'जमीन देंगे, आरक्षण बढ़ाएंगे', महागठबंधन के 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र' में और क्या वादे हैं?
संकल्प पत्र के प्रमुख बिंदुओं में 'अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम' का प्रस्ताव शामिल है, जो अतिपिछड़ा वर्ग के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करेगा.

बिहार चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं ने 24 सितंबर को पटना में 'अतिपिछड़ा न्याय संकल्प पत्र' जारी किया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सांसद राहुल गांधी और आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव की मौजूदगी में इस संकल्प पत्र को जारी किया गया.
कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों ने कहा कि ये संकल्प पत्र समाज के सबसे वंचित वर्गों, विशेष रूप से अतिपिछड़ा वर्ग (EBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को देश के विकास में समान भागीदारी और अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इसमें 10 पॉइंट्स शामिल हैं, जो सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीतियों का वादा करते हैं.
संकल्प पत्र के प्रमुख बिंदुओं में 'अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम' का प्रस्ताव शामिल है, जो इस वर्ग के खिलाफ होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करेगा. इसके अलावा, पंचायत और नगर निकायों में EBC के लिए मौजूदा 20% आरक्षण को बढ़ाकर 30% करने का वादा किया गया है.
संकल्प पत्र के मेन 10 पॉइंट्स इस प्रकार हैं-
1. ‘अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम' पारित किया जाएगा.
2. अतिपिछड़ा वर्ग के लिए पंचायत तथा नगर निकाय में वर्तमान 20% आरक्षण को बढ़ाकर 30% किया जाएगा.
3. आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50% की सीमा को बढ़ाने हेतु, विधान मंडल पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा.
4. नियुक्तियों की चयन प्रक्रिया में “Not Found Suitable” (NFS) जैसी अवधारणा को अवैध घोषित किया जाएगा.
5. अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में अल्प या अति समावेशन (under- or over-inclusion) से संबंधित सभी मामलों को एक कमेटी बनाकर निष्पादित किया जाएगा.
6. अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के सभी आवासीय भूमिहीनों को शहरी क्षेत्रों में 3 डेसिमल तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डेसिमल आवासीय भूमि उपलब्ध कराई जाएगी.
7. UPA सरकार द्वारा पारित 'शिक्षा अधिकार अधिनियम' (2010) के तहत निजी स्कूलों में नामांकन हेतु आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा अतिपिछड़ा, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और जन-जाति के बच्चों हेतु निर्धारित किया जाएगा.
8. 25 करोड़ रुपयों तक के सरकारी ठेकों/आपूर्ति कार्यों में अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा.
9. संविधान की धारा 15(5) के अंतर्गत राज्य के सभी निजी शिक्षण संस्थानों के नामांकन हेतु आरक्षण लागू किया जाएगा.
10. आरक्षण की देखरेख के लिए उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा और जातियों की आरक्षण सूची में कोई भी परिवर्तन केवल विधान मंडल की अनुमति से ही संभव होगा.
महागठबंधन ने दावा किया कि उसका ये कदम बिहार में सामाजिक न्याय की दिशा में एक ‘नया अध्याय’ शुरू करने का प्रयास है. गठबंधन के नेताओं ने दावा किया कि ये संकल्प पत्र न केवल वंचित वर्गों को सशक्त करेगा, बल्कि समाज में समावेशी विकास को भी बढ़ावा देगा.
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