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ये 26 साल का नौजवान पंजाब का CM हो सकता है

इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इन्होंने लंबा सफर तय किया है, ज़ीरो से शुरु कर के.

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निखिल
10 मार्च 2017 (Updated: 10 मार्च 2017, 01:07 IST)
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पंजाब में वोटिंग ख़त्म हुए एक महीने से ऊपर का समय हो गया है. 4 फ़रवरी को हुई थी वोटिंग. लेकिन इतने समय के बाद भी लोगों में नतीजों की दुग्दुगी ज़रा भी कम नहीं हुई है. क्या जनता, क्या नेता, क्या कार्यकर्ता, सबने सांस रोक कर आज का इंतज़ार किया है. अब तक एग्ज़िट पोल के नतीजे हमारे सामने हैं. इनकी मोटा-माटी राय ये है कि अकाली का सूपड़ा साफ होगा और सरकार कांग्रेस की बनेगी. लेकिन कल सबका ध्यान रहेगा आम आदमी पार्टी पर, जो पंजाब में पहली बार चुनाव लड़ रही है.
पंजाब वो राज्य है जहां आम आदमी पार्टी की लाज 2014 के लोकसभा चुनावों में बच गई थी. इस बार के विधानसभा चुनावों में 'आप' को सीरियस कंटेंडर माना जा रहा है. एक सर्वे में तो पार्टी लगभग सत्ता की दहलीज़ पर नज़र आ रही है. पंजाब की एग्ज़िट पोल कुंडली यहां
 क्लिक कर के पढ़ें. अगर 'आप' सचमुच पंजाब में झंडा गाड़ देती है, तो पंजाब का मुख्यमंत्री कौन होगा? लोग बताते हैं कि हरजोत सिंह बैंस नाम का एक नौजवान. अगर आपका सवाल है कि ये कौन हैं, तो जवाब ये रहा:
हरजोत सिंह बैंस
हरजोत सिंह बैंस (फोटोःफेसबुक)


हरजोत लुधियाना के सहनेवाल से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. लेकिन उनका सबसे सटीक इंट्रो यही है कि किस्मत ने साथ दिया तो वे पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे. महज़ 26 साल की उम्र में. महज़ इसलिए कहा क्योंकि इस उमर में लोग राजनीति ही नहीं, किसी भी करियर में उस मुकाम की कल्पना नहीं करते जो हरजोत पा सकते हैं. ये उमर ज़्यादातर नौजवानों के लिए एक अदद नौकरी ढूंढने की है. नौकरी मिल जाए तो बचाने की है. और बच गई तो अप्रेज़ल की चिंता करने की है. लेकिन हरविंदर अलहदा हैं. वे इस उम्र में पंजाब के अगले सीएम हो सकते हैं.
हरजोत आज अरविंद केजरीवाल के करीबी बताए जाते हैं. लेकिन उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय किया है. शुरुआत छह साल पहले 2011 में हुई. उस साल के अप्रैल में दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हज़ारे भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे थे. आंदोलन के विस्तार और असर पर बहस होती रहे, पर इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि देश के लाखों नौजवानों को उम्मीद की एक किरण नज़र तो ज़रूर आई थी. हरजोत उन्हीं लाखों में से एक थे. वकील बनना चाहते थे, लेकिन अन्ना की आवाज़ उन्हें खींच रही थी.
हरजोत सब छोड़ कर राजनीति में उतर गए हैं, लेकिन उन्हें परिवार का साथ मिला हुआ है. पिता का ट्रांसपोर्ट का कारोबार है. वे जब प्रचार करने निकलते, तो उनके साथ उनकी मां और बहन आगे चलतीं. उन्हें इस बात का संतोष होगा कि हरजोत अपनी उम्र के 'युवा' छात्र नेताओं से अलहदा हैं. पार्टी के काम के साथ उनकी पढ़ाई चली है. और लॉ के इम्तिहान में वो फर्स्ट डिजीज़न से पास हुए हैं.
हरजोत प्रचार करते हुए. (फोटोःफेसबुक)
हरजोत प्रचार करते हुए. (फोटोःफेसबुक)


अन्ना दिल्ली में आवाज़ बुलंद कर रहे थे, हरजोत ने लुधियाना के जगराओं पुल पर धरना देना शुरु किया. ज़्यादा लोग नहीं जुटते थे. लेकिन हरजोत जितने दिन आंदोलन चला, उतने दिन गए. आंदोलन बाद में ठंडा पड़ गया लेकिन हरजोत का उत्साह बना रहा. कहीं से मनीष सिसोदिया का फोन नंबर ढूंढ कर निकाला. और यहीं से हरजोत की 'आप' की कहानी ने रफ्तार पकड़ी. 2013 में जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ा, तब बैंस ने हरी नगर और तिलक नगर में प्रचार की कमान संभाली.
और ये मेहनत रंग लाई. दिल्ली में 'आप' के प्रदर्शन ने लोगों को दंग किया और हरजोत पर पार्टी का भरोसा बढ़ा. 2014 में जब आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा, तब पंजाब में पार्टी के कन्वीनर हरजोत बनाए गए. पंजाब में पार्टी 4 सीटें जीत गई. इसके बाद ज़िम्मेदारी मिली पार्टी के यूथ विंग की. अब पंजाब में पार्टी ने चुनाव लड़ा तो उन्हें टिकट मिला. उनके खिलाफ शिरोमणी अकाली दल के शरणजीत सिंह ढिल्लों और कांग्रेस की सतविंदर कौर बिट्टी खड़ी हैं. हरजोत ने आम आदमी पार्टी के फैशन में प्रचार किया है. ज़मीन से लेकर फेसबुक-ट्विटर सब जगह.
अब तक पंजाब में हमेशा द्विपक्षीय मुकाबला होता आया है. एक तरफ शिरोमणि अकाली दल-भाजपा गठबंधन और दूसरी तरफ कांग्रेस. इस बार आम आदमी पार्टी ने एंट्री लेकर मामला रंगीन और संगीन दोनों कर दिया है. कहा जा रहा है कि अपने पहले ही चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने सभी धुरंधरों की ज़मीन हिला दी है. नतीजा क्या होगा, चंद घंटों में मालूम चल जाएगा.


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