बातें काम की: आपका स्टॉक ब्रोकर तो भाग गया, अब उन शेयर्स का क्या जो आपने उससे खरीदे थे?
पिछले दो सालों में 98 ब्रोकरेज कंपनियों ने अपनी सदस्यता सरेंडर की है. ये हाल तब है जब कोविड के बाद डीमैट अकाउंट में 63 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और बाजार के तो क्या ही कहने. अभी 75 हजार पार हुआ है. ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि आपके पैसे और शेयरों का होगा क्या.
शेयर बाजार बड़ी कमाल चीज है. जिसका निवेश है उसको तो दिलचस्पी होती ही है, जिसका नहीं भी है उसका भी मन यहां की गतिविधियां जानने में लगा रहता है. कौन सी कंपनी के भाव चढ़े या किसके गिरे. सेंसेक्स कितने पर बंद हुआ और कितने पर खुला. आखिर पैसे का मामला है भाई, दिलचस्पी तो होगी है. लेकिन कभी आपने सोचा कि जिस ब्रोकरेज फर्म के सहारे आपने पैसा लगाया है वही अगर रातों-रात गायब (What Happens If Stockbroker Shuts Down) हो जाए तो आपके शेयरों का क्या होगा, आपके पैसे का क्या होगा? आप कहोगे क्यों डरा रहे भईया…
हम डरा नहीं रहे बल्कि आपको एक कड़वी दवाई पिला रहे. क्योंकि पिछले दो सालों में 98 ब्रोकरेज कंपनियों ने अपनी सदस्यता सरेंडर की है. ये हाल तब है जब कोविड के बाद डीमैट अकाउंट में 63 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और बाजार के तो क्या ही कहने. अभी 75 हजार पार हुआ है. ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि आपके पैसे और शेयरों का होगा क्या.
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शेयरों का कछु नहीं होगाक्योंकि शेयर किसी ब्रोकरेज फर्म का हिस्सा थोड़े ना हैं. वो तो संबंधित कंपनी और उसके निवेशक के बीच का मामला है. ब्रोकरेज फर्म तो बस दोनों के बीच दलाली का काम करता है. अपनी कमीशन और सर्विस वगैरा का पैसा लेकर निवेशक और कंपनी के बीच में पुल का काम करते हैं. कोई गड़बड़ झाला होने पर भी आपके शेयर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में Securities Depository Limited (NSDL) और Central Depository Services (India) Limited (CDSL) के पास सेफ रहते हैं.
हां, अगर ब्रोकरेज फर्म डूब गई तो आपके अकाउंट को किसी दूसरी फर्म में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. ये सारा प्रोसेस भी Securities Investor Protection Corporation (SIPC) के अंतर्गत होता है. बस ये प्रोसेस आपको ब्रोकरेज फर्म बंद होने के तीन साल के अंदर करना होगा.
पैसे के साथ कुछ तो होगाशेयर तो बच गए, लेकिन उस पैसे का क्या जो ब्रोकरेज फर्म में आपने रखा हुआ है? SEBI ने इसके लिए कड़े नियम बनाए हैं जिसे हर स्टॉक ब्रोकर को मानना ही पड़ता है. निवेशक का पैसा एक अलग अकाउंट में रखा जाता है और उसका इस्तेमाल सिर्फ शेयरों के लेनदेन में ही हो सकता है. इसके बाद भी अगर कोई गड़बड़ हुई तो Investor Protection Fund (IPF) काम आता है. इसकी मदद से निवेशक अपना पैसा वापस ले सकता है, मगर एक लिमिट है. अधिकतम 25 लाख. इसके ऊपर हुआ तो डूब गया समझो. ये वैसा ही है जैसे बैंक अपने कस्टमर को उसके पैसे की गारंटी देते हैं लेकिन 5 लाख से ज्यादा नहीं. यहां मामला 25 लाख तक सेटल हो सकता है.
बस इतनी जानकारी थी. निवेश कीजिए मगर सावधानी के साथ.
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