वेब सीरीज रिव्यू : इनसाइड एज 3
कैसा है विवेक ओबेरॉय और ऋचा चड्ढा के शो का तीसरा सीज़न?
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'इनसाइड एज 3' का रिव्यू.
# ये कहानी सिर्फ़ क्रिकेट की नहीं है
हर शो की तरह 'इनसाइड एज' का सीज़न टू भी एक क्लिफहैंगर के साथ खत्म हुआ था. जहां मुंबई मेवरिक्स पर दो साल का बैन लग गया था. भाईसाब ने अपनी ही बेटी मंत्रा पाटिल को फिक्सिंग केस का आरोपी बताकर जेल में डलवा दिया था. और ज़रीना मलिक ने विक्रांत धवन के साथ हाथ मिला लिया था.सीज़न 3 की कहानी इसे छूटे सिरे से शुरू होती है. जहां भाईसाब की चारों तरफ़ से लंका लगी हुई है. एक तो विक्रांत वापस आ चुका है और ज़रीना के साथ मिलकर भाईसाब को जेल पहुंचाने का हर संभव प्रयास कर रहा है. दूसरा भाईसाब की बेटी मंत्रा, जिसे उन्होंने हवालात का फ्री फंड का पैकेज लगवा दिया, वो भी नाराज़ हैं. इस बार शो में क्रिकेट भी प्रीमियर लीग से निकलकर इंटरनेशनल हो गया है. इंडिया और पाकिस्तान का मैच हो रहा है. जहां इंडियन क्रिकेट बोर्ड के प्रेसिडेंट यशवर्धन पाटिल उर्फ भैया जी इंडिया और पाकिस्तान के बीच हो रहे मैच में भी अपनी गणित लगा मोटा पैसा बनाने के फेर में लगे हुए हैं. लेकिन भैया जी और इनके जैसे बाकी हाईप्रोफाइल बैटिंग मास्टर माइंडस के 'पैसा बनाने के फेर' पर पानी तब फ़िर जाता है, जब इंडिया में बेटिंग लीगल कर दी जाती है.
लेकिन भैया जी भी हैवी ड्राइवर हैं. इतनी आसानी से मैदान छोड़ने को तैयार नहीं है. वो हर मुसीबत का साम-दाम-दंड-भेद से हल निकालने की कोशिश में लगे रहते हैं. अब सफ़ल होते हैं या इस क्रिकेट के कुरुक्षेत्र में धराशायी होते हैं, ये जानने के लिए अमेज़न प्राइम पर स्ट्रीम कीजिए 'इनसाइड एज सीज़न 3'.

विक्रांत धवन.
# हाउज़ दैट?
इस बार कहानी क्रिकेट के ग्राउंड और लॉकर रूम पॉलिटिक्स से ज़्यादा क्रिकेट बोर्ड के ऊपरी पदों तक पहुंचने की पॉलिटिक्स, इंडिया-पाकिस्तान जैसे देशों के मैच के पीछे के राजनीतिक समीकरण, ब्रॉडकास्टिंग राइट्स का खेल और कई ऐसे ही पहलुओं को सामने रखती है. पिछले सीज़न से विपरीत इस बार कहानी टाइम ट्रेवल क्रोनोलॉजी में चलती है. पूरे शो के दौरान भाईसाब, विक्रांत, ज़रीना के बचपन से लेकर बड़े होने तक की कहानी फ़्लैशबैक में दिखाई जाती है. जिससे इन कैरेक्टर्स का प्रेजेंट बिहेवियर आपको और बेहतर समझ आने लगता है. यहां तारीफ़ बनती है शो की प्रोडक्शन डिज़ाइनिंग टीम की. फ़िल्म का जितना भी क्रिकेटिंग सेटअप है, वो बहुत हद तक ऑथेंटिक नज़र आता है. क्रिकेट मैचों की जो क्राफ्टिंग है वो भी रियल लगती है.'इनसाइड एज 3' को रोचक बनाती है इसकी रियल राइटिंग. करण अंशुमन और नीरज उधवानी ने इस शो का स्क्रीनप्ले क्रिकेट से जुड़ी बहुत सी असल घटनाओं के इर्द-गिर्द बुना है. शो में क्रिकेट के अराउंड जो कुछ भी घटता है, वो आपको किसी ना किसी असली क्रिकेटिंग कन्ट्रोवर्सी की याद दिलाता है. इंडिया-पाकिस्तान के दौरान आम आदमी की उत्सुकता से लेकर ग्राउंड में दिख रहे नेताओं के दिमागी खेल को शो में अच्छे से पिरोया गया है. राइटिंग की एक अच्छी बात ये और है कि इसमें जितने भी कैरक्टर्स हैं, वो सभी बहुत ही लेयर्ड और ग्रे हैं. कोई भी टोटली ईविल नहीं है. अगर कोई बुरा काम भी कर रहा है, तो भी उसने अपने मन में उसका जस्टिफिकेशन दे रखा है. जैसे कि हम सभी देते हैं.
ख़ैर सब अच्छा ही नहीं है, कुछ नुक्स भी हैं. वैसे तो शो की शुरुआत बढ़िया पेस के साथ होती है लेकिन पांचेक एपिसोड्स के बाद मामला ठंडा पड़ने लगता है और क्लाइमेक्स तक बस गुनगुनाहट बचती है. इसकी एक वजह तो शो की लेंथ है, जहां प्रत्येक एपिसोड कुछ 40 से 50 मिनट के बीच का है. दूसरी वजह है लास्ट के एपिसोड्स में थोक के भाव में हुआ किरदारों का हृदयपरिवर्तन. नाम तो नहीं बता सकते स्पॉइलर हो जाएगा, लेकिन एक ही एपिसोड में अचानक से इतने सारे लोगों का हृदय परिवर्तन हो जाता है कि चंपक चाचा भी कॉम्प्लेक्स खा जाएं.

भाई साब.
# एक्टिंग कैसी लगी?
सत्ता और ताकत के लिए किसी को भी बलि चढ़ा देने को तैयार रहने वाले यशवर्धन पाटिल उर्फ़ भाईसाब के किरदार में आमिर बशीर ने तीसरे सीज़न में भी बेहतरीन काम किया है. ख़ासतौर से उनके और उनकी बेटी मंत्रा का किरदार प्ले कर रहीं सपना पब्बी के बीच के सीन्स में वो अलग स्टैंडआउट करते हैं. 'वेडनेसडे', और 'सेक्रेड गेम्स' में भी आमिर इम्प्रेसिव रहे थे. विवेक ओबेरॉय शो में विक्रांत धवन की भूमिका में हैं. इस बार विवेक सीरीज़ का सेंटर अट्रैक्शन पॉइंट रहेंगे. हालांकि इस बार उनके किरदार का अलग ही कंट्रास्ट देखने को मिलता है . ज़रीना मलिक के रोल में ऋचा चड्ढा ने एक बार फिर ज़बरदस्त परफॉरमेंस दी है. मंत्रा पाटिल के रोल में सपना पब्बी और देवेंदर मिश्रा के रोल में अमित सियाल ने एक बार फिर अपना कैलिबर शो में बखूबी दिखाया है. यहां स्पेशल मेंशन हिमांशी चौधरी का, जिन्होंने सुधा धवन का बहुत ही एजी रोल कुशलता से पोट्रे किया. हालांकि कुछ एपिसोड तक तो मैं उन्हें सुरवीन चावला ही समझता रहा था.
हिमांशी चौधरी का बेहतरीन काम.