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तमाड़ सीट से चुनाव लड़े पूर्व नक्सली कुंदन पाहन की जमानत जब्त हो गई

वो सीट जहां से सीएम रहते शिबू सोरेन हार गए थे.

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कुंदन पाहन, विकास मुंडा और राजा पीटर.
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डेविड
23 दिसंबर 2019 (Updated: 23 दिसंबर 2019, 05:32 PM IST) कॉमेंट्स
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सीट: तमाड़ प्रत्याशी: विकास मुंडा, जेएमएम राजा पीटर, एनसीपी पूर्व नक्सली कुंदन पाहन, निर्दलीय राम दुरलव सिंह मुंडा, AJSU पार्टी

तमाड़ सीट से JMM के विकास मुंडा ने आजसू के राम दुरलव सिंह मुंडा को 30971 वोटों से हरा दिया है. कुंदन पाहन को मात्र 2932 वोट मिले. जबकि राजा पीटर 16517 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे. बीजेपी की रीता देवी 18052 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं.


तमाड़ सीट इसलिए चर्चा में रही कि यहां सुपारी देने के आरोपी, सुपारी लेने के आरोपी और जिनकी सुपारी दी गई उनके बेटे मैदान में थे. मधु कोड़ा सरकार में मंत्री रहे रमेश सिंह मुंडा की हत्या कर दी गई थी. हत्या की सुपारी देने का आरोप लगा राजा पीटर पर है. वह अर्जुन मुंडा की सरकार में उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री भी रह चुके हैं. एनसीपी के टिकट पर मैदान में थे. सुपारी लेने के आरोपी पूर्व नक्सली कमांडर और 15 लाख रुपए का इनामी कुंदन पाहन ने जेल से चुनाव लड़ा. रमेश सिंह मुंडा जिनकी हत्या हुई उनके बेटे विकास सिंह मुंडा इस विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक हैं. विकास जेएमएम के टिकट पर चुनाव मैदान में थे. हालांकि 2014 के चुनाव में वह आजसू के टिकट पर मैदान में उतरे थे और जीत हासिल की थी. इस बार आजसू छोड़ जेएमएम में आ गए. हालांकि बीजेपी में जाने की चर्चा थी लेकिन बात नहीं बनी इसलिए जेएमएम में शामिल हो गए. जेल से चुनाव लड़ने वाले पूर्व नक्सली कुंदन पाहन ने मई 2017 में रांची में पुलिस के सामने सरेंडर किया था. कुंदन पर रमेश सिंह मुंडा, डीएसपी प्रमोद कुमार समेत 6 पुलिसकर्मियों की हत्य, आईसीआईसीआई बैंक के 5.5 करोड़ रुपए और एक किलो सोने की लूट के अलावा सांसद सुनील महतो की हत्या, पुलिस इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या के आरोप हैं. चुनाव प्रचार कुंदन की पत्नी ने किया. तमाड़ सीट वो सीट है जहां से सीएम रहते शिबु सोरेन हार गए थे. 2009 में मधु कोड़ा की सरकार गिरी. शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने. लेकिन विधायक नहीं थे, सीएम पद पर रहते हुए तमाड़ से चुनाव लड़ा. जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजा पीटर को बीजेपी ने समर्थन दे दिया. फिर क्या था, शिबू सोरेन चुनाव हार कर सरकार गंवा बैठे. राजा पीटर ने 1979 में टाटा स्टील में ट्रेड अप्रेंटिस की परीक्षा दी थी. आदिवासी और मूलवासी कैटगरी में रिजल्ट में अव्वल रहे. नौकरी शुरू की तो विवाह हुआ मनीषा उर्फ बेला खेस से. इसी बीच कुख्यात डकैत युनूस के सहयोगी शेखर शर्मा ने राजा पीटर की पत्नी से अभद्रता की. राजा को यह नागवार गुजरा और उसने शेखर को बुरी तरह मारा. चूंकि शेखर अपराधियों से सांठ-गांठ रखता था, ऐसे में खुद को बचाने के लिए पीटर भी अपराध की दुनिया की तरफ बढ़ता चला गया. पहली पत्नी की हादसे में मौत हो गई. बाद में आरती कुरी पीटर से शादी कर ली.
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