झारखंड में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर इंडिया ब्लॉक में फंसा पेच, राजद ने दिए बगावत के संकेत
Jharkhand में इंडिया ब्लॉक में सीट बंटवारे को लेकर आपसी खटपट खुलकर सामने आ गई. RJD ने सीट बंटवारे के फॉर्मूले से असहमति जता दी है. उन्होंने अकेले चुनाव में जाने की धमकी भी दी है. वहीं दूसरी ओर NDA ने बिना किसी खटपट के सीट बंटवारे की प्रक्रिया को अंजाम दिया है.
झारखंड चुनाव (Jharkhand vidhansabha chunav 2024) के लिए शनिवार (19 अक्तूबर ) का दिन काफी अहम रहा. इस दिन एक तरफ जहां बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की. वहीं इंडिया गठबंधन भी सीट बंटवारे का एक फॉर्मूला सामने आया. इस फॉर्मूले के सामने आते ही इंडिया गठबंधन की आपसी अंतरकलह खुल कर सामने आ गई. इंडिया ब्लॉक के एक घटक राजद ने तो अकेले चुनाव लड़ने की धमकी तक दे डाली. वहीं लेफ्ट पार्टियां भी इस बंटवारे से खुश नहीं बताई जा रही हैं. पहले इंडिया गठबंधन के सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को जान लेते हैं. फिर इनकी खींचातानी की इनसाइड स्टोरी समझेंगे.
19 अक्तूबर को हेमंत सोरेन के आवास पर कांग्रेस और राजद के साथ दिन भर बैठकों का सिलसिला चला. इसके बाद देर शाम हेमंत सोरेन मीडिया के सामने आए. उनके साथ प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, विधायक दल के नेता रामेश्वर उरांव और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी मौजूद थे. हेमंत सोरेन ने मीडिया को बताया कि इंडिया गठबंधन सभी 81 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेगा. उन्होंने कहा,
पिछली बार हम (JMM) कांग्रेस और राजद साथ लड़े थे. इस बार लेफ्ट भी गठबंधन का हिस्सा रहेगा. हमने तय किया है कि 70 सीटों पर JMM और कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. और बाकी बची 11 सीटों पर राजद और वाम दल लड़ेंगे. कौन किस सीट से लड़ेगा. जल्द ही राजद और वामदलों के नेताओं के साथ बैठकर इसका फॉर्मूला बना लेंगे.
JMM और कांग्रेस के खाते में कितनी सीटें गई हैं. अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, JMM 41 और कांग्रेस 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं राजद को 7 और लेफ्ट पार्टियों को 4 सीट ऑफर किया गया है.
राजद ने खोला मोर्चाहेमंत सोरेन के प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के नेता तो मौजूद रहें. लेकिन रांची में मौजूद रहने के बावजूद तेजस्वी यादव या राजद और लेफ्ट का कोई नुमाइंदा नहीं था. हेमंत सोरेन की इस घोषणा के बाद 21 अक्तूबर को दिन भर रूठने- मनाने का दौर चलता रहा. इस दिन राहुल गांधी भी संविधान सम्मेलन में हिस्सा लेने रांची पहुंचे थे. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक ही होटल में ठहरे थे. लेकिन दोनों में मुलाकात नहीं हुई. इस बीच हेमंत सोरेन होटल आए और राहुल गांधी से मुलाकात कर निकल गए.
इन सब घटनाक्रमों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सामने आने के बाद राजद ने मोर्चा खोल दिया. राजद सांसद मनोज झा ने इसे एकतरफा बताते हुए राजद के लिए और सीटों की मांग की. मनोज झा ने रांची में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी को 12-13 सीटों से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. उन्होंने दावा किया कि 18 से 20 सीटों पर राजद का मजबूत जनाधार है.
मनोज झा ने आगे बताया,
राजद और माले को मीटिंग में क्यों नहीं बुलाया गयाजब सभी दल के नेता रांची में ही मौजूद हैं तो हम इस बात से दुखी हैं कि गठबंधन की बनावट प्रक्रिया में हमें शामिल नहीं किया गया. सारे फैसले मैगी टू मिनट नूडल्स नहीं होते हैं. हमारे पास तमाम विकल्प खुले हैं.
कांग्रेस और JMM की मीटिंग में आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों को नहीं बुलाया गया. इस मुद्दे पर राजद प्रवक्ता कंचना यादव ने बताया,
हम गठबंधन के सहयोगी हैं. और हमें टेबल टॉक में शामिल करना चाहिए था. पिछली बार हमने सैक्रिफाइस किया. और सात सीटों पर लड़ने को राजी हुए. लेकिन इस बार हमारे संगठन के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की डिमांड है कि हमें ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए.
वहीं बागोदर विधानसभा सीट से CPI(ML)L विधायक विनोद सिंह ने बीबीसी से बातचीत में बताया कि उनकी पार्टी को क्यों दूर रखा गया इसका जवाब तो JMM और कांग्रेस ही दे सकती है. उन्होंने बताया,
राजद के दावे का आधारवैसे तो हमने एक दर्जन सीटों की लिस्ट दी है. लेकिन छह सीट निरसा, सिंदरी, बगोदर, राजधनवार, जमुआ और पांकी की मांग कर रहे हैं. ये वो सीट हैं. जहां हम या तो जीतते रहे हैं. या फिर दूसरे नंबर पर रहे हैं. हरियाणा से सबक लेते हुए बड़ी पार्टियों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. अगर दायरा बढ़ाना है तो उन्हें अपनी सीटें काम करनी चाहिए.
इंडिया ब्लॉक में अभी सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हुई है. लेकिन मौजूदा फॉर्मूले के तहत राजद को 7 सीट देने की बात कही गई है. पिछले चुनाव में राजद सात सीटों पर लड़ी थी. और उनमें से केवल एक चतरा की सीट उनके खाते में गई थी. जबकि बाकी छह सीटों में देवघर गोड्डा, कोडरमा, छतरपुर और हुसैनाबाद में वह दूसरे स्थान पर रही थी. इन सीटों पर हार का अंतर 1500 से 3000 वोटों का रहा था. वहीं बरकट्ठा में राजद सातवें स्थान पर रही. मनोज झा ने इसको ही आधार बनाकर 12 से 13 सीटों का दावा किया है. उनका कहना है कि पार्टी के प्रत्याशी पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे थे. इसलिए 12 सीटों पर राजद का मजबूत दावा बनता है.
मनोज झा के इस दावे पर JMM के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
राजद बिना किसी आधार के बात कर रही है. जिससे मुश्किलें पैदा हो रही है. वह दूसरे स्थान पर रहने वाली सीटें गिन रही है. जबकि हम जीती हुई सीटों को गिन रहे हैं. और उन्होंने केवल एक सीट जीती है. अगर कांग्रेस राजद को शामिल करना चाहती है तो उन्हें अपने कोटे से ऐसा करना चाहिए. राष्ट्रीय स्तर पर राजद और कांग्रेस सहयोगी है. इसमें क्षेत्रीय पार्टी JMM को परेशान होने की क्या जरूरत है.
JMM से जुड़े एक और सूत्र ने बताया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने तीन सीटों की मांग की थी. जिसमें कटोरिया की अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षित सीट भी शामिल थी. लेकिन राजद ने इससे इनकार कर दिया. और अब वे चाहते हैं कि JMM उन्हें समायोजित करे. हालांकि उन्होंने आगे बताया कि गठबंधन में आ रहे मतभेदों को दूर कर लिया जाएगा.
एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक की तैयारीएक तरफ इंडिया ब्लॉक में जहां सीट शेयरिंग को लेकर खींचातानी जारी है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने सब कुछ बहुत आसानी से तय कर लिया. पिछले चुनाव में बीजेपी और सुदेश महतो की पार्टी आजसू का गठबंधन नहीं हो पाया था.जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा. लेकिन इस बार बीजेपी ने दस सीट देकर आजसू को भी मना लिया है. वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू को 2 और 3 सीटों पर दावा कर रहे चिराग पासवान के हिस्से 1 सीट आई है. जबकि बीजेपी बाकी बची 64 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. पिछली बार बीजेपी से बागी होकर सरयू राय ने रघुबर दास के खिलाफ जमशेदपुर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ा था. और जीते भी थे. लेकिन इस बार उनको जमशेदपुर वेस्ट की सीट पर शिफ्ट कर दिया है. वो जदयू के सिंबल पर इस सीट से चुनाव लड़ेंगे.
सीनियर पत्रकार आनंद दत्त बताते हैं,
ये मैसेज लाउड एंड क्लियर है कि हिमंता बिस्वा सरमा ने सरयू राय जैसे टेंढे नेता को साध लिया. वो जिस सीट से जीते उसके बजाय उनको उनकी पुरानी सीट पर भेज दिया. और लोजपा को 1 सीट देकर शांत कर दिया. उनका मैसेज क्लियर है कि यहां कोई खटपट नहीं है. बीजेपी में टिकट की चाह रखने वाले कुछ लोगों ने बगावत किया है. लेकिन उनकी हैसियत इतनी नहीं है कि पार्टी को कोई नुकसान पहुंचा सके.
आनंद दत्त ने आगे बताया कि पीएम मोदी एक महीने में दो बार झारखंड का दौरा कर चुके हैं. वहीं राहुल गांधी केवल एक बार झारखंड पहुंचे हैं. वो भी खानापूर्ति भर है. राजद और कांग्रेस का संगठन राज्य में बिलकुल कमजोर हो चुका है. और इनकी नैय्या हेमंत सोरेन के सहारे ही है. इंडिया ब्लॉक की ओर से चुनाव कैंपेन की पूरी जिम्मेदारी हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के कंधे पर है. चुनाव की तारीखों के एलान होने से पहले से ही सरकारी कार्यक्रमों के जरिए दोनों हर दिन आम लोगों के बीच पहुंच रहे हैं.
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