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'वन डे वन शिफ्ट', UPPCS और RO/ARO परीक्षा पर मचे बवाल की पूरी कहानी

UPPSC के PCS और RO ARO Exam का नोटिफिकेशन जारी होते ही तैयारी कर रहे छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. उसी दिन सड़कों पर उतर गए. वजह है परीक्षा का आयोजन एक दिन के बदले दो दिन में करना. और इसके कारण होने वाले नॉर्मेलाइजेशन का विरोध. अब 11 नवंबर को छात्र यूपी लोक सेवा आयोग के सामने 'महाआंदोलन' की तैयारी कर रहे हैं.

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5 नवंबर को आया था दोनों परीक्षाओं का नोटिफिकेशन. (फाइल फोटो - सोशल मीडिया/X)
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साकेत आनंद
8 नवंबर 2024 (Updated: 8 नवंबर 2024, 19:01 IST)
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1 जनवरी 2024. उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) ने अपर सबऑर्डिनेट सर्विस (PCS) प्रीलिम्स एग्जाम का नोटिफिकेशन जारी किया था. 220 पदों के लिए वैकेंसी निकली. 10 सालों में सबसे कम. 17 मार्च 2024 को परीक्षा होनी थी. लेकिन स्थगित हो गई. फिर 3 जून को इसी परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी हुआ. 27 अक्टूबर को परीक्षा होनी थी. लेकिन स्थगित हो गई. अब बीती 5 नवंबर को UPPSC ने एक बार फिर नोटिफिकेशन जारी किया. लेकिन नोटिफिकेशन जारी होते ही एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा. उसी दिन सड़कों पर उतर गए. वजह है परीक्षा का आयोजन एक दिन के बदले दो दिन में करना. और इसके कारण होने वाले नॉर्मेलाइजेशन का विरोध. अब 11 नवंबर को छात्र यूपी लोक सेवा आयोग के सामने 'महाआंदोलन' की तैयारी कर रहे हैं. इसलिए पूरे विवाद को सिलसिलेवार तरीके से समझने की कोशिश करते हैं.

कहानी किसी और परीक्षा से शुरू हुई

तैयारी कर रहे छात्र पिछले 10 महीने से PCS एग्जाम होने का इंतजार कर रहे हैं. इंतजार के पीछे वजह है यूपी सरकार की एक विफलता. पहले उस कहानी को समझते हैं, फिर आगे की बात समझने में आसानी होगी. 11 फरवरी 2024 को समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी का प्रीलिम्स एग्जाम हुआ था. इसे आप संक्षेप में RO/ARO भी कहते हैं. उसी दिन शाम होते-होते सोशल मीडिया पर पेपर लीक के दावे होने लगे. कई लोगों ने लिखा कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया. छात्रों का विरोध शुरू हो गया. अभ्यर्थी दोबारा परीक्षा करवाने की मांग करने लगे. इसके बाद, लोक सेवा आयोग ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) से मामले की जांच कराने का फैसला लिया.

मामला यहीं नहीं रुका. छात्रों की मांग पर सरकार ने परीक्षा रद्द करने का भी फैसला लिया. 2 मार्च को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 6 महीने में दोबारा परीक्षा होगी. हालांकि, ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था, 

"उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 11 फरवरी 2024 को आयोजित समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2023 को निरस्त करने और आगामी 6 माह में इसे दोबारा कराने के आदेश दिए हैं. परीक्षा की शुचिता से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा. युवाओं के दोषियों को ऐसी सजा दिलाएंगे, जो नजीर बनेगी."

इसी घटना की पृष्ठभूमि में 5 दिन बाद ही एक और आदेश आया. 7 मार्च को लोक सेवा आयोग ने नोटिस जारी किया कि 17 मार्च की PCS प्रीलिम्स परीक्षा 'अपरिहार्य कारणों' से स्थगित की जाती है. बताया गया कि परीक्षा जुलाई में हो सकती है. लेकिन कोई तारीख नहीं दी गई.

तारीख बढ़ती गई, छात्र ताकते रहे

इधर, मुख्यमंत्री ने 6 महीने में RO/ARO एग्जाम दोबारा कराने का आदेश दिया था, उस पर भी कोई सुगबुगाहट नहीं दिखी. इस परीक्षा के पेपर लीक की जांच अब भी जारी है. कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष सामने नहीं है कि कैसे पेपर लीक हुआ.

इस बीच 3 जून को पीसीएस एग्जाम करवाने को लेकर फिर से नोटिफिकेशन आया. इंतजार कर रहे छात्रों को बताया गया कि 27 अक्टूबर को प्रीलिम्स की परीक्षा करवाई जाएगी. छात्र तैयारी में जुटे. लेकिन एग्जाम से कुछ दिन पहले फिर एक नोटिफिकेशन आ गया. 16 अक्टूबर को आयोग ने बताया कि परीक्षा फिर से स्थगित की जा रही है. वजह क्या बताई गई? ये कि एग्जाम सेंटर बनाने में देरी हो रही है. इसी नोटिस में कहा गया कि दिसंबर के पहले पखवाड़े तक परीक्षा करवाई जा सकती है. आयोग ने 19 जून के सरकार के आदेश का हवाला दिया कि इसके अनुसार परीक्षा केंद्र मिलने पर अभ्यर्थियों को अगली डेट की जानकारी दे दी जाएगी.

दरअसल, 19 जून को यूपी सरकार ने परीक्षा केंद्रों को लेकर कई नियम लाए थे. इसके तहत परीक्षा केंद्र चुनने के लिए दो कैटेगरी बनाई गई थी. कैटगरी 'ए' में राजकीय इंटर कॉलेज, सरकारी डिग्री कॉलेज, राज्य और केंद्र के विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग और राज्य के मेडिकल कॉलेज को रखा गया. वहीं, कैटगरी 'बी' में उन सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों को रखा गया, जिनकी 'छवि' अच्छी हो. प्राइवेट संस्थानों को सेंटर नहीं बनाने का आदेश आया. इसके अलावा, ये भी कहा गया कि एग्जाम सेंटर्स बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन के 10 किलोमीटर के दायरे में हों. साथ ही एक पाली में अधिकतम 5 लाख अभ्यर्थियों को ही रखने का आदेश आया.

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आयोग को PCS प्रीलिम्स करवाने के लिए 1758 एग्जाम सेंटर्स की जरूरत थी. लेकिन आदेश का पालन करते हुए आयोग को ऐसे 978 परीक्षा केंद्र ही मिल पाए. जबकि इस परीक्षा के लिए  5 लाख 76 हजार 154 अभ्यर्थी रजिस्टर्ड हैं. वहीं, RO/ARO प्रीलिम्स के लिए 10 लाख 76 हजार अभ्यर्थी परीक्षा में बैठने वाले हैं.

तो फिर समस्या क्या है?

5 नवंबर को इन दोनों परीक्षाओं के लिए फिर से नोटिफिकेशन आया. आयोग के मुताबिक, PCS की प्रीलिम्स परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को दो-दो सत्रों में होगी. पहला सत्र - सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक और दूसरा सत्र - दोपहर 2:30 बजे से 4:30 बजे तक. परीक्षा का आयोजन 41 जिलों में होगा. आयोग ने कहा कि हर संभव कोशिश के बावजूद 19 जून के आदेश के अनुसार सेंटर उपलब्ध नहीं होने के कारण परीक्षा दो दिन में कराई जाएगी.

इसी तरीके से RO/ARO की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होगी. ये परीक्षा 411 पदों के लिए होने वाली है. परीक्षा का पहला नोटिफिकेशन पिछले साल 9 अक्टूबर को जारी हुआ था. पेपर लीक और तारीख टलते-टलते अब जाकर परीक्षा होने वाली है. 22 दिसंबर को पहली पाली सुबह 9 बजे से 12 बजे तक और दूसरी पाली दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक. वहीं, 23 दिसंबर को तीसरी पाली में सुबह 9 बजे से 12 बजे तक परीक्षा होगी. इसमें भी 19 जून के आदेश का हवाला दिया गया कि एक पाली में 5 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी नहीं हो सकते हैं. इसलिए ऐसा कराया जा रहा है.

UPPSC
RO/ARO और PCS प्रीलिम्स परीक्षा का नोटिफिकेशन. (क्रेडिट- UPPSC)

पेपर लीक और परीक्षा की बढ़ती तारीखों से परेशान छात्र एक दिन से ज्यादा परीक्षा का आयोजन होने से बिफर गए हैं. छात्रों का कहना है कि इससे रिजल्ट पर असर पड़ेगा, क्योंकि एक से अधिक पालियों में परीक्षा होने पर रिजल्ट के लिए नॉर्मलाइजेशन यानी मानकीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी.

नॉर्मेलाइजेशन को आप आसान भाषा में ऐसे समझिए. एक ही एग्जाम अलग-अलग दिन होंगे तो उसके लिए अलग-अलग प्रश्न पत्र होंगे. इसमें ज्यादा संभावना है कि एक के मुकाबले दूसरा प्रश्न पत्र कठिन हो. इसी अंतर को पाटने के लिए नॉर्मेलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. ज्यादातर परीक्षाओं में परसेंटाइल स्कोर के आधार पर इसे एडजस्ट किया जाता है. इसका उद्देश्य है कि अलग-अलग प्रश्न पत्र होने के कारण किसी छात्र को फायदा या नुकसान ना हो. छात्रों का आरोप है कि सरकार ने जो प्रक्रिया अपनाई है वो साइंटिफिक नहीं है.

अभ्यर्थियों को क्या डर है?

कानपुर के गौरव अवस्थी पीसीएस की परीक्षा देने वाले हैं. गौरव बताते हैं कि नॉर्मेलाइजेशन का तरीका बहुत साफ नहीं है. वे कहते हैं, 

"जीएस का पेपर बहुत सब्जेक्टिव विषय है. किसी युद्ध की तारीख आपने पूछी, तो हो सकता है वो किसी के लिए आसान हो, या दूसरे के लिए कठिन हो. एक पेपर में आपने बांग्लादेश की राजधानी पूछ ली और दूसरे में वियतनाम की राजधानी. इन दोनों सवालों में एक किसी को आसान लग सकता है तो किसी को कठिन. तो ऐसे में दोनों दिन के पेपर में नॉर्मलाइजेशन करने का तरीका अनफेयर हो सकता है."

गौरव आगे आरोप लगाते हैं कि हर बार आयोग गलत प्रश्न भी पूछ लेता है, ये पिछली बार भी हुआ. तो अगर दोनों शिफ्ट में गलत प्रश्नों की संख्या कम या ज्यादा हुई तो फिर आप इसको कैसे डील करेंगे. वे कहते हैं कि नॉर्मेलाइजेशन से पारदर्शिता शून्य हो जाएगी, छात्रों को पता ही नहीं चलेगा कि उन्हें कितना मार्क्स मिला.

5 नवंबर को जब दोनों परीक्षाओं का नोटिफिकेशन जारी हुआ, उसी दिन नॉर्मेलाइलेशन को लेकर भी आयोग ने एक नोटिस जारी किया. बताया कि दो या दो से अधिक दिन में होने वाली परीक्षाओं में मूल्यांकन के लिए परसेंटाइल को आधार बनाया जाएगा. इसके लिए एक फॉर्मूला भी दिया गया. साथ ही कहा गया कि परसेंटाइल स्कोर की गणना दशमलव के बाद 6 अंकों तक की जा सकेगी.

आयोग ने कहा कि ये मूल्यांकन कम्प्यूटर आधारित होगा और इसलिए चयन प्रक्रिया शुचितापूर्वक पूरी होगी. ये फॉर्मूला सिर्फ इन दो परीक्षाओं के लिए नहीं है. बल्कि आगे जो भी परीक्षाएं दो दिन या उससे ज्यादा समय में कराई जाएंगी, उन पर ये लागू होगा.

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5 नवंबर को मूल्यांकन को लेकर जारी प्रेस रिलीज. (क्रेडिट- UPPSC)

 

छात्रों की मांग है कि ये परीक्षा एक दिन और एक पाली में कराई जाए. प्रयागराज में रहकर तैयारी कर रहे सौरभ दुबे पीसीएस और RO/ARO का एग्जाम देने वाले हैं. वे लल्लटॉप को बताते हैं, 

"दो दिन में अगर परीक्षा होगी तो नॉर्मेलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. दोनों दिन पेपर अलग-अलग होंगे. मान लीजिए एक दिन पेपर आसान हुआ और दूसरे दिन का पेपर कठिन हुआ. और इस अंतर को आयोग भर नहीं पाएगा. यहीं पर नॉर्मेलाइजेशन लागू होता है. अगर आप आयोग के फॉर्मूले पर जाएंगे तो वह बहुत कन्फ्यूजिंग है. आयोग ना तो उसे समझा पाया और ना छात्र उसे समझ पा रहे हैं. इसलिए छात्र इसके साथ आगे नहीं बढ़ने वाले हैं."

छात्रों का कहना है कि परसेंटाइल निकालने का फॉर्मूला किसी पाली में उपस्थित हुए छात्रों की संख्या के आधार पर निर्भर करेगा. ऐसे में उन्हें डर है कि ज्यादा मार्क्स लाने वालों का भी परसेंटाइल कम हो सकता है.

सौरभ कहते हैं कि पहले भी बहुत परीक्षाएं हुईं हैं. और सरकार ने परीक्षाओं को एक दिन में सफलतापूर्वक कंडक्ट करवाया है.

गौर करने वाली बात ये है कि इससे पहले PCS और RO/ARO की परीक्षाएं एक ही दिन में होती थीं. सभी अभ्यर्थी एक साथ परीक्षा देते थे. इससे मार्क्स के लिए कोई फॉर्मूला निकालने की जरूरत नहीं पड़ती थी.

आयोग का क्या कहना है?

राज्य के लोक सेवा आयोग ने 5 नवंबर को अपने आदेश में कहा कि ये प्रक्रिया देश के अलग-अलग प्रतिष्ठित भर्ती निकायों, आयोगों में अपनाई जाती है. UPPSC ने भी इसकी समीक्षा करने के लिए एक्सपर्ट्स की एक कमिटी गठित की थी. उसके बाद ही परसेंटाइल निकालने के फॉर्मूले पर पहुंची है. आयोग का मानना है कि इस फॉर्मूले से पारदर्शिता सुनिश्चित होगी.

हालांकि इसके बावजूद, हमने छात्रों की मांगों को लेकर आयोग से संपर्क करने की कोशिश की है. लेकिन ये स्टोरी लिखे जाने तक आयोग का जवाब नहीं मिला. जवाब आते ही हम अपनी खबर को अपडेट करेंगे.

विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट का आदेश

छात्रों के विरोध के बीच 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि सरकारी भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, बीच में सरकार नियमों को नहीं बदल सकती है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष होनी चाहिए. कोर्ट ने ये भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद अभ्यर्थियों को अप्रत्याशित नियमों का सामना नहीं करना चाहिए.

विरोध कर रहे छात्र अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भी उदाहरण दे रहे हैं. उनका कहना है कि ये फैसला आयोग के लिए नजीर बनेगा.

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