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हैकर्स ने पोस्ट कर दी लोगों की प्राइवेट जानकारी, प्रधानमंत्री को देनी पड़ी सफाई!

हैकिंग करके बवंडर को खड़ा कर दिया पर रूसी हैकर्स की मांग क्या है, ये अब तक पता नहीं चला.

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लाखों लोगों का डेटा चोरी. (image-twitter)

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक वेबसाइट से डेटा चोरी होने पर खुद देश के प्रधानमंत्री को इसपर चिंता जतानी पड़े! शायद नहीं क्योंकि किसी वेबसाइट से पर्सनल डेटा चोरी होने, वेबसाइट या ऐप हैक होने की खबरें तो हर दो चार दिन में सुनने को मिल ही जाती हैं. आमतौर पर ऐसी घटनाओं पर संबंधित कंपनी का एक रटा-रटाया बयान भी आ जाता है कि सब चंगा सी! भारत में शायद डेटा चोरी को हल्के में लिया जाता हो, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में ऐसा नहीं है. डेटा चोरी के एक वाकये ने वहां के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस (Anthony Albanese) को भी बयान देने के लिए मजबूर कर दिया है. पूरा मामला विस्तार से जानते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में एक कंपनी है Medibank. देश में हेल्थ इनश्योरेंस उपलब्ध कराने वाली सबसे बड़ी कंपनी. कंपनी के सर्वर में कथित रूसी साइबर अपराधियों ने सेंध लगाकर लाखों लोगों का निजी डेटा उड़ा लिया. हद तो तब हो गई जब हैकर्स ने इनमें से कुछ लोगों का निजी डेटा ऑनलाइन पोस्ट कर दिया. रसियन हेकर ग्रुप REvil की तरफ से ब्लॉग के जरिए पोस्ट की गई जानकारी में लोगों के नाम, घर के पते, जन्म तारीख, सरकारी पहचान पत्र जैसी संवेदनशील सूचनाएं भी शामिल हैं. ब्लॉग में आगे भी लोगों से जुड़ी जानकारी पोस्ट करने की धमकी भी दी है. क्या आम क्या खास, सब मेडीबैंक के ग्राहक हैं. आस्ट्रेलियन प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस भी मेडीबैंक के कस्टमर हैं और अपनी निजी जानकारी पब्लिक में आने से चिंतित हैं. एंथनी अल्बनीस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,

ये लोगों के लिए वास्तव में बहुत कठिन है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मेडीबैंक के 9.7 मिलियन बोले तो सत्तानवे लाख ग्राहकों का हेल्थ डेटा पिछले महीने चोरी हो गया था. कंपनी ने जब साइबर ठगों की मांगे मानने और फिरौती की रकम देने से मना कर दिया, तो उन्होंने कई लोगों की जानकारी ऑनलाइन पोस्ट कर दी. मामले की गंभीरता को समझते हुए ऑस्ट्रेलिया की फेडरल पुलिस ने भी बयान जारी किया है. पुलिस के मुताबिक,

स्वास्थ्य से जुड़ी निजी जानकारी पब्लिक होना "परेशान करने वाला और शर्मनाक" हो सकता है.

अभी जिनका डेटा बाहर नहीं आया है, उनके ब्लैकमेल होने की चेतावनी भी पुलिस ने जारी की है. असिस्टेंट कमिश्नर जस्टिन गॉग ने ऐसे किसी भी ब्लैकमेलर के फोन या एसएमएस से कॉन्टेक्ट करने पर लोगों को बिना झिझक के पुलिस से बात करने की अपील की है.

इधर, इस पूरे मामले पर मेडीबैंक ने माफी मांगी है. कंपनी ने हैकर्स पर लोगों की निजी जानकारी का हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. कंपनी इससे निपटने के लिए चौबीस घंटे काम करने का वादा भी कर रही है. वैसे इस पूरे मामले पर ऑस्ट्रेलिया की गृह मंत्री क्लेयर ओ नील ने मेडीबैंक का बचाव किया है. उनके मुताबिक कंपनी ने वही किया जो सरकार ने उनसे करने के लिए कहा. क्लेयर ओ नील का कंपनी का बचाव करना हैरानी पैदा करने वाला है, क्योंकि वो अक्सर ये कहती सुनी जाती हैं कि देश की साइबर सुरक्षा दस साल पीछे है. फिलहाल, इस बात का पता नहीं चल पाया है की तथाकथित रूसी हैकर्स की मांग क्या है.  

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