महागठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय, तेजस्वी ने घटक दलों से मांगा सीट के साथ उम्मीदवारों का नाम
सहयोगी दलों के साथ-साथ RJD ने भी अपने लिए सीटें चिह्नित करने के साथ Candidates पर मंथन शुरू कर दिया है. राजद कम से कम 130 सीटें अपने पास रखना चाहता है. गठबंधन में दो नए सहयोगियों की एंट्री भी लगभग तय मानी जा रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के औपचारिक एलान में बस कुछ दिन ही बचे हैं. चुनाव आयोग (Election Commission) इस हफ्ते से लेकर अगले हफ्ते तक किसी भी दिन तारीखों का एलान कर सकता है. ऐसे में महागठबंधन सीटों के पेंच को सुलझाने में लगा है. विपक्षी गठबंधन की कोशिश है कि दशहरा तक ये तय हो जाए कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा.
महागठबंधन की ओर से इस बार तय किया गया है कि वह न केवल सीटों को चिह्नित करेगा बल्कि साथ ही साथ उम्मीदवारों का नाम भी तय करेगा. गठबंधन के सबसे बड़े दल राजद ने सहयोगी दलों से सीट के साथ-साथ उम्मीदवारों का नाम देने को भी कहा है. राजद के इस निर्णय पर सहयोगी दलों ने अमल भी करना शुरू कर दिया है.
राजद से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस ने 76 सीटों पर दावेदारी की है. पार्टी ने सीटों के साथ ही उम्मीदवारों के नाम भी राजद को सौंप दिया है. वहीं मुकेश सहनी की VIP ने 60 सीटों पर दावेदारी की है. लेकिन सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम नहीं बताए हैं. VIP लगभग आधी सीटों पर ही प्रत्याशियों के नाम दे पाई है. वामदलों में भाकपा (माले) ने 40 सीटों की लिस्ट सौंपी है. पार्टी ने सीटों पर प्रत्याशियों के नाम भी बता दिए हैं. वहीं भाकपा और माकपा ने भी सीटों की लिस्ट के साथ प्रत्याशियों के नाम राजद को सौंप दिए हैं.
सहयोगी दलों के साथ-साथ राजद ने भी अपने लिए सीटें चिह्नित करने के साथ उम्मीदवारों पर मंथन शुरू कर दिया है. राजद कम से कम 130 सीटें अपने पास रखना चाहता है. गठबंधन में दो नए सहयोगियों की एंट्री भी लगभग तय मानी जा रही है. पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा और हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा. इन दोनों पार्टियों के खाते में 2-2 सीटें जाने की संभावना बताई जा रही है.
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बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन महागठबंधन के सभी घटक दलों के अपने अपने दावे हैं. कुछ सीटें ऐसी हैं जिस पर एक से ज्यादा दलों की दावेदारी है. राजद से जुड़े एक नेता ने बताया कि इन सीटों पर गठबंधन के शीर्ष नेता मिल बैठकर निर्णय करेंगे. इसमें देखा जाएगा कि उस सीट पर किस उम्मीदवार को टिकट देने से जीतने की संभावना सबसे ज्यादा होगी. ऐसे में उस उम्मीदवार को किसी और दल के सिंबल पर भी चुनाव लड़ाया जा सकता है.
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