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रानी लक्ष्मीबाई की ‘असली तस्वीर’ का सच क्या है ?

बार-बार वायरल हो रही लक्ष्मीबाई की तस्वीर का जवाब, जॉन लैंग की किताब में छिपा है.

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फोटो - thelallantop
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अभिषेक
11 जनवरी 2019 (Updated: 11 जनवरी 2019, 07:38 AM IST)
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महारानी लक्ष्मीबाई फिर से चर्चा में हैं, क्योंकि कंगना रनौत की फिल्म आ रही है, मणिकर्णिका. लेकिन जैसे ही फिल्म की रिलीज़ डेट पास आई.  सोशल मीडिया पर फिर से रानी लक्ष्मीबाई की फेक फोटो वायरल हो गई.
  • क्या है दावा?
बाल खोले, माथे पर बिंदी लगाए और कानों में झुमके वाली रानी लक्ष्मीबाई की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. अखबार की कतरन है. कहा जा रहा है कि इस तस्वीर को अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने खींची थी. ये भी लिखा गया कि भोपाल में हुई विश्व फोटोग्राफी प्रदर्शनी में भी इसे दिखाया गया.
सोशल मीडिया पर ये तस्वीर बहुत वायरल है
सोशल मीडिया पर ये तस्वीर बहुत वायरल है

  • सच्चाई क्या है
हमने पड़ताल शुरू की तो पता लगा कि रानी दिखती कैसी थीं? जॉन लैंग नाम के एक ऑस्ट्रेलियन पत्रकार थे, जो रानी लक्ष्मीबाई के वकील भी थे, वे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ, रानी लक्ष्मीबाई की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे. ये कानून लड़ाई झांसी रियासत को ईस्ट इंडिया कंपनी से बचाने की थी.
जॉन लैंग की तस्वीर
जॉन लैंग की तस्वीर


इसी सिलसिले में साल 1854 में उनकी छोटी सी मुलाकात रानी लक्ष्मी बाई से हुई, जिसका ज़िक्र उन्होंने अपनी किताब WANDERINGS IN INDIA के पेज नंबर 94 पर भी किया है.
जॉन लैंग की किताब 'वंडरिंग्स इन इंडिया'
जॉन लैंग की किताब 'वंडरिंग्स इन इंडिया'


इस किताब में रानी लक्ष्मीबाई की खूबसूरती का बखान लिखा है, जिसका छोटा सा हिस्सा यहां हम हिंदी में लिख रहे हैं. ''महारानी प्रभावशाली महिला थीं. औसत कद-काठी की थीं. शरीर स्वस्थ, ज्यादा मोटी नहीं. कम उम्र की सुंदर गोल चेहरे वाली महिला थीं. खासतौर पर आंखें सुंदर थीं और नाक की बनावट बहुत नाजुक थी. रंग बहुत गोरा नहीं, पर सांवले से दूर था. शरीर पर आभूषण के नाम पर मात्र कानों में ईयररिंग.”
जॉन लैंग की किताब में पेज नंबर 94 पर रानी लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा गया है
जॉन लैंग की किताब में पेज नंबर 94 पर रानी लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा गया है

  • पड़ताल में क्या मिला
वायरल हो रही ये तस्वीर, जॉन लैंग के बखान का हिस्सा है जिसे किसी चित्रकार ने बनाया है. वैसे इस तस्वीर के झूठे होने के पीछे एक और तर्क है, इस फोटो को देखने के बाद कोई भी बता देगा कि तस्वीर में दिख रही महिला कैमरा फ्रेंडली दिख रही है, और ये फोटो भी काफी नए जमाने की लग रही है. जबकि इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई के कभी भी इस तरह से फोटो खिंचवाने का कोई जिक्र नहीं मिलता है.
  • अब वायरल हो रही दूसरी तस्वीर देखिए
रानी लक्ष्मीबाई के ये तस्वीर भी बहुत वायरल हो रही है


रानी सिंहासन पर बैठी हैं, मुकुट पहने हुई हैं, चेहरे पर एक अलग ही तरह का तेज है. इस तस्वीर को 1850 का बताया जाता है. और कई जगह पर इस बात का भी ज़िक्र है कि इस तस्वीर को भी हॉफमैन ने खींचा था. यहां तक की 10 मई 1910 को इस तस्वीर के साथ एक पोस्टकार्ड भी पब्लिश हुआ.
10 मई 1910 को प्रकाशित पोस्टकार्ड
10 मई 1910 को प्रकाशित पोस्टकार्ड

  • इस तस्वीर की सच्चाई क्या है?
शॉर्ट में समझिये. रानी 1828 में जन्मीं. 1842 में उनकी शादी हुई. 1851 में बेटा हुआ, जो सिर्फ 4 महीने की उम्र में चल बसा. 1853 में पति गंगाधर राव भी चल बसे.
रानी लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर राव
रानी लक्ष्मीबाई के पति राजा गंगाधर राव


अब दावों और हॉफमैन की माने तो 1850 में ये तस्वीर खींची गई. लेकिन इतिहासकार जो लिख गए हैं. उसके मुताबिक़ लक्ष्मीबाई पहले ही बहुत सादा जीवन बिताती थीं, और राजा के मरने के बाद उन्हें झांसी की गद्दी 1853 में मिली थी. फिर 1850 में इस वेषभूषा में तस्वीर खिंचवाने का सवाल ही नहीं उठता.
  • अब सवाल उठता है कि किसकी है ये तस्वीर
इंटरनेट पर कई जगह ये लिखा मिलता है कि ये तस्वीर भोपाल की सुल्तान जहां बेगम की है. लेकिन ऑथेंटिक जानकारी नहीं मिलती. साथ ही ये तस्वीर जहां बेगम की दूसरी तस्वीरों से काफी अलग है, इसलिए इस तथ्य पर भी हमें भी शक है.
दाहिने तरफ भोपाल की सुल्तान जहां बेगम की तस्वीर है
दाहिने तरफ भोपाल की सुल्तान जहां बेगम की तस्वीर है

  • अब अगला दावा
तलवार और ढाल के साथ वाली ये तस्वीर भी खूब वायरल होती है. लेकिन ये तस्वीर भी फेक है, नकली है. जिस तरह जॉन लैंग ने रानी लक्ष्मीबाई का वर्णन किया. उसके बाद कई चित्रकारों ने लक्ष्मीबाई की तस्वीर बनाई. ये तस्वीर भी उसी बखान का हिस्सा है.
Viral lakshmi 3rd pic
रानी लक्ष्मीबाई की ये तस्वीर भी फेक है


इतिहास गवाह है कि फोटोग्राफी की शुरुआत 1839 में हुई थी. 1840 के बाद से जो ब्रिटिशर्स भारत घूमने आते, वो कैमरा साथ लाते थे. भारत में पहली बार 1854 में 200 मेंबर्स के साथ बॉम्बे फोटोग्राफी सोसायटी की शुरुआत हुई थी.
जॉन लैंग की किताब में इस बात का ज़िक्र है कि कोई अंग्रेज उनसे कभी नहीं मिल पाया. मुलाकात हुई तो मैदान-ए-जंग में. ऐसे में तलवार और ढाल के साथ उनकी ये तस्वीर कोई ले सके. इसकी संभावना कम है.
  • नतीज़ा
किंतु-परंतु के साथ वायरल हो रही सारी तस्वीरें झूठी है. किसी भी ऑथेंटिक सोर्स पर उनकी असली तस्वीर नहीं मिलती.
अगर आपके पास भी ऐसी कोई पोस्ट, फोटो, वीडियो या मैसेज है जिस पर आपको संदेह है तो हमें भेजिए lallantopmail@gmail.com
, पर. हम करेंगे उसकी पड़ताल.



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