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ऑनलाइन सामान बेचना है? ये नया नियम आपको बम-बम कर देगा!

अब ऑनलाइन सेलर्स को अपना सामान बेचने के लिए जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं हैं. बशर्ते उनका सालाना टर्नओवर 40 लाख से कम होना चाहिए.

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Online shoping
ऑनलाइन शॉपिंग (सांकेतिक तस्वीर)
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प्रदीप यादव
30 जून 2022 (Updated: 1 जुलाई 2022, 09:12 AM IST) कॉमेंट्स
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सरकार ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मसलन अमेजान, फ्लिपकार्ट आदि पर सामान बेचने वाले छोटे कारोबारियों को सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब ऑनलाइन सेलर्स को अपना सामान बेचने के लिए जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं हैं. बशर्ते उनका सालाना टर्नओवर 40 लाख से कम होना चाहिए. सरकार के इस फैसले से ऐसे कारोबारियों को फायदा होगा जो अपना सामान ऑनलाइन बेवसाइट पर बेचना चाहते हैं.  इन कारोबारियों को ऑनलाइन सेलर कहा जाता है. फिलहाल ऑनलाइन कारोबारियों को  जीएसटी का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है भले ही उनकी सालाना बिक्री यानी टर्नओवर कितना भी हो.  

चंडीगढ़ में दो दिन (28-29 जून) चली जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह फैसला लिया गया है. बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल थे. नया नियम एक जनवरी 2023 से लागू होगा.मौजूदा समय में ऑफलाइन कारोबारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता तभी होती है जब उनकी सालाना बिक्री 40 लाख रुपये से अधिक होती है. अब ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों कारोबारी इस मामले में एक समान हो जाएंगे. देश में करोड़ों की तादाद में छोटे बिजनेसमैन हैं. ये देश की कुल अर्थव्यवस्था में एक तिहाई योगदान देते हैं. इनमें से 2 करोड़ से ज्यादा छोटे कारोबारी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 1 अगस्त को या फिर अगस्त के पहले सप्ताह में होगी. अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक मदुरै में होगी.

ऑनलाइन शॉपिंग ऐप मीशो के फाउंडर विदित आत्रे ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सरकार का यह फैसला काफी अच्छा है. इससे ऑनलाइन और ऑफलाइन ( जिसकी दुकान है) के बीच फासला मिट जाएगा. उन्होंने कहा, " देश में फिलहाल करीब 5 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSMEs) हैं.  जीएसटी की अनिवार्यता होने से ये कारोबारी ऑनलाइन बिक्री करने में असमर्थ हैं. सरकार का यह कदम इन छोटी कारोबारियों के लिए गेम-चेंजिंग साबित होगा. देश में करोड़ों की संख्या में कारीगर, बुटीक और छोटी-छोटी दुकानें हैं. इसके अलावा लाखों छोटी छोटी फैक्ट्रियों के जरिये उत्पादन कर अपना सामान बेचने वाले कारोबारियों को भी इसका फायदा होगा.

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