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सीरीज़ रिव्यू: छत्रसाल

कहानी उस राजा की, जिसने औरंगज़ेब को पस्त कर दिया.

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(बाएं) आशुतोष राणा एज़ आलमगीर औरंगज़ेब. (दाएं) जितिन गुलाटी एज़ राजा छत्रसाल.
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30 जुलाई 2021 (Updated: 29 जुलाई 2021, 05:11 AM IST) कॉमेंट्स
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29 जुलाई को MX Player पर एक नई ऐतिहासिक ड्रामा सीरीज़ 'छत्रसाल' (Chhatrasal) रिलीज़ हुई. सीरीज़ में कुल 20 एपिसोड्स हैं. हर एपिसोड 50 से 55 मिनट के बीच का है. शो की लेंथ काफ़ी है लेकिन हम भी पुराने 'बिंजिये' हैं. एक रात और आधी सुबह में खूब सारी कॉफ़ी के सहयोग से पूरी सीरीज़ एकबार में ही देख डाली है. शो कैसा है, कहानी क्या है, एक्टिंग कैसी है, इन सब विषयों पर बात करेंगे. #कहानी Chhatrasal की कहानी है 17वीं शताब्दी की. हिंदुस्तान पर मुग़लों का राज है. औरंगज़ेब ने शाहजहां से गद्दी छीन अपनी क्रूरता और खौफ़ के बलबूते ना सिर्फ़ मुग़लिया सल्तनत बल्कि पूरे हिंदुस्तान को कब्ज़ा लिया है. ज्यादातर राज्यों के राजा औरंगज़ेब की असीम ताकत के आगे बिना लड़े घुटने टेकते जा रहे हैं. इसी वक़्त दिल्ली से दूर बुंदेलखंड में बुंदेला रियासत के चंपत राय की पत्नी लाल कुंवरी के यहां एक पुत्र पैदा होता है. शिशु का नाम रखते हैं छत्रसाल. माता-पिता से युद्ध कौशल और शास्त्रों का ज्ञान लेते हुए छत्रसाल बड़े हो रहे होते हैं कि एक दिन मुग़ल सैनिक हमला कर चंपत राय की पत्नी समेत ह्त्या कर देते हैं. 12 वर्ष के अनाथ छत्रसाल प्रण लेते हैं कि वो एक दिन अपने मां-बाप की हत्या का बदला औरंगज़ेब की गर्दन काटकर लेंगे. मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित होकर मात्र 22 साल की उम्र में 5 घुड़सवारों और 25 सैनिकों की टुकड़ी लेकर मुग़लों की विराट सेना से लोहा ले लेते हैं. वक़्त के साथ औरंगज़ेब की क्रूरता और छत्रसाल का शौर्य लगातार बढ़ता जाता है. छत्रसाल अपने गुरु प्राणनाथ जी के दिखाए मार्ग पर चल भविष्य में औरंगज़ेब जैसे शासक से कैसे बुंदेलखंड को आज़ाद करवाते हैं, ये इस सीरीज़ में देखने को मिलता है.
शिवाजी महाराज से भेंट करते राजा छत्रसाल.
शिवाजी महाराज से भेंट करते राजा छत्रसाल.

#कैसा है Chhatrasal शो? हिंदुस्तान के इतिहास में ऐसे बहुत से वीर और वीरांगनाएं हुईं हैं, जिन्हें हमारी पाठशाला की इतिहास की पुस्तकों के सीमित पाठ्यक्रम में जगह नहीं मिली. लिहाज़ा उनके शौर्य से जन मानस का एक बड़ा हिस्सा अंजान रहा. और सिर्फ मुट्ठी भर इतिहासकारों को ही इन वीरगाथाओं को पढने को मौक़ा मिला. सिनेमा के माध्यम से भी उन शासकों की ही कहानी पर्दे पर आईं जिनके बारे में जनता को पहले से थोड़ी-बहुत ही सही लेकिन जानकारी थी. क्यूंकि किसी 'अनसंग वारियर' की कहानी सिनेमा के पर्दे पर लाना अपने आप में एक बड़ा आर्थिक रिस्क है. इसी वजह से ज्यादातर मेकर्स मौजूदा ट्रेंड से जुड़ी आर्थिक सिक्योरिटी देने वाली 'क्राइम+कॉमेडी+एक्शन' के फ़ॉर्मूला वाली फ़िल्में बना कर सेफ़ खेलते हैं.
ऐसे में राजा छत्रसाल की कहानी पर बेस्ड शो से अपने सिनेमैटिक करियर की शुरुआत करने का जोखम लेने वाले डायरेक्टर अनादी चतुर्वेदी को साधुवाद. आइडिया तो काफ़ी अच्छा है, उसका एग्जीक्यूशन कैसा है? # आम VFX 'छत्रसाल' के VFX काफ़ी आम हैं. मतलब जहां भी VFX वाले सीन आते हैं, वहां साफ़ एनीमेशन नज़र आ जाता है. स्पष्ट मालूम पड़ता है कि ज्यादातर एक्टिंग ग्रीन स्क्रीन के आगे हुई है. लेकिन एक सीमित बजट में बनी सीरीज़ से 'गेम ऑफ़ थ्रोंस' के स्तर के VFX की उम्मीद करना भी ज़्यादती होगी. दूसरा भले एनीमेशन रियल ना लगे, लेकिन चॉइस ऑफ़ कलर्स एंड बैकग्राउंड परफेक्ट है.
 सीन एनिमेटेड भले लग रहा है लेकिन कहीं से भी भद्दा नहीं लगता.
सीन एनिमेटेड भले लग रहा है लेकिन कहीं से भी भद्दा नहीं लगता.

# साधारण प्रॉड्क्शन डिज़ाइन सीरीज में आपको भंसाली के करोड़ों के लागत में बनने वाले सेट्स की भव्यता नहीं दिखेगी. शो के दौरान 'फ़िल्म सेट' का अहसास आपको होता रहेगा. 'शो में इस्तेमाल किए गए तलवार, ढाल जैसे प्रॉप्स पर चढ़ा ताज़ा चांदी का रंग भी शो के टाइट बजट की तरफ लगातार इशारा करता रहेगा. # एक्स्ट्रा हीरोइज़्म  मुग़ल सल्तनत के हाथों राज्य छुड़वाने वाले राजा छत्रसाल बेशक वीर थे. लेकिन सीरीज़ में उनकी वीरता में जोड़ा गया एक्स्ट्रा 'सुपर हिरोइज्म' हल्का सा खलता है. जैसे जब बाल छत्रसाल पानी में बहुत सारे मगरों से तेज़ तैरकर बिना किसी सहारे 8 फ़ीट ऊपर लटक रही बेल को नागराज की तरह पकड़ लेते हैं. और तब, जब छत्रसाल के माता-पिता दो पहाड़ियों के बीच के लगभग 100 फीट के फांसले को कृष की तरह टाप लेते हैं. अगर एडिटिंग टेबल पर ये सीन्स छांट दिए जाते, तो शो और ज्यादा बेहतर होता. #बढ़िया एक्टिंग आशुतोष राणा शो में आलमगीर औरंगज़ेब के किरदार में हैं. सबसे पहले तो कास्टिंग पॉइंट ऑफ़ व्यू से देखा जाए, तो औरंगज़ेब के लिए आशुतोष राणा का चुनाव अच्छा है. पेंटिंग्स से औरंगज़ेब की जो छवि हमारी आंखों के आगे बनती है, उसमें आशुतोष एकदम फिट बैठते हैं. शो देख मालूम पड़ता है औरंगज़ेब के किरदार के लिए उन्होंने कुछ वज़न भी बढाया है. शाही लिबास के नीचे भारी शरीर काफ़ी असल लगता है. एक अधेड़ उम्र का औरंगज़ेब ऐसा ही रहा होगा. राजा छत्रसाल के किरदार में जितिन गुलाटी हैं. जितिन का आगमन चौथे एपिसोड में होता है. चौथे से बीसवें एपिसोड तक जितिन कहीं निराश नहीं करते. राजा छत्रसाल के जवानी से बुढ़ापे के सफ़र को जितिन ने सधे ढंग से निभाया है. 'एम्.एस धोनी :द अनटोल्ड स्टोरी' में छोटी भूमिका निभाने वाले जितिन के लिए राजा छत्रसाल का किरदार करना, वो भी आशुतोष राणा जैसे अभिनेता के सामने, करियर का टर्निंग पॉइंट है.
औरंगज़ेब के किरदार में आशुतोष राणा.
औरंगज़ेब के किरदार में आशुतोष राणा.


'छत्रसाल' की सूत्रधार हैं नीना गुप्ता. शुरुआत से अंत तक नीना जी भिन्न-भिन्न रॉयल साड़ियों में दर्शकों को कहानी से जोड़ती हुईं चलती हैं. जितिन के अपोज़ीट वैभवी शांडिल्य अच्छी हैं. किशोर छत्रसाल के रोल में रूद्र सोनी भी प्रशंसा के हकदार हैं. रूद्र कई फिल्मों और सीरीज़ में पौराणिक पात्रों का चित्रण कर अब इन तरीकों के किरदार निभाने में निपुण हो चुके हैं. #देखें या नहीं?

कई टेक्निकल मापदंडों पर 'छत्रसाल' भले कमज़ोर पड़ती है, लेकिन शो की स्टोरी यानी राजा 'छत्रसाल' की जीवनगाथा, उनकी औरंगज़ेब जैसे तानाशाह को पस्त कर देने की कहानी बहुत ही ज्ञानपूर्ण और रोचक है. धर्मनिरपेक्षताऔर समाजवाद के सिद्धांतों पर चलने वाले महाराज छत्रसाल की कहानी की आज के दौर में सख्त ज़रूरत है.

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