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चिरंजीवी की फिल्म 'टैगोर', जिसकी टिकट खरीदने के लिए लोग दबकर मर गए!

'टैगोर' की शूटिंग चल रही थी. चिरंजीवी की झलक पाने के लिए फैन्स जमा हो गए. माहौल बिगड़ गया. पुलिस पर पत्थरबाज़ी की, चप्पल फेंकी.

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ये चिरंजीवी के करियर की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक थी. अक्षय कुमार की 'गब्बर इज़ बैक' और 'टैगोर' एक ही फिल्म के रीमेक थे.
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यमन
10 जुलाई 2025 (Published: 08:12 PM IST) कॉमेंट्स
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साल था 2002. Chiranjeevi अपनी एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. नाम था Indra. हिंदी वाली जनता इसे ‘इंद्रा द टाइगर’ से पहचानती है. उस फिल्म से पहले लाइन से चिरंजीवी की फिल्में फ्लॉप हुई थीं. ट्रेड ऐनलिस्ट का भरोसा उनके सिनेमा से उठने लगा था. लिखा जाने लगा कि अब उनका टाइम जा चुका है. ऐसा उस एक्टर के लिए लिखा जा रहा था जो एक वक्त पर Bigger than Bachchan था. जिसने एक करोड़ रुपये की फीस मांगकर देश में हड़कंप मचा दिया था. ऐसी तमाम बातें बैकग्राउंड में थी, और सामने ‘इंद्रा’ की शूटिंग चल रही थी. एक सीन शूट होना था जहां चिरंजीवी का किरदार हेलीकॉप्टर से अपने गांव लौटता है. इस सीन में भीड़ की ज़रूरत थी, ताकि दिखाया जा सके कि उनके किरदार की झलक पाने के लिए गांव के लोग जमा हो गए. आमतौर पर ऐसे सीन्स के लिए एक्स्ट्राज़ को कास्ट किया जाता है. मगर ‘इंद्रा’ के केस में ऐसा करने की नौबत नहीं पड़ी.

हज़ारों की भीड़ चिरंजीवी को देखने उमड़ पड़ी. किसी को कास्ट करने की ज़रूरत नहीं हुई. ये था चिरंजीवी का स्टारडम. इतनी भीड़ तब जमा हुई जब ट्रेड कह चुका था कि चिरंजीवी अब रेलेवेंट नहीं रहे. ‘इंद्रा’ ने उनके करियर को 180 डिग्री घुमाकर रख दिया. पुराने दिन लौट आए. ये उस समय की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली तेलुगु फिल्म बन गई. ‘इंद्रा’ ने भले ही ताबड़तोड़ कमाई की, लेकिन फिर भी इसे शक की निगाहों से देखा जा रहा था. आलोचकों का मानना था कि एक फिल्म के चलने से कुछ भी तय नहीं होता. चिरंजीवी की अगली फिल्म क्या करती है, ये देखना होगा. अगली फिल्म क्या भूचाल लाने वाली थी, उसके लिए ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा. अगले ही साल Tagore रिलीज़ हुई. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पैसों की सुनामी ले आई. लंबे समय तक ‘इंद्रा’ के बाद सबसे ज़्यादा कमाऊ तेलुगु फिल्म बनी रही. चिरंजीवी और तेलुगु सिनेमा के लिहाज़ से ‘टैगोर’ ऐसी फिल्म नहीं थी, जिसका परिचय दो लाइन में सिमटकर रह जाए. ‘टैगोर’ के बनने और रिलीज़ होने की अपनी एक कहानी है. कैसे लोग मारे गए, डॉक्टर भड़क पड़े, फिल्म बनाने के लिए लड़ाई हुई. सब कुछ बताते हैं.

# राइट्स छीनकर फिल्म बना डाली?

‘गजनी’ वाले एआर मुरुगदास ने साल 2002 में एक तमिल फिल्म बनाई थी. वो अब नहीं चाहते होंगे कि उन्हें ‘सिकंदर’ वाले मुरुगदास के तौर पर पहचाना जाए. खैर उस तमिल का नाम ‘रमना’ था. लीड रोल में विजयकांत थे. कहानी एक कॉलेज प्रोफेसर की थी जो भ्रष्ट सिस्टम से परेशान हो गया है. अपने पुराने स्टूडेंट्स के साथ मिलकर एक टीम बनाता है. ये लोग भ्रष्ट मंत्रियों को किडनैप कर के मारते हैं. चिरंजीवी की फिल्म ‘टैगोर’ इसी का तेलुगु रीमेक थी. बताया जाता है कि इस फिल्म के राइट्स खरीदने के चक्कर में बहुत बड़ी दुश्मनी हो गई थी.

chiranjeevi tagore
ये श्रिया सरन की शुरुआती तेलुगु फिल्मों में से एक थी. 

तेलुगु सिनेमा के एक एक्टर हैं, राजशेखर. वो समय-समय पर चिरंजीवी की आलोचना करते रहे हैं. उन पर आरोप भी लगाए. इसी बयानबाज़ी की वजह से एक बार चिरंजीवी के कुछ फैन्स ने राजशेखर की गाड़ी पर हमला भी कर दिया था. दोनों के बीच इतनी अनबन हुई कि मामला कोर्ट तक जा चुका है. बताया जाता है कि ‘टैगोर’ वो पहला मौका था जिसकी वजह से दोनों एक्टर्स के बीच दरार आई. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक राजशेखर 'रमना' को तेलुगु में बनाना चाहते थे. उन्होंने फिल्म के प्रोड्यूसर्स से बातचीत भी शुरू कर दी. तभी चिरंजीवी की टीम उन प्रोड्यूसर्स के पास पहुंची. उन्होंने फिल्म के राइट्स खरीदने का लुभावना ऑफर दिया. और प्रोड्यूसर्स ने उन्हें राइट्स बेच दिए. कहते हैं कि इस बात से राजशेखर बहुत तिलमिलाए थे. उनके ऐसा महसूस करने का कारण ये भी था कि 'टैगोर' ने बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कमाई की थी.

# शूटिंग के बीच लाठीचार्ज हुआ, फैन्स भड़क पड़े

अगस्त 2023. तिरुपति की SV यूनिवर्सिटी के कैम्पस में ‘टैगोर’ की शूटिंग चल रही थी. चिरंजीवी को उस दिन सिर्फ 15 मिनट के लिए शूट करना था. समय भले ही कम था, फिर भी फैन्स उनकी एक झलक पाना चाहते थे. कैम्पस में हज़ारों की भीड़ जमा हो गई. फिल्म की टीम को ऐसी स्थिति का अंदाज़ा भी था. इसलिए वहां पुलिस भी तैनात थी. जब पुलिस को लगा कि भीड़ बेकाबू हो रही है, तो उन्होंने चिरंजीवी के फैन्स पर लाठीचार्ज कर दिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हल्का लाठीचार्ज था. पुलिस के इस रवैये पर फैन्स भड़क पड़े. उन्होंने पत्थरबाज़ी शुरू कर दी. पुलिस की ओर चप्पलें फेंककर मारी. ये देखकर पुलिस ने अपना लाठीचार्ज तेज़ कर दिया. इस दौरान दो फैन्स बुरी तरह घायल हो गए. आगे डायरेक्टर वी.वी. विनायक को फैन्स और पुलिस के बीच मध्यस्थता करवानी पड़ी और मामला शांत हुआ.

# “चिरंजीवी ने डॉक्टर्स के साथ अन्याय किया है”

‘टैगोर’ में एक सीन है जहां डॉक्टर्स फ्रॉड कर के लोगों से पैसा ठग रहे होते हैं. दिखाया जाता है कि हॉस्पिटल में आदमी एडमिट होता है, और नकली इलाज के बहाने लंबा-चौड़ा बिल बना दिया जाता है. फिल्म आने के बाद 21 साल बाद अब एक डॉक्टर ने उस सीन पर आपत्ति जताई है. वो चिरंजीवी के दोस्त भी हैं. हैदराबाद के KIMS हॉस्पिटल के CEO डॉक्टर गुरुवा रेड्डी ने कहा कि चिरंजीवी ने इस एक सीन के ज़रिए डॉक्टर्स को बदनाम किया है. Raw Talks with VK नाम के चैनल को दिए इंटरव्यू में डॉक्टर गुरुवा ने कहा,

चिरंजीवी मेरे दोस्त हैं. हमने साथ में खाना खाया है. मैंने उन्हें बताया कि उन्होंने 'टैगोर' के ज़रिए डॉक्टर्स और मेडिकल फील्ड का अपमान किया है. मेडिकल फील्ड में धांधलेबाज़ी होती है, लेकिन कोई भी इतना बुरा नहीं जितना फिल्म में दिखाया गया है. ये किसी डायरेक्टर का रचा सबसे खराब सीन में से एक है.

डॉक्टर गुरुवा ने कहा कि दुनिया में किसी भी डॉक्टर को ये अविश्वास की भावना महसूस नहीं करनी पड़ी होगी. लेकिन ‘टैगोर’ फिल्म आने के बाद उन लोगों के साथ ऐसा हुआ.

# टिकट लेने गए लोग दबकर मर गए

24 सितंबर 2003 के दिन ‘टैगोर’ सिनेमाघरों में लगी. आंध्रप्रदेश के शहर राजामुन्द्री में स्थित थिएटर उर्वशी सिनेमा ने भी ये फिल्म लगाई. सिनेमाघर ने टिकट बेचने के लिए सिर्फ एक खिड़की खोली. बड़ी तादाद में लोग उस खिड़की के आगे पहुंच गए. इतने लोग थे कि चंद मिनटों में पूरे शो की टिकट बिक गईं. भीड़ में पीछे खड़े लोग भी टिकट खरीदना चाहते थे. बेचैनी बढ़ने लगी. लोग धक्का-मुक्की करने लगे. थोड़ी ही देर में वहां भगदड़ शुरू हो गई. इस भगदड़ में रवि कुमार और लक्ष्मण राव नाम के दो लड़कों की मौत हो गई.

ऐसी घटना सिर्फ उर्वशी सिनेमा में ही नहीं हुई. आंध्रप्रदेश के अलग-अलग थिएटर्स से भगदड़ की खबरें आईं. बताया गया कि टिकट खरीदने के लिए लोगों ने भगदड़ मचा दी. उसके चलते कुछ लोग दबकर मर गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 4-5 लोग इस तरह की भगदड़ में मारे गए थे.

‘टैगोर’, चिरंजीवी के करियर की वो फिल्म थी जिसे फैन्स ने बहुत बड़ा बना दिया. यही वजह है कि फैन्स की वजह से चिरंजीवी ने फिल्म का क्लाइमैक्स बदलवा दिया था. ओरिजनल फिल्म के अंत में मुख्य किरदार को फांसी की सज़ा होती है. हालांकि चिरंजीवी को लगा कि उनके फैन्स को ये अच्छा नहीं लगेगा, कि एंड में उनका किरदार मर गया. इसलिए ‘टैगोर’ में दिखाया गया कि चिरंजीवी के किरदार को माफ कर दिया जाता है. ‘टैगोर’ जिस फिल्म का रीमेक थी, उसके रीमेक राइट्स लेकर एक हिंदी फिल्म भी बनाई गई. ये फिल्म थी साल 2015 में आई ‘गब्बर इज़ बैक’. अक्षय कुमार लीड रोल में थे. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की थी.

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