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आपको पता भी नहीं चला, मोदी सरकार ने बजट में इतनी कटौती कर डाली!

मिड-डे मील और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बजट में भी कमी.

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Budget 2023 allocation in MNREGA Mid day meal
मनरेगा साइट पर महिला मजदूर और मिडडे मील के दौरान बच्चे (सांकेतिक फोटो- इंडिया टुडे/आज तक)
2 फ़रवरी 2023 (Updated: 2 फ़रवरी 2023, 15:26 IST)
Updated: 2 फ़रवरी 2023 15:26 IST
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आम बजट (Budget 2023) को लेकर कई तरह की चर्चा हो रही है. एक तरफ सरकार इसे हर वर्ग का बजट बता रही है. वहीं कुछ लोग इसे 'संतुलित' बता रहे हैं लेकिन महंगाई, बेरोजगारी का जिक्र नहीं होने पर आलोचना भी कर रहे हैं. कुछ ऐसे हैं जो बजट की भरसक आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है बजट में आम लोगों, मजदूरों, गरीब वर्गों का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया है. दी लल्लनटॉप पर आप बजट की कई अलग-अलग जानकारी पढ़ चुके होंगे. इस खबर में आपको बजट के उन हिस्सों के बारे में बताएंगे, जिनमें सरकार ने भारी कटौती कर दी है.

मनरेगा में 30 फीसदी की कटौती

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना (MNREGA). साल 2023-24 के लिए सरकार ने इस मद में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की है. पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले यह 30 फीसदी की कटौती है. साल 2022-23 में इस योजना के लिए 89 हज़ार करोड़ खर्च किये गए थे. मौजूदा वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए की गई घोषणा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सबसे कम है.

ये गिरावट लगातार दूसरे साल हुई है. साल 2021-22 में सरकार ने इस मद में 98 हज़ार करोड़ खर्च किये थे. लेकिन साल 2022-23 में सरकार ने इसका बजट तकरीबन 25 फीसदी घटाकर 73 हज़ार करोड़ कर दिया था. ये बात सही है कि सरकार ने खर्च इससे ज़्यादा किया. क्योंकि बाद में इसे संशोधित करना पड़ा. लेकिन ये 98 हज़ार करोड़ के आंकड़े से 9 हज़ार करोड़ कम ही रहा. कई एक्सपर्ट इसकी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि कोविड महामारी के दौरान जब रोजगार संकट पैदा हुआ था, ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी मांग बढ़ी थी.

मिड-डे मील के बजट में कमी

सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बजट को 8 फीसदी बढ़ाया है. लेकिन मिड-डे मील के बजट में कटौती कर दी है. हम सभी जानते हैं कि मिडडे मील योजना का नाम बदलकर अब पीएम-पोषण हो गया है. यहां पीएम का मतलब प्रधानमंत्री है. साल 2023-24 में, इस योजना लिए 11600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. साल 2022-23 में मिडडे मील के लिए पहले 10 हजार करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. लेकिन बाद इसे संशोधित कर 12800 करोड़ रुपये किया गया था.

देश भर के लाखों सरकारी स्कूल में 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों को इस योजना का लाभ मिलता है. हाल में जारी हुई एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट-2022 में बताया गया कि सरकारी स्कूलों मे 6 से 14 साल के बच्चों का नामांकन बढ़ा है. सरकारी स्कूलों में 2018 के 65 फीसदी से बढ़कर 2022 में 73 फीसदी हो गया.

पीएम किसान सम्मान निधि

सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाओं की घोषणा की. मसलन, जैविक खेती को बढ़ावा, एग्री स्टार्टअप को बढ़ावा, मत्स्य पालन योजना आदि. हालांकि सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि के तहत फंड को घटा दिया. इस योजना के तहत किसानों को साल में 6 हजार रुपये नकद राशि दी जाती है. साल 2023-24 के लिए 60 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की गई. ये पिछले साल के मुकाबले 13 फीसदी कम है. साल 2022-23 का बजट 68 हजार करोड़ था. हालांकि सरकार ने इसे संशोधित कर 60 करोड़ कर दिया था.

साल 2021-22 में इस योजना के तहत किसानों को 66 हजार 825 करोड़ रुपये दिए गए थे. मौजूदा वित्त वर्ष में दिसंबर-मार्च का इंस्टॉलमेंट बाकी है. वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत 11.4 करोड़ किसानों को 2.2 लाख करोड़ रुपये नकद ट्रांसफर किया.

इसके अलावा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का बजट भी घट गया है. सरकार ने इसके लिए 10 हजार 787 करोड़ आवंटित किया है. जो पिछले साल करीब 13 हजार करोड़ था. सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बजट भी कम कर दिया है. साल 2023-24 के लिए 13,625 करोड़ रुपये बजट की घोषणा हुई है. पिछले साल इस योजना के लिए बजट साढ़े 15 हजार करोड़ रुपये था.

अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट 38 फीसदी कटा

केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में भारी कटौती की है. साल 2023-24 के लिए 3097 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. पिछले  साल मंत्रालय को 5020 करोड़ का बजट मिला था. लेकिन बाद में संशोधित कर 2612 करोड़ कर दिया गया था. UPSC की तैयारी के लिए अल्पसंख्यक छात्रों के लिए चलने वाली स्कीम बंद की गई.

हाल में केंद्र सरकार ने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप (MANF) बंद करने का ऐलान किया था. सरकार की दलील थी कि मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप केंद्र की दूसरी स्कीम्स के साथ ओवरलैप कर रही थी और अल्पसंख्यक छात्र पहले से ही ऐसी योजनाओं के पात्र होते हैं. M.Phil और PhD के लिए छात्रों को ये फेलोशिप दी जाती थी. सरकार इस फैसले के खिलाफ देश भर के छात्रों ने प्रदर्शन किया था.

अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में कटौती को लेकर AIMIM प्रमुख और लोकसभा सांसद ने सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि शायद मोदी के हिसाब से गरीब अल्पसंख्यक बच्चों को सरकार के “प्रयास” की जरूरत नहीं है, “सबका विकास…” जैसे नारे काफ़ी हैं.

सफाई कर्मचारियों के लिए घोषणा लेकिन बजट नहीं

सफाई कर्मचारियों के लिए भी सरकार ने एक घोषणा की है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को पूरी तरह खत्म किया जाएगा. सेप्टिक टैंकों की सफाई और मैला निकालने के कामों को पूरी तरह मशीनीकृत किया जाएगा. हालांकि सरकार ने इसके लिए बजट की कोई घोषणा नहीं की है. ''सफाई कर्मचारी आंदोलन' के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाडा विल्सन ने कहा कि सरकार की घोषणा सिर्फ एक जुमलेबाजी है. उन्होंने एक वीडियो जारी कर कहा कि जिन लोगों ने मैनहोल में अपनी जान गंवा दी, सरकार ने उनके परिवार को मुआवजे या उनके पुनर्वास की बात क्यों नहीं की. विल्सन के मुताबिक, बजट में ना कोई आवंटन है और ना ही जान गंवाने वाले लोगों का जिक्र किया गया.

इन सबके अलावा सरकार ने खाद्य, उवर्रक सहित कई सब्सिडी पर भी बजट घटा दिया है. कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि गरीबों की सब्सिडी पर मोदी सरकार की नजर लग गई.

वीडियो: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में नौकरियों के नाम पर क्या बड़े ऐलान किए?

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