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2024 में आई वो 5 अंडर-रेटिड फिल्में जिन्हें पैन-इंडिया फिल्मों का शोर दबा नहीं पाया!

ये वो फिल्में हैं जो आपको अमीर बनाएंगी, खुद से बात करने पर विवश करेंगी.

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इस लिस्ट में कुछ प्यारी फिल्में हैं तो कुछ ऐसी जो समाज पर तीखी टिप्पणी करती हैं.
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यमन
31 दिसंबर 2024 (Published: 05:19 PM IST) कॉमेंट्स
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साल 2024 में बड़ी फिल्मों ने सिनेमाघरों में बहुत शोर मचाया. किसी ने Pushpa 2 देखकर बहुत हूटिंग की, तो किसी को Kanguva के लाउड साउंड से दिक्कत थी. बहरहाल इस शोर के बीच देशभर से कुछ प्यारी, मज़बूत फिल्में भी निकलीं जो किसी बड़े नाम की वजह से नहीं, बल्कि अपने दमदार काम की वजह से पसंद की गईं. साल 2024 के ऐसे ही लिटिल जेम्स के बारे में बताएंगे:       

#1. फेरी फोक (अंग्रेज़ी/हिंदी) 
डायरेक्टर: करण गौर
कास्ट: रसिका दुग्गल, मुकुल चड्ढा 

कहानी के केंद्र में रितिका और मोहित हैं. एक शहरी कपल जिनके जीवन में सब कुछ साधारण चल रहा है. एक रात उन्हें रास्ते में एक विचित्र जीव मिलता है. घबराकर दोनों अपनी गाड़ी को रास्ते में ही छोड़ देते हैं. घर लौट आते हैं. लेकिन पाते हैं कि वो जीव उनका पीछा कर रहा है. पहली नज़र में वो किसी पुतले जैसा प्रतीत होता है. लेकिन धीरे-धीरे समझ आता है कि वो उन दोनों की अधूरी इच्छाओं का मैनीफेस्टेशन है. फिल्म को देखते हुए ऐसा महसूस होगा कि आपका हाथ किसी धीमी आंच पर रखा है. धीरे-धीरे उसकी तपन बढ़ती है मगर आप इतना सम्मोहित हो चुके कि वहां से हाथ नहीं उठा सकते.

#2. कुटुकाली (तमिल) 
डायरेक्टर: पी.एस. विनोदराज 
कास्ट: एना बेन, सूरी 

विनोदराज की पिछली फिल्म The Pebbles साल 2022 में होने वाले ऑस्कर अवॉर्ड के लिए इंडिया की तरफ से ऑफिशियल एंट्री थी. विनोदराज की दूसरी फिल्म एक रोड मूवी है. इसकी कहानी ऐसी है जिसे चंद लाइनों में बयां नहीं किया जा सकता. ये आपकी अपनी खोज होनी चाहिए. आप दो किरदारों से मिलते हैं. उनके बारे में अपनी राय बनाने लगते हैं लेकिन फिर समझ में आता है कि कहानी सिर्फ इतनी नहीं. फिल्म सिर्फ आपको इन दोनों से नहीं मिलवाती बल्कि उसके साथ-साथ हमारी रूढ़िवादी व्यवस्था पर भी चोट करती है. 

#3. प्रेमलु (मलयालम)
डायरेक्टर: गिरीश A.D.  
कास्ट: ममिता बायजु, नसलीन गफूर 

कहानी कुछ नौजवानों की है जो अपने घर से दूर रह रहे हैं. अपनी पहली नौकरी शुरू करने जा रहे हैं. वयस्क जीवन का स्वागत कैसे करते हैं, ज़िंदगी के उस पड़ाव से कैसे डील करते हैं जिसके लिए उन्हें किसी ने तैयार नहीं किया था, यही इस फ़ील गुड फिल्म की कहानी है. इस छोटी-सी फिल्म को इतना प्यार मिला कि इसने देशभर से 75 करोड़ रुपये की कमाई कर डाली. 

#4. लाफिंग बुद्धा (कन्नड़ा)
डायरेक्टर: एम. भरत राज 
कास्ट: प्रमोद शेट्टी, तेजु बेलवाडी 

एक पुलिस ऑफिसर की नौकरी खतरे में है. अपने बढ़े हुए वजन के चलते वो सस्पेंड हो सकता है. ऐसे में एक एक कांस्टेबल अपने दायरे से बाहर जाकर उसकी एक केस में मदद करने लगता है. ताकि सीनियर अधिकारी की नौकरी बची रहे. एक कॉमेडी ड्रामा फिल्म जो दर्शाती है कि पुलिसवालों का आम जीवन आखिर होता कैसा है.     

#5. बर्लिन (हिंदी)
डायरेक्टर: अतुल साभरवाल 
कास्ट: अपारशक्ति खुराना, इश्वाक सिंह 

फिल्म को अपना टाइटल बर्लिन कैफे से मिला. ये एक कैफे है जहां पर जांच एजेंसी के लोग आपस में खुफिया जानकारी साझा करते हैं. अशोक नाम का वेटर यहां काम करता है. वो बोल-सुन नहीं सकता. एक दिन उसे अचानक से गिरफ्तार कर लिया जाता है. उस पर आरोप है कि वो जासूसी कर रहा था. जांच एजेंसी के अधिकारी उससे पूछताछ करना शुरू करते हैं लेकिन वो किसी दिशा में आगे नहीं बढ़ पा रहे. थक हारकर एक साइन लैंग्वेज़ के टीचर को बुलाया जाता है. पुश्किन नाम का ये शख्स अशोक से बातें करने लगता है. उसे एहसास होता है कि कहानी सिर्फ उतनी नहीं, जितनी सतह पर दिख रही है. बीते कुछ सालों में हिंदी सिनेमा से ज़्यादा मज़बूत पॉलिटिकल फिल्में नहीं निकली, ऐसे में ‘बर्लिन’ एक अपवाद साबित होती है. देखी जानी चाहिए.

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