The Lallantop
Advertisement

'FIR की वजह कर्ज नहीं चुकाने की मंशा', लीलावती ट्रस्ट के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे HDFC के CEO

HDFC के CEO के शशिधर जगदीशन ने मुंबई पुलिस को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने का आदेश जारी करने की भी मांग की है.

Advertisement
lilawati hospital trustee feud hdfc ceo shashidhar jagdishan files plea in bombay high court
लीलावती ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टियों ने 7 पूर्व ट्रस्टी समेत 17 लोगों के खिलाफ पिछले 2 दशकों में 1250 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.
pic
उपासना
19 जून 2025 (Updated: 19 जून 2025, 02:10 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

HDFC और लीलावती हॉस्पिटल ट्रस्ट विवाद के बीच HDFC के CEO शशिधर जगदीशन ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. जगदीशन ने उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की है. मुंबई के मशहूर लीलावती अस्पताल को मैनेज करने वाले ट्रस्ट ने जगदीशन पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. इस पर बॉम्बे मजिस्ट्रेट कोर्ट ने FIR का आदेश दिया. साथ में पुलिस को वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया. अब जगदीशन ने याचिका में मांग की है कि मुबंई पुलिस को उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई ना करने का आदेश दिया जाए.

क्या है मामला?

ये मामला लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMM ट्रस्ट) के ट्रस्टियों के बीच आपसी लड़ाई से जुड़ा है. किर्तीलाल मेहता ने 1978 में लीलावती ट्रस्ट की स्थापना की थी. उनके चार बेटे और तीन बेटियां थीं. ये सभी ट्रस्ट से जुड़े हुए थे. इनके बेटा-बेटी यानी तीसरी पीढ़ी भी ट्रस्ट का हिस्सा हैं. किर्तीलाल के बेटे किशोर मेहता के बेटे प्रशांत, राजेश और राजीव इस समय ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टी हैं. उन्होंने ही ट्रस्टी की तरफ से शिकायत दर्ज कराई है.

क्या हैं आरोप?

लीलावती ट्रस्ट ने 7 पूर्व ट्रस्टी समेत 17 लोगों के खिलाफ पिछले 2 दशकों में 1250 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. इन 17 लोगों में हॉस्पिटल के इक्विपमेंट सप्लायर और वेंडर भी शामिल हैं. ये भी दावा किया गया है कि HDFC के सीईओ जगदीशन ने उनके पिता को परेशान करने के लिए एक पूर्व ट्रस्ट सदस्य (चेतन मेहता) से 2.05 करोड़ रुपये लिए थे.

मौजूदा ट्रस्ट सदस्यों के हाथ लगी एक डायरी में इस लेन देन का जिक्र है. कैश डायरी से पता चला कि कुछ ट्रस्टियों ने मिलकर 14.42 करोड़ रुपये का गबन किया था. इनमें से 2.05 करोड़ रुपये जगदीशन को मिले थे. इससे पता चलता है कि वो प्रत्यक्ष रूप से इस गड़बड़ी में शामिल थे. जगदीशन के अलावा 8 और लोगों पर भी FIR हुई है. 

प्रशांत मेहता ने शिकायत में दावा किया है कि रिकवरी कार्रवाई में उनके पिता को शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया. जिसके चलते उनकी मौत हो गई. ट्रस्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक और प्रवर्तन निदेशालय से भी जगदीशन को तत्काल प्रभाव से पद से हटाने की मांग की है.

HDFC ने क्या कहा?

HDFC बैंक के प्रवक्ता ने इन आरोपों को खंडन किया है. कहा है कि ना तो बैंक और ना तो इसके सीईओ गैरकानूनी या अनैतिक आचरण में शामिल हैं. बैंक का कहना है कि प्रशांत मेहता और उनके परिवार पर लंबे समय से कर्ज बकाया है. बैंक में बीते दो दशकों से वसूली की प्रक्रिया चल रही है. किसी भी प्रक्रिया में उनके परिवार को परेशान नहीं किया गया है. मेहता परिवार ने सभी स्तरों पर वसूली रोकने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. तो अब वो ये रास्ता अपना रहे हैं.

जगदीशन की याचिका के मुताबिक HDFC ने 1995 में स्प्लेंडर जेम्स लिमिटेड को लोन दिया था. 2002 में कंपनी और उसके गारंटर किशोर मेहता और अन्य के खिलाफ रिकवरी प्रक्रिया शुरू की गई. इस मामले में 2020 में किशोर मेहता और अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया. 2024 में किशोर मेहता की मौत हो गई.

किशोर की मृत्यु होने के बाद कर्ज लौटाने की जिम्मेदारी उनकी पत्नी चारू मेहता और बेटे प्रशांत मेहता की बनती है. जगदीशन ने कहा है कि वसूली प्रक्रिया को रोकने के लिए ट्रस्ट ने उनके और अन्य के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है. बहरहाल, जगदीशन की याचिका को हाई कोर्ट की दो सदस्यों की बेंच को भेजा गया है. हालांकि, बेंच ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया. तो अब यह केस किसी दूसरी बेंच को भेजा जाएगा.

वीडियो: होम लोन के गिरते दाम के बीच जानिए कैसे करवा सकते हैं इन्हें ट्रांसफर

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement