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Tesla को टक्कर देने के लिए Xiaomi अपनी हर इलेक्ट्रिक कार पर 8 लाख का घाटा झेल रही है, फिर भी...

टेक कंपनी का नाम Xiaomi और कार का नाम Xiaomi's SU7 (Speed Ultra 7). कीमत 30 हजार डॉलर मतलब 25 लाख के अल्ले-पल्ले. Tesla मॉडल 3 से 3 हजार डॉलर कम. लेकिन झोल ये है कि शाओमी को हर कार बेचने पर लगभग 10 हजार डॉलर (आठ लाख रुपये) का घाटा हो रहा है.

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शाओमी इलेक्ट्रिक कार (तस्वीर: शाओमी)

एक बहुत बड़ी कंपनी अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च (Xiaomi's EV launch) करती है. लॉन्च होने के एक मिनट के अंदर 88898 कारें प्री-बुक हो जाती हैं. प्रोडक्ट का रौला इतना कि जब उस दिन का शेयर मार्केट खुलता है तो कंपनी के शेयर 16 फीसदी तक चढ़ जाते हैं. कंपनी की मार्केट वैल्यू कारों के दिग्गज जनरल मोटर्स (GM) और फोर्ड से भी ज्यादा हो जाती है. कार के फीचर्स तो शानदार हैं ही, कीमत भी मार्केट लीडर Tesla से लाखों कम है. सब एक ड्रीम जैसा लग रहा है ना, लेकिन ऐसा है नहीं. और ऐसा क्या नहीं है वही हम आपको बताते हैं.

टेक कंपनी का नाम Xiaomi और कार का नाम Xiaomi's SU7 (Speed Ultra 7). कीमत 30 हजार डॉलर मतलब 25 लाख के अल्ले-पल्ले. Tesla मॉडल 3 से 3 हजार डॉलर यानी ढाई लाख रुपये कम. लेकिन झोल ये है कि शाओमी को हर कार बेचने पर लगभग 10 हजार डॉलर (आठ लाख रुपये) का घाटा हो रहा है. 8000 या 80 हजार होता तो फिर भी समझ आता. पूरे आठ लाख हर कार पर. अब सवाल ये है कि शाओमी ऐसा क्यों कर रही है. इसी का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे.

Xiaomi's SU7 है क्या?

साल 2021 में जब कंपनी ने इलेक्ट्रिक कार बनाने की घोषणा की तो पूरी दुनिया ने इस बात को गंभीरता से लिया. इसका सबसे बड़ा कारण इसके स्मार्टफोन रहे. ये कहना गलत नहीं होगा कि शाओमी ने कुछ ही सालों में दुनिया भर में अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन का बहुत बड़ा बाजार बनाया. इंडिया में तो कंपनी एक समय नंबर वन पर काबिज थी. किफायती फोन मतलब शाओमी. इसलिए कार बनाने की बात सभी को अच्छी लगी. एक उम्मीद भी बंधी कि चलो जैसे इसने स्मार्टफोन मार्केट में एक मिडरेंज सेगमेंट बनाया वैसे ही कारों का नया मार्केट बनेगा.

Xiaomi's SU7

कंपनी ने भी निराश नहीं किया और SU7 को पिछले साल दिसंबर में पब्लिक के सामने रखा. Porsche जैसी दिखने वाली कार ने बढ़िया बज बनाया. HyperEngine V8s और Full Oil Cooling  तकनीक वाली कार सिंगल चार्ज में 1200 किलोमीटर रेंज का दावा करती है. ये वाकई में बहुत बड़ी बात है क्योंकि अधिकतर इलेक्ट्रिक कारें आज भी 600 किलोमीटर के आस-पास झूल जाती हैं.

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Xiaomi's SU7

कार को चीन में कैसा रिस्पॉन्स मिला वो हम पहले पैरा में ही बता दिए. बम्पर बुकिंग की वजह से शेयर बाजार में कंपनी की मार्केट वैल्यू 55 बिलियन डॉलर (4.58 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गई. जनरल मोटर्स के 52 बिलियन और फोर्ड के 53 बिलियन से भी ज्यादा.

रफ्तार पकड़ेगी या ब्रेक लगेंगे?

सब ठीक लग रहा था लेकिन हर कार पर आठ लाख का घाटा मार्केट एक्सपर्ट को हिला गया. रॉयटर्स के मुताबिक भले कार को बम्पर ओपनिंग मिली है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि चीन के मार्केट पर उसका कब्जा हो जाएगा. दुनिया के सबसे बड़े कार मार्केट पर कब्जा तो दूर, थोड़ी जगह बनाना भी मुश्किल होगा. दुनिया से उलट चीन का कार मार्केट ओवर सप्लाई से जूझ रहा है. कितनी ही नई और पुरानी कार कंपनियां सिर्फ इलेक्ट्रिक कार बना रहीं हैं.

हालांकि एक दूसरा पक्ष ये भी है कि शाओमी का पॉकेट इस घाटे को फिलहाल के लिए झेल भी सकता है. क्योंकि कंपनी की बिना कार के भी मार्केट वैल्यू 38 बिलियन डॉलर रही है. लेकिन आखिर कब तक क्योंकि ये बात भी सच है कि स्मार्टफोन मार्केट में अब उसका दबदबा पहले जैसा नहीं रहा. एप्पल और सैमसंग तो बड़ी चुनौती बने ही हैं. छोटे प्लेयर भी अब बड़ा गेम कर रहे.

एक्सपर्ट को लगता है कि शाओमी ने बाजार में आने में थोड़ी देरी कर दी. स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी ने कार तो बहुत स्मार्ट बना दी, मगर टाइमिंग में मात खा गई. अब जो होगा वो भविष्य में उसकी स्पीड पता चल ही जाएगी.

वैसे एक पॉइंट और है. आम नजरिया. स्मार्टफोन छोड़कर कंपनी के बाकी प्रोडक्टस सिर्फ लॉन्च पर रौला जमा पाए हैं. लॉन्ग टर्म में इनको रफ्तार मिली नहीं.

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