पिछले 60 सालों से चलता जा रहा ये टीवी सीरियल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा!
पहले ही एपिसोड में 'बर्बाद' करार दिए जाने के बाद ये टीवी शो इतने सालों तक कैसे चलता रहा?
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पॉपुलर टीवी सीरियल तारक मेहता का उल्टा चश्मा, कोरोनेशन स्ट्री और साथ निभाना साथिया के पोस्टर्स.
# किस बारे में है 'कोरोनेशन स्ट्रीट'?
मैनचेस्टर सिटी में वेदरफील्ड नाम का एक काल्पनिक शहर है. इसी शहर में एक मोहल्ला है कोरोनेशन स्ट्रीट. यहां पर वर्किंग क्लास के लोग रहते हैं, जो रोज सुबह उठकर काम पर जाते हैं और शाम को अपने परिवार और आस-पड़ोस वालों के साथ वक्त बिताते हैं. 1960 में जब ये शो शुरू हुआ, तो तीन महिलाएं इसकी केंद्रीय पात्र थीं. 'कोरोनेशन स्ट्रीट' में इन महिलाओं समेत उस मोहल्ले के दूसरे लोगों की कहानियां दिखाई जाती थीं. मगर इस शो को लेकर समीक्षकों की राय कुछ ठीक नहीं थी. क्रिटिक्स का मानना था कि 'कोरोनेशन' स्ट्रीट में जिस तरह की ब्रिटिश लाइफ स्टाइल दिखाई गई थी, वो 1960 नहीं बल्कि 1950 के दशक की थीं. कहने का मतलब ये अपने समय से पीछे चलने वाला टीवी शो था. 1960 में जब कोरोनेशन स्ट्रीट का पहला एपिसोड टीवी पर प्रीमियर हुआ, तो इसकी समीक्षा करते हुए डेली मिरर ने लिखा-
''The programme is doomed from the outset ... For there is little reality in this new serial, which apparently, we have to suffer twice a week.''
यानी ये प्रोग्राम शुरू होने के साथ ही बर्बाद होने की कगार पर खड़ा नज़र आ रहा है. क्योंकि ये सीरियल असलियत से कोसों दूर है, जिसे हमें हफ्ते में दो बार झेलना पड़ेगा.''
कोरोनेशन स्ट्रीट का पोस्टर. ये शो कोरोनेशन स्ट्रीट नाम के एक फिक्शनल मोहल्ले में घटता है.
# जब शुरुआत में ही इस शो की इतनी हालत खराब थी, तो फिर ये अब तक चल कैसे रहा है?
'कोरोनेशन स्ट्रीट' के चलने के पीछे भी वही लॉजिक है, जो सलमान भाई की फिल्मों की सफलता के पीछे होता है. यानी कोई लॉजिक नहीं है. सिंपल सी चीज़ है ये है कि अगर किसी फिल्म या टीवी शो को क्रिटिक्स भला-बुरा कह रहे हैं, मगर जनता उसे खूब चाव से देख रही है, तो मेकर्स उस शो को ज़ाहिर तौर पर कंटिन्यू रखना चाहेंगे. अब सवाल ये है कि जनता को इस शो में क्या पसंद आ रहा था!
1. सबसे पहली चीज़ ये कि कि 60-70 के दशक में टीवी पर शोज़ तो आते थे मगर उसमें वर्किंग मिडल क्लास का प्रतिनिधित्व नहीं था. यानी कोई उनकी कहानी नहीं दिखाता था. ऐसे में टीवी पर एक नया शो आता है, जो पूरी तरह से वर्किंग मिडल क्लास के बारे में ही बात करता है. पब्लिक वही कॉन्टेंट देखेगी, जिससे रिलेट कर पाएगी. शुरुआत में यही चीज़ 'कोरोनेशन स्ट्रीट' के फेवर में काम कर गई.

कोरोनेशन स्ट्रीट में वर्किंग क्लास के लोगों की कहानी दिखाई जाती थी, जो एक ही मोहल्ले में रहा करते थे.
2. दूसरी चीज़ इस टीवी शो के सशक्त महिला किरदार. हमने आपको ऊपर बताया कि 'कोरोनेशन स्ट्रीट' की तीन मुख्य पात्र महिलाएं थीं. जबकि वास्तविकता में उस दौर की ब्रिटिश महिलाओं की हालत इसके ठीक उलट थी. वोट डालने का अधिकार मिल जाने के बावजूद उन्हें पुरुषों से कमतर आंका जाता था. लड़कियों को स्कूल से निकालकर नौकरी पर लगा दिया जाता था. मगर शादी के बाद उन्हें जॉब करने की परमिशन नहीं होती थी. इस शो की फीमेल लीड्स में ब्रिटेन की महिलाओं ने खुद को देखा.

शुरुआत में ये तीन महिलाएं ही कोरोनेशन स्ट्रीट की लीड कैरेक्टर्स थीं. ये सभी महिलाओं शुरुआती 10 साल से ज़्यादा समय तक इस शो के साथ बनी रहीं.
3. 'कोरोनेशन स्ट्रीट' के साथ एक बड़ी दिलचस्प चीज़ घटी. जब ये शो शुरू हुआ था, तो इसमें ह्यूमर का तड़का था. इस कॉमिकल अंडरटोन की वजह से 'कोरोनेशन स्ट्रीट' का एक लॉयल फैनबेस डेवलप हुआ. 70 के दशक में कई पॉपुलर एक्टर्स ने ये शो छोड़ दिया. क्रॉसरोड्स जैसे दूसरे शोज़ आए, जिन्हें खूब पसंद किया जाने लगा. 'कोरोनेशन स्ट्रीट' के दर्शकों की संख्या गिरने लगी. 1976 में बिल पॉडमोर को इस शो के साथ प्रोड्यूसर के तौर पर जोड़ा गया. बिल इससे पहले ग्रैनाडा प्रोडक्शंस के ही कॉमेडी डिपार्टमेंट में काम करते थे. उन्होंने कोरोनेशन जॉइन करने के बाद सबसे पहला बदलाव ये किया कि शो में कॉमेडी की ज़रूरत को गंभीरता से लेना शुरू किया. शुरुआत में सीरियस मामलों को 'कोरोनेशन स्ट्रीट' में लाने से बचने वाले मेकर्स इस शो में तमाम सोशल इशूज़ लेकर आए. मगर उन्होंने कॉमेडी को कभी नज़रअंदाज़ नहीं किया.
ये वो चीज़ें हैं, जो इस शो को एनलाइज़ करने, उन्हें देखने और उनके बारे में पढ़ने के बाद हमें समझ आती हैं. मगर हम ये चीज़ बार-बार कहते आए हैं कि कोई फिल्म या सीरीज़ क्यों सफल हुई या क्यों सफल नहीं हुई, इस बारे में कोई भी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकता.
# प्रिंस चार्ल्स और लेडी डायना की शादी से ज़्यादा लोगों ने 'कोरोनेशन स्ट्रीट' देखना पसंद किया
'कोरोनेशन स्ट्रीट' दुनिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला टीवी सोप ओपेरा यानी टीवी सीरियल है. 17 सितंबर, 2010 को इस शो ने अपने 10 हज़ार एपिसोड्स पूरे किए, जिसके बाद इसका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जा चुका है. अब इस ऐतिहासिक शो से जुड़ी कुछ इंट्रेस्टिंग बातें हम आपको बताने जा रहे हैं-
1. विलियम रोच नाम के एक्टर 'कोरोनेशन स्ट्रीट' में केन बार्लो नाम का किरदार निभाते हैं. वो इस शो के पहले एपिसोड से लेकर अब तक जुड़े हुए हैं. जिस कास्ट के साथ ये शो शुरू हुआ था, वो सभी एक्टर्स एक के बाद इस शो से अलग होते चले गए. कुछ लोगों की मौत हो गई. मगर विलियम अब भी इस शो का हिस्सा बने हुए हैं. वो ग्लोबल टीवी सीरियल्स के इतिहास में एक ही शो से सबसे लंबे समय तक जुड़े हुए एक्टर हैं.

विलियम रोच ने इस शो में केन बार्लो नाम के नौजवान लड़के के रोल से शुरुआत की थी. अब वो 88 साल के हैं और अब भी इस शो का हिस्सा हैं.
2. 'कोरोनेशन स्ट्रीट' से केन्नेथ कोप नाम के एक्टर पहली बार 1961 में जुड़े. एकाध बार शो में आवाजाही करने के बाद फाइनली 1966 में वो इस शो से अलग हो गए. अपनी लास्ट अपीयरेंस के 42 साल बाद वापस उन्होंने इस शो में फिर से एंट्री मारी. जेड स्टोन नाम का किरदार निभाने वाले कोप ने 2008 में इस शो में वापसी की थी.
3. 27 जुलाई, 1981 को टीवी पर केन बार्लो और डीर्ड्रे की शादी का एपिसोड दिखाया गया. बताया जाता है कि इसे ब्रिटेन में 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ लोगों ने देखा. जो कि इसके ठीक दो दिन बाद हुई प्रिंस चार्ल्स और लेडी डायना की शादी की व्यूअरशिप से ज़्यादा थी.

केन बार्लो और डीर्ड्रे की शादी वाले एपिसोड का एक दृश्य.
4. अप्रैल 1998 में 'कोरोनेशन स्ट्रीट' के एक एपिसोड में डीर्ड्रे को फर्जी केस में फंसाकर जेल में डालते हुए दिखाया गया था. जिस एपिसोड में उन्हें जेल भेजा गया, उस एपिसोड की व्यूअरशिप 19 मिलियन बताई जाती है यानी उस एपिसोड को तकरीबन दो करोड़ लोगों ने देखा. ये कोरोनेशन के इतिहास के सबसे चर्चित स्टोरीलाइन्स में से भी था. डीर्ड्रे को जेल की सजा होने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने भी कमेंट किया था. जिसके फौरन बाद उस किरदार को जेल से रिहा कर दिया गया.
'कोरोनेशन स्ट्रीट' के बहाने ये तो हो गई दुनिया की बात. अब हम आपको बताते हैं उन भारतीय टीवी सीरियल्स के बारे जो सबसे लंबे समय तक हमारी टीवी पर चलते रहे.
# हमारी लिस्ट में पहला नाम है मराठी टीवी सोप ओपेरा- 'चार दिवस सासूचे' का.
2001 में ईटीवी मराठी पर लॉन्च होने वाला ये इंडिया का पहला टीवी शो है, जिसने 2 हज़ार और 3 हज़ार एपिसोड्स के आंकड़े को छुआ. इस अचीवमेंट के लिए इस शो का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जा चुका है. 'चार दिन सासूचे', आशालता और अनुराधा नाम की दो महिलाओं की कहानी थी, जो लाइफ से प्रैक्टिकल तरीके से डील करती हैं. और अपनी फैमिली को किसी भी समस्या से बाहर निकाल लाती हैं. ये शो 5 जनवरी, 2013 को खत्म हो चुका है. फिलहाल कलर्स मराठी पर इसका री-रन चल रहा है.

इंडियन टीवी पर 2000 और 3000 एपिसोड्स के आंकड़े को छूने वाला ये पहला सीरियल था.
# हमारी लिस्ट में दूसरा है नाम है हिंदी भाषी टीवी शो- 'ये रिश्ता क्या कहलाता है'.
जनवरी 2009 में स्टार प्लस पर शुरू हुआ ये टीवी शो एक नए-नवेले कपल के बारे में था. अक्षरा और नैतिक की नई-नई शादी हुई थी. दो बिलकुल अंजान लोग एक-दूसरे को समझने के लिए क्या-क्या जतन करते हैं, ये शो इस प्यारे नोट से शुरू हुआ था. मगर कई टाइम लीप्स के बाद अब इसकी कहानी पर लीपा-पोती हो चुकी है. 3290 एपिसोड्स पूरे कर चुकने के बाद भी ये शो चल रहा है. वैसे तो इसे दिन में दो-तीन दफा स्टार प्लस पर देखा जा सकता है. मगर फिर भी किसी तरह की दिक्कत आती है, तो आप इसे डिज़्नी+हॉटस्टार पर भी देख सकते हैं.

ये शो इतने लंबे समय से चल रहा है कि अब पब्लिक भी नहीं समझ पा रही कि ये रिश्ता क्या कहलाता है.
# हमारी लिस्ट में तीसरा नाम है इंडिया के फेवरेट टीवी शो- 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' का.
28 जुलाई, 2008 को सोनी सब टीवी पर शुरू हुए इस शो को हम सोप ओपेरा नहीं मान सकते. क्योंकि ये सिट कॉम है. मुंबई में एक सोसाइटी है, जिसका नाम है गोकुलधाम. इस सोसाइटी में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए लोग रहते हैं. एक ही सोसाइटी में रहने की वजह से इनके सुख-दुख सिंक हो गए हैं. शो के लीड कैरेक्टर हैं जेठालाल, जिनकी खुद की इलेक्ट्रॉनिक्स अप्लाएंसेज़ की दुकान है. घर में प्यारी पत्नी है, नटखट बेटा है और पिताजी हैं. मगर इनकी सबसे जल्दी तुनक जाने की आदत है, जिसकी वजह से वो सोसाइटी वालों के निशाने पर रहते हैं. पिछले 12 सालों में ये शो इंडिया की लाइफ लाइन बन चुका है. तीन हज़ार से ज़्यादा एपिसोड्स पूरे करने के बाद भी ये शो अभी खत्म होता नज़र नहीं आ रहा. अगर आप बहुत बदकिस्मत नहीं रहे, तो जब भी टीवी खोलेंगे सोनी-सब पर आपको यही प्रोग्राम चलता हुआ दिखाई देगा. अगर टीवी पर नहीं दिख रहा, तो आप इसके पुराने एपिसोड्स यूट्यूब और सोनी लिव पर देख सकते हैं.

इस शो के 3000 एपिसोड्स पूरे हो जाने के बावजूद इसे देख बोरियत नहीं होती और पूरा परिवार इसे साथ बैठकर देख सकता है.
# हमारी लिस्ट में अगला नाम है 'बालिका वधू' का.
जुलाई 2018 में शुरू हुआ बालिका वधू नाम का ये शो शुरुआत में भारतीय टीवी पर आने वाले बड़े बदलाव का सूचक लग रहा था. क्योंकि इस शो में चाइल्ड मैरिज यानी बाल विवाह को रोमैंटिसाइज़ किए जाने की बजाय उस पर गंभीरता से बात हो रही थी. उसे गलत बताया जा रहा था. राजस्थान में सेट ये आनंदी और जगदीश नाम के दो बच्चों की कहानी थी, जिनकी बचपन में ही शादी हो जाती है. बाल विवाह से जुड़ी दिक्कतें कब इस शो से गायब हो गईं पता ही नहीं चला. अच्छी शुरुआत के बावजूद ये एक रेगुलर हिंदी टीवी शो बनकर रह गया. टाइम लीप की मदद से 2245 एपिसोड पूरे कर ये शो 31 जुलाई, 2016 को खत्म हो गया. बालिका वधू के पुराने एपिसोड्स आप MX Player पर देख सकते हैं.

इस शो ने अच्छी शुरुआत को कायदे से बिल्ड नहीं किया और रेगुलर हिंदी टीवी शो बनकर रह गया.
# हमारी लिस्ट में पांचवां नाम है 'साथ निभाना साथिया'.
मई 2010 को स्टार प्लस पर शुरू हुआ ये शो पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा था. इस शो का एक सीन था, जिसके ऊपर यशराज मुखाटे का बनाया गाना रसोड़े में कौन था खूब वायरल हो गया. खैर, ये शो दो बहनों के बारे में था, जिनकी शादी एक ही घर में दो भाइयों से हो जाती है. इसी कॉन्सेप्ट पर विशाल भारद्वाज की आखिरी फिल्म पटाखा भी बनी थी. शुरुआत में नएपन की उम्मीद जगाने वाले इस शो को बाद में देखकर नींद आने लगी थी. 2184 एपिसोड्स तक टीवी पर बने रहने के बाद जुलाई 2017 में ये शो खत्म हो गया. मगर अक्टूबर 2020 में इसका दूसरा सीज़न भी शुरू हो चुका है. जिस वायरल वीडियो का ज़िक्र ऊपर किया था, उसे आप यहां देख सकते हैं-