अमेरिका की इस रिसर्च कंपनी ने Adani Group को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किये
रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप कई सालों से स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है
अडानी समूह पर भारी कर्ज को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं. अमेरिका की इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि वह गौतम अडानी की कंपनियों के शेयर बेचकर जल्द ही निकल लेगी क्योंकि समूह भारी कर्जें में है. न्यूज एजेंसी रायटर्स में छपी खबर में कहा गया है कि अडानी समूह ने टैक्स हेवन्स में कंपनियाँ खड़ी करने की सुविधा का नाजायज़ फायदा उठाया है. हमारे सहयोगी बिजनेस टुडे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि रिसर्च फर्म ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट दो साल की तहकीकात के बाद जारी की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप कई सालों से स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह रिपोर्ट जारी करने से पहले रिसर्च फर्म ने अडानी समूह में काम कर चुके कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की. हजारों दस्तावेजों की पड़ताल की और लगभग आधा दर्जन देशों में अडानी समूह के ऑफिसों के चक्कर काटे हैं.
हिंडेनबर्ग का कहना है, ‘अडानी समूह के फाउंडर और चेयरमैन गौतम अडानी की संपत्ति 120 अरब डॉलर ( करीब 9.8 लाख करोड़ रुपये) है. इसमें से 100 अरब डॉलर (करीब 8 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ. इसका कारण समूह की सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों में आई जबरदस्त तेजी रही है. इनमें इस दौरान अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में औसतन 819 फीसदी का उछाल आया है.’रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी की प्रमुख कंपनियों ने मोटा कर्ज ले रखा है. इसके चलते समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों में से पांच का 'करेंट रेशियो ' 1 से नीचे है. इससे पहले अगस्त, 2022 में फिच ग्रुप की रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स ने भी अडानी समूह के कर्ज पर चिंता जताई थी.
क्रेडिटसाइट्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी ग्रुप आक्रामक तरीके से कारोबारी विस्तार कर रहा है जिससे कंपनी पर वित्तीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है और कंपनी का कैश फ्लो भी घट रहा है. क्रेडिटसाइट्स ने यह भी कहा है कि अगर हालात बिगड़े तो कंपनी कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस सकती है. क्रेडिटसाइट्स के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का कर्ज 2.2 लाख करोड़ रुपये हो गया था. हालांकि बाद में अपनी रिपोर्ट में खामियों को स्वीकार करते हुए कहा है कि अडानी समूह की कंपनियों को लेकर उसके कैलकुलेशन में गलती की थी.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अडानी समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से जुड़े चार मामलों की जांच चल रही है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अडानी फैमिली के सदस्य भी, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और कैरेबियाई द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवन में शेल कंपनियों का संचालन करते हैं और इन पर भी धोखाधड़ी का आरोप है. हालांकि, इस रिपोर्ट पर सफाई देते हुए अडानी ग्रुप के सीएफओ (CFO) जुगशिंदर सिंह ने कहा है कि कंपनी पर जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं वे सही नहीं हैं और यह दुर्भावना से प्रेरित हैं . उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को लेकर तथ्यों की पुष्टि के लिये उससे कोई संपर्क नहीं किया गया. उन्होंने कहा है कि इस रिपोर्ट में बहुत सारी गलत बातें कही गई हैं, जिनका कोई आधार नहीं है. यह रिपोर्ट अडानी ग्रुप की छवि को खराब करने की कोशिश है. इस रिपोर्ट के जरिए कंपनी के आने वाले एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर ) को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. इस एफपीओ के जरिये अडानी समूह 20000 करोड़ रुपये जुटाने जा रही है.
लेकिन Hindenburg Research की रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी बड़ी गिरावट देखी जा रही है. बुधवार 25 जनवरी को अडानी समूह की कंपनियों में कारोबार के दौरान करीब 10 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली. समूह द्वारा हाल ही में खरीदी कई सीमेंट कंपनी अंबुजा सीमेंट करीब 8 और एसीसी के शेयरों में करीब 7 फीसदी की गिरावट पर बंद हुए. आपको बता दें कि अडानी ग्रुप ने पिछले 5-6 साल में अपना कारोबार विस्तार काफी तेजी से किया है. ग्रुप का एयरपोर्ट, कोल माइनिंग, बंदरगाह से लेकर सीमेंट और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में बड़ा दखल हो चुका है. समूह ने हाल ही में रेनेबल एनर्जी से जुड़ी परियोजनाओं में 70 अरब डालर निवेश की बात कही थी. इससे पहले समूह ने सीमेंट कंपनी खरीदी थी.