The Lallantop
Advertisement

"बॉलीवुड साउथ इंडस्ट्री से ज़्यादा लोकतांत्रिक है" - गुलशन देवैया

उन्होंने कहा कि साउथ का हर बड़ा ऐक्टर फिल्मी परिवार से आता है.

Advertisement
gulshan devaiah bollywood south films nepotism
बाईं फोटो में नेटफ्लिक्स की Guns & Gulaab से गुलशन देवैया. दाईं फोटो में राम चरण और जूनियर एनटीआर, दोनों ऐक्टर्स फिल्मी परिवारों से आते हैं.
pic
यमन
18 जनवरी 2023 (Updated: 18 जनवरी 2023, 07:29 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

‘बॉलीवुड फलां है.’ ‘बॉलीवुड वाले ये करते हैं, वो करते हैं.’ ‘बॉलीवुड वाले टैलेंट को मौका नहीं देते, हम पर नेपोटिज़्म थोप रहे हैं.’ ‘असली क्रांति तो साउथ सिनेमा में हो रही है.’ सोशल मीडिया पर ऐसी बातें धड़ल्ले से पढ़ी होंगी. ज़्यादातर ये वही लोग लिखते हैं जिनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से कोई लेना-देना नहीं. बिल्कुल वैसे ही जैसे घर बैठे क्रिकेट मैच देखकर बोलना कि यार! कोहली से बेहतर बैटिंग तो मैं कर सकता हूं. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और नेपोटिज़्म जैसे सब्जेक्ट्स पर उनकी बातें सुनना, पढ़ना बेहतर है जो खुद इस इंडस्ट्री का हिस्सा हैं. भले ही आप उनकी राय से सहमति या असहमति रखते हों. 

‘मर्द को दर्द नहीं होता’ और ‘हंटर’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके गुलशन देवैया ने हाल ही में बॉलीवुड, साउथ की फिल्मों और नेपोटिज़्म जैसे टॉपिक्स पर बात की. उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि बॉलीवुड साउथ की इंडस्ट्री से ज़्यादा लोकतांत्रिक है. उन्होंने कहा,

अगर आप साउथ की इंडस्ट्री को देखें, वो इतना नाम कमा रहे हैं. आप सभी पॉपुलर ऐक्टर्स को नाम से जानते हैं और वो सभी फिल्मी परिवारों से आते हैं. हर किसी की तीसरी या चौथी पीढ़ी काम कर रही है. लेकिन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री उससे कई ज़्यादा डेमोक्रैटिक है. विजय वर्मा, सोहम शाह, मृणाल ठाकुर और मेरे जैसे लोगों को अच्छा काम करने को मिल रहा है. 

गुलशन ने कहा कि हम अपने दुर्भाग्य के लिए किसी-न-किसी को दोष देते ही हैं. ये हमारा ह्यूमन नेचर है. उन्होंने कहा कि ऐसा मुमकिन नहीं कि हर बार टैलेंटेड लोगों को ही मिला मिले. उनके मुताबिक हर कंपनी को ऐक्टर को चुनने से पहले बहुत सारी बातों के बारे में सोचना पड़ता है. गुलशन की बात का मतलब वैसा ही है कि किसी ऐक्टर को देखकर आपको लगे कि ये अच्छा ऐक्टर नहीं. मगर वो प्रोड्यूसर को 100-200 करोड़ रुपए की कमाई कर के दे रहा है, तो प्रोड्यूसर को कोई हर्ज़ नहीं. नेपोटिज़्म को इस तरह दिखाया गया है कि बाहर वालों को इससे लड़ना पड़ता है. गुलशन ने कहा कि ये सच है कि लोगों के पास ताकत होती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐक्टर्स को कोई जंग लड़नी पड़ रही हो.   

वीडियो: किताबवाला: प्रेम रोग फ़िल्म की लेखिका ने सुनाए बॉलीवुड के दिलचस्प क़िस्से

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement