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सस्ती हवाई यात्रा देने वाली एक और एयरलाइंस बंद होने वाली है?

ये चर्चित एयरलाइन काफी दिक्कतों का सामना कर रही है.

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Go First airline to be closed soon
क्या बंद होने वाली है गो फर्स्ट? (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)
28 अप्रैल 2023 (Updated: 28 अप्रैल 2023, 23:26 IST)
Updated: 28 अप्रैल 2023 23:26 IST
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सस्ती सेवाएं देने वाली एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट (Go First) काफी दिक्कतों का सामना कर रही है. इस एयरलाइन कंपनी के कर्मचारियों को टाइम से सैलरी नहीं मिल पा रही है. कंपनी के करीब आधे हवाई जहाज खड़े-खड़े धूल खा रहे हैं. एयरलाइन के कर्मचारी बड़े पैमाने पर एयरलाइन से इस्तीफा दे रहे हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है.

गो फर्स्ट का मालिक कौन, कब शुरू हुई? 

साल 2005 में वाडिया समूह ने एयरलाइंस इंडस्ट्री में कदम रखा था. देश के मशहूर बिजनेस घरानों में से एक वाडिया समूह के मालिक नुस्ली वाडिया के बेटे जेह वाडिया ने गो फर्स्ट एयरलाइंस की शुरुआत की थी. 4 नवंबर 2005 को गो फर्स्ट की पहली सस्ती फ्लाइट मुंबई से अहमदाबाद के बीच शुरू हुई थी. उस समय काफी जवान थे. इस समय जेह वाडिया की उम्र करीब 31 साल थी. इस दौर में एविशएशन बिजनेस में तड़क भड़क खूब थी. विजय माल्या के साथ उनकी एयरलाइंस कंपनी ‘किंगफिशर’ का भी जलवा था.

दिक्कतें कब शुरू हुईं?

दरअसल वाडिया ग्रुप ने एविएशन सेक्टर में कदम तो बढ़ा दिए, लेकिन समूह के पास इस कारोबार को लेकर कोई सॉलिड प्लान और अनुभव नहीं था. इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि गो फर्स्ट से करीब सालभर बाद शुरू होने वाली एयरलाइंस कंपनी इंडिगो काफी तेजी से 'उड़ान' भर रही थी. 2014 में इंडिगो एयरलाइंस के पास प्लेन का बेड़ा 100 के आसपास पहुंच चुका था, जबकि इस समय गो फर्स्ट एयरलाइंस के बेड़े में 20 प्लेन भी नहीं हो पाए थे. आज भी विमानों की संख्या के मामले में गो फर्स्ट IndiGo से 5 कदम पीछे है. गो फर्स्ट के पास जहां सिर्फ 60 विमान हैं, वहीं इंडिगो के फ्लीट का साइज 300 से ज्यादा है.  

इकोनॉमिक टाइम्स ने जेह वाडिया और उनके पिता दोनों के साथ काम करने वाले एक व्यक्ति के हवाले से बताया,

‘’जेह वाडिया कहा करते थे कि उनकी एयरलाइन की ताकत उसका छोटा आकार है. जिसकी वजह से उनकी एयरलाइन काफी फुर्तीली बनी हुई है." 

वाडिया परिवार के एक और करीबी ने अखबार से कहा,

"गो फर्स्ट इसलिए शुरू की गई क्योंकि जेह वाडिया की इच्छा थी कि वह एक एयरलाइन शुरू करें. लेकिन उनके पास इस बिजनेस को लेकर कोई कंक्रीट प्लान नहीं था और सिर्फ दो विमानों को पट्टे पर लेकर एयरलाइंस शुरू कर दी गई. जबकि नुस्ली वाडिया के लिए, एयरलाइन बिजनेस बाकी दूसरे बिजनेस की तरह ही एक और धंधा है जिसमें वह बराबर समय देते हैं.” 

लेकिन इंडिगो का मेन बिजनेस ही एय़रलाइन था. वाडिया समूह का कोर बिजनेस ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और बॉम्बे डाइंग था. इस बात का असर Go First के ऑपरेशंस पर पड़ा.

गो फर्स्ट के पास अपने कारोबार को आगे बढ़ाने का कोई सॉलिड बिजनेस प्लान नहीं था. इसके अलावा एयरलाइन के सामने एक और अनचाही समस्या खड़ी हो गई जब दुनिया में कोरोना महामारी ने दस्तक दी. 2020 में शुरू हुई महामारी के चलते जब दुनियाभर की एयरलाइंस की हालत काफी खराब रही तो गो फर्स्ट पर भी इसका सीधा असर पड़ा और करीब सालभर एयरलाइन का काम धंधा ठप रहा. एयरलाइंस कंपनियां मजबूरन अपने स्टॉफ को लीव विदआउट पे के जरिये घर भेज रही थीं. इस बीच सूत्र बताते हैं कि साल 2021 में जेह वाडिया ने भी वाडिया ग्रुप की सभी कंपनियों और एयरलाइंस से इस्तीफा दे दिया और लंदन चले गए. 

गो फर्स्ट की परेशानी यहीं नहीं थमी. इस आग में घी का काम किया एयरलाइन में लगे प्रैट एंड व्हिटनी इंजन ने. गो फर्स्ट के विमानों के बेड़े में एयरबस ए321 नियो के विमान शामिल हैं. कंपनी ने नए विमान खरीदने के वक्त भी इसी विमान के अन्य वर्जन को तरजीह दी. इनमें से अधिकतर में प्रैट एंड व्हिटनी कंपनी के इंजन लगे हैं. पिछले साल जुलाई में जब एयरलाइन कंपनी के 45 विमान उड़ान भर रहे थे, तब अचानक से 3 महीने के अंदर प्रैट एंड व्हिटनी कंपनी के इंजनों में खराबी की वजह से एयरलाइन के 24 विमान जमीन पर खड़े हो गए. फिलहाल कंपनी के 59 में 25 प्लेन इंजनों में खराबी और 4 लैंडिंग गियर में समस्या की वजह से उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. इसके चलते कंपनी के कामकाज पर बुरा असर पड़ा है.

सूत्रों का ये भी कहना है कि कि गो फर्स्ट एयरलाइंस को टाटा समूह की एयर इंडिया और राकेश झुनझुनवाला की हाल ही में लॉन्च हुई आकासा एयरलाइंस से अच्छी खासी चुनौती मिल रही है. हालांकि, वाडिया ग्रुप ने गो फर्स्ट एयरलाइंस का कामकाज जारी रखने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं . पिछले 15 महीनों में वाडिया ग्रुप ने अपनी इस एयरलाइंस को पटरी पर लाने के लिए 3000 करोड़ रुपये लगाए हैं. 

इसके अलावा वाडिया समूह ने सरकार की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम से भी 600 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है, क्योंकि कंपनी को मार्केट से पैसा जुटाने में परेशानी आ रही है. एयरलाइन ने अपने आईपीओ के लिए 2021 में पेपर दाखिल किए थे, लेकिन बाद में कंपनी ने ये आईपीओ टाल दिया था. कंपनी इस आईपीओ के जरिये 3600 करोड़ रुपये जुटाने की योजना लाने वाली थी. 

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, Go First एयरलाइन को फाइनेंशियल ईयर 2022 में अब तक सबसे ज्यादा वित्तीय घाटा हुआ है. इकोनॉमिक टाइम्स ने कैपिटल लाइन के हवाले से एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि गो फर्स्ट को वित्त वर्ष 2020-21 में 870 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वहीं वित्त वर्ष 2021-22 में ये बढ़कर 1804 करोड़ रुपये हो गया. इसी तरह एयरलाइन कंपनी पर कर्ज 2020-21 में 2540 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 3513 करोड़ रुपये हो गया. हाल ही मे खबर आई थी कि वाडिया समूह गो फर्स्ट से अपनी बड़ी हिस्सेदारी बेचने या इस कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने की दिशा में भी काम कर रहा है.

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