मौत लगे. पहली फिल्म के आखिर में रिशु दुनिया के लिए मर चुका है और नील लापता है. साथ ही पुलिस के हाथ कुछ सुराग लग जाते हैं, जिसकी बदौलत उनकी शक की सुई रानी पर आकर अटक जाती है.
यहां से शुरू होता है द्वितीय अध्याय. अब रानी और रिशु ज्वालापुर से भागकर आगरा आ गए हैं. अब चूंकी रिशु दुनिया के लिए मर चुका है, इसलिए ये लोग छुप-छुपकर मिलते हैं. इनका प्लान है कि हमेशा के लिए देश छोड़कर भाग जाएं. और शांति से अपनी ज़िंदगी आगे बढ़ाएं. मगर इसी बीच दो नए लोगों की एंट्री होती है. एक हैं मृत्युंजय पासवान, जो कि नील और रिशु के रिश्तेदार हैं. साथ ही पुलिस में भी हैं. ये रिशु और रानी का प्लान खराब देते हैं. फिर आते हैं अभिमन्यु बाबू, जो कि रानी के प्रेम में पड़ गए हैं. रानी अपने फायदे के लिए अभिमन्यु से शादी कर लेती है. अब ये सारा कंफ्यूज़न कैसे खत्म होता है, इसके लिए देखनी पड़ेगी पूरी पिक्चर.
'फिर आई हसीन दिलरुबा' पहले भाग से कई मायनों में बेहतर फिल्म साबित होती है. मगर ये अपने होने को कभी जस्टिफाई नहीं कर पाती. क्योंकि रिशु और रानी, जो कर सकते थे, वो उन्होंने पहले पार्ट में कर दिया. नई फिल्म में जो कुछ भी होता है, उसका ज़्यादा तर्क समझ नहीं आता. मैं आपको एक सीन बताता हूं. मृत्युंजय पासवान को शक है कि रिशु मरा नहीं है. वो छुपकर रानी से मिलता है. ऐसे में वो रानी के घर के 2 किलोमीटर के रेडियस में पुलिसवालों से घेर देता है. फिर भी उनके सामने रिशु और रानी कई बार मिलते हैं. आपको लगता है कि क्या ही मज़ाक चल रहा है.
अगर ये आपको मेनस्ट्रीम सिनेमा के लिहाज से नॉर्मल लग रहा है, तो दूसरा सीन सुनिए. रानी को लगता है कि उस पर पुलिस का शक गहराता जा रहा है. ऐसे में वो अभिमन्यु से मिलती है. और दूसरी मीटिंग में ही उससे शादी के लिए पूछ लेती है और वो मान भी जाता है. ये चीज़ आपको कभी भी कन्विंस नहीं कर पाती. ठीक है राइटर ने अपनी एक दुनिया रची है. मगर वो दुनिया है तो हमारी ही दुनिया के अंदर न. यथार्थ से थोड़ा तो जुड़ाव होना ही चाहिए. वरना इसे फैंटसी लव स्टोरी बोल दीजिए.
कनिका ढिल्लौं ने इस फिल्म का स्टोरी-स्क्रीनप्ले और डायलॉग लिखा है. ओपनिंग क्रेडिट्स में उनका नाम सबसे पहले स्क्रीन पर लिखकर आता है. उन्होंने महिला पर्सपेक्टिव से एक कहानी कहने की कोशिश की. जो कई मौकों पर शार्प और बैलेंस्ड लगती है. मगर अधिकतर मौकों पर स्क्रीनप्ले की धार कुंद ही नज़र आती है. हालांकि तापसी को उन्होंने जिस तरह से प्रेज़ेंट किया है, वो एक अच्छा प्रयोग साबित होता है. रानी जितनी अट्रैक्टिव है, उतनी ही स्यानी और धूर्त भी है. सनी कौशल ने अभिमन्यु का किरदार निभाया है. आपको लगता है कि आप रिशु और रानी प्रेम में सनकी हो गए हैं. तभी एंट्री होती है अभिमन्यु की. उसकी बैकस्टोरी ऐसी है, जो दोनों के 'क्राइम पैट्रोल' नुमा लाइफ पर भारी पड़े. मगर वो कैरेक्टर कभी भी पूरी तरह इस फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाता. और कहानी मिश-मैश सी होकर रह जाती है.
जिमी शेरगिल और आदित्य श्रीवास्तव जैसे एक्टर्स उन पुलिसवालों के रोल्स में नज़र आते हैं, जो रिशु के मौत की तफ्तीश कर रहे हैं. मगर उन्हें इतना बेवकूफ और बचकाना दिखाया गया है कि वो हमेशा क्रिमिनल से दो कदम पीछे ही रहते हैं. ऐसे में आपको उन एक्टर्स के लिए बुरा लगता है, जिनकी अच्छी-खासी परफॉरमेंस खराब लेखन के हत्थे चढ़ जाती है.
'फिर आई हसीन दिलरुबा' रॉन्ची सी थ्रिलर है. जिसे आप एक बार उसके सेट-अप के लिए देख सकते हैं. कुल जमा बात ये है कि 'फिर आई हसीन दिलरुबा' ऐसा कुछ भी ऑफर नहीं करती, जिसके लिए आपको नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन खरीदें. मगर इस फिल्म से नाराज़गी तब और बढ़ जाती है, जब मेकर्स तीसरे पार्ट के लिए हिंट छोड़कर जाते है.
वीडियो: नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी थ्रिलर फ़िल्म ‘हसीन दिलरुबा’ की कहानी कैसी है?