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मूवी रिव्यू: जर्सी

After much delay, Shahid Kapoor's Jersey finally released in theatres. It is the official hindi remake of Telugu film with the same name starring Nani.

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shahid kapoor movie jersey review
शाहिद की फिल्म को फेथफुल रीमेक कहना गलत नहीं होगा.
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22 अप्रैल 2022 (Updated: 26 अप्रैल 2022, 14:54 IST)
Updated: 26 अप्रैल 2022 14:54 IST
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लंबे समय से डिले होती आ रही शाहिद कपूर की फिल्म ‘जर्सी’ अब फाइनली सिनेमाघरों में आ चुकी है. ये 2019 में इसी नाम से आई तेलुगु फिल्म का ऑफिशियल हिंदी रीमेक है. ओरिजिनल फिल्म के डायरेक्टर गौतम तिन्नानुरी ने ही शाहिद वाली फिल्म डायरेक्ट की है. फिल्म में शाहिद ने अर्जुन तलवार नाम के क्रिकेटर का रोल निभाया है. एक एफर्टलेस बैट्समैन, जिसे शॉट्स लगाने के लिए दमखम नहीं लगाना पड़ता, बस कलाइयां घूमती हैं और बॉल रोप्स के पार दिखती है. अर्जुन जैसे प्लेयर्स के लिए ही टैलेंटेड और गिफ्टेड जैसी उपमाएं इस्तेमाल की जाती है. ग्राउंड में उसका कोई कॉम्पिटिशन नहीं.

उसकी असली जंग मैदान के बाहर है, और एक नहीं, कई सारी हैं. पहली तो उम्र. अर्जुन 36 साल का हो चुका है. क्रिकेट छोड़े बरसों हो गए. घर पर बीवी और एक बेटा है. क्रिकेट के अलावा वो कुछ भी करने की कोशिश करता है, तो नाकामयाबी ही हाथ लगती है. जिस वजह से बीवी से भी अनबन रहती है. अर्जुन एक बार फिर ग्राउंड में कमबैक करने का फैसला लेता है. हालात से ऊपर उठ पाता है या नहीं, यही आगे की कहानी है. ये कहानी सिर्फ एक आदमी के फिर से मैदान पर जाकर चौके-छक्के लगाने की कहानी नहीं है.

ये कहानी है ज़िद की. एक पिता की ज़िद कि उसे कम-से-कम अपने बेटे की नज़रों से तो नहीं गिरना, फिर चाहे बाकी दुनिया उसे कैसा भी समझे. उसके साथ ही ये कहानी है एक आदमी के खुद को साबित करने की. और उसे किसी और के सामने खुद को साबित नहीं करना. उसे इस ढलती उम्र वाले अर्जुन को दिखाना है कि ये आदमी लूज़र नहीं, उसमें अब भी पहले जैसी स्पार्क बाकी है.

अर्जुन जैसे प्लेयर्स के लिए ही टैलेंटेड और गिफ्टेड जैसी उपमाएं इस्तेमाल की जाती है

फिल्म में एक सीन है जहां अर्जुन रणजी में क्वालिफाई होने का इंतज़ार कर रहा है. वो जानता है कि उसके पास हारने और जीतने को क्या है. फाइनल हुए खिलाड़ियों की लिस्ट आती है. 12वें नंबर पर अर्जुन तलवार का नाम होता है. वो नाम पढ़कर बाहर निकलता है, किसी से कुछ नहीं कहता. इस पूरे सीन में मेरा ध्यान शाहिद की आंखों पर था. वो आंखें जो एक जगह गड़ गईं, जैसे उन्हें अपने आसपास कुछ भी होने का आभास नहीं. अर्जुन अपनी बाइक पर बैठता है और रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पहुंचता है. वहां पहुंचकर जोर-जोर से चिल्लाने लगता है, कि मानो खुद को बता रहा हो कि तू लूज़र नहीं. उसकी आवाज़ पटरी पर दौड़ती ट्रेन के नीचे दब जाती है.

फिल्म में ऐसे कुछ और मोमेंट्स हैं जहां शाहिद की परफॉरमेंस उभर कर आती है. अर्जुन जब अपनी जवानी में करियर के पीक पर होता है, तब उसमें एक किस्म का एरोगेंस दिखता है, खुद को लेकर, अपने गेम को लेकर. उनके अग्रेशन वाले सीन्स देखकर कबीर सिंह वाले शाहिद दिमाग को हिट करते हैं. हालांकि, उम्र के साथ ज़िंदगी उसका ये अग्रेशन नीचे ले आती है. ऐसे समय में जहां सोसाइटी ने एक ब्राइट प्लेयर की वर्थ खत्म कर दी हो, यहां शाहिद को ठीक से यूज़ नहीं किया गया. क्योंकि कुछ मोमेंट्स को निकाल दिया जाए तो वो ज्यादातर सीन्स में अर्जुन तलवार कम और शाहिद कपूर ज्यादा लगते हैं. हालांकि, ऐसा पंकज कपूर के लिए नहीं कहा जा सकता, जिन्होंने फिल्म में अर्जुन के कोच का किरदार निभाया है.

पंकज कपूर ने फिल्म में अर्जुन के कोच का रोल निभाया है.

फिल्म में उनके और अर्जुन के सीन उसके हाई पॉइंट्स हैं. इमोशन्स को फिल्म में खास जगह देने की कोशिश की गई है. प्रेमी और प्रेमिका के बीच का इमोशन, एक पिता और बेटे के बीच का इमोशन, एक कोच और खिलाड़ी के बीच का इमोशन. फिल्म अपने इमोशनल मोमेंट्स को जितना जल्दी बिल्ड अप करती है, ठीक उतना ही जल्दी नीचे भी ले आती है. जैसे कुछ जगहों पर आप चाहते हैं कि सीन में थोड़ा ठहराव है, सामने दो किरदारों के बीच की कोई अदृश्य दीवार टूट रही है, उसे गिरने के लिए समय दिया जाए. लेकिन तभी बैकग्राउंड में गाने की लाइनें बज उठती है, और सीन से ध्यान हटने लगता है. गानों का रिपीटेटिव इस्तेमाल काफी हद तक कम किया जा सकता था.

मैंने अपने एक दोस्त को ‘जर्सी’ के बारे में बताया था. उसका जवाब था कि ये फिल्म तो पहले से ही यूट्यूब पर हिंदी में अवेलेबल है, फिर इसका हिंदी रीमेक क्यों देखना. ये सवाल ऑडियंस में से बहुत सारे लोगों का होगा, जिसका जवाब मेकर्स पूरी तरह से दे पाने में कामयाब नहीं हो पाए. अगर आपने तेलुगु वाली ‘जर्सी’ देखी है तो दोनों फिल्मों में आपको ज्यादा फर्क महसूस नहीं होगा. फेथफुल रीमेक के हिसाब से शाहिद की फिल्म ‘जर्सी’ एक अच्छी कोशिश है, बस ये अपनी ओर से कुछ नया नहीं ऐड कर पाती.

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