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सुपर कंप्यूटर परम से खुद के सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तक, तकनीक में दबंग होते भारत की कहानी

आजादी का अमृत महोत्सव, बीते 75 सालों में तकनीक की दुनिया में परचम लहरातीं देश की उपलब्धियां.

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विज्ञान और तकनीक में हम किसी से कम नहीं (image-amritmahotsav/pexels)

19 अप्रैल 1975 को भारत के मशहूर खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर देश का पहला सैटेलाइट अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया. लगभग 3 करोड़ रुपये की लागत से बने आर्यभट्ट को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने सोवियत संघ की मदद से भारत में विकसित किया था. इस सैटेलाइट को एस्ट्रोनॉमी, एरोनॉमिक्स और सोलर फिज़िक्स में प्रयोग किया जाना था. 17 साल की लाइफ वाले सैटेलाइट का वजन था 360 किलोग्राम था. थोड़ा नास्टैल्जिया फ़ील करना हो, तो ये भी जान लीजिए कि इस उपग्रह की तस्वीर कई सालों तक दो रुपये के नोट पर थी.

विज्ञान के लिहाज से साल 1978 ऐतिहासिक है. तीन अक्टूबर 1978 को भारत के पहले और पूरी दुनिया के दूसरे टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ. तीन अक्टूबर 1978 को दुर्गापूजा का पहला दिन था, इसलिए  टेस्ट ट्यूब के जरिए जन्मी बच्ची का नाम दुर्गा रखा गया. भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक डॉ.सुभाष मुखोपाध्याय थे, लेकिन पहले पहल उनके काम पर संदेह जताया गया. हालांकि, 9 जून 1981 को कोलकाता में सुसाइड कर लेने के बाद, उन्हें टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक के तौर पर मान्यता दी गई.

साल 1991 और हमने दिया दुनिया को परम ज्ञान. देश में विकसित पहले सुपर कंप्यूटर परम (PARAM) ने दुनिया और विशेषकर अमेरिका को भौचक्का कर दिया. दरअसल, चार साल पहले 1987 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के बीच हुई बैठक में अमेरिका ने अपना सुपर कंप्यूटर (CRAY) भारत को देने से इनकार कर दिया था. ठीक एक साल बाद डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इसके डायरेक्टर डॉ विजय भटकर की अगुवाई में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (C-DAC) की नींव पड़ी. सिर्फ तीन साल में (C-DAC) ने देश का अपना सुपर कंप्यूटर PARAM 8000 बनाकर पूरी दुनिया को दंग कर दिया. PARAM 8000 ने डिजिटल जगत में भारत को एक अलग पहचान और ख्याति दिलाई.  

साल 1995 और महीना था जुलाई का. तारीख 31. जब पहली बार मोबाइल फोन से कॉल लगाया गया. तब की केंद्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सुखराम ने हजारों किलोमीटर दूर बैठे पश्चिम बंगाल के सीएम ज्योति बसु से मोबाइल पर बात की थी. पहले कॉल की कीमत उस समय 16 रुपये प्रति मिनट थी. जिस डिवाइस से कॉल किया गया, वो नोकिया ने बनाया था. आज से 27 साल पहले इस सर्विस को मोबाइल नेट (Mobile Net) के नाम से जाना जाता था. देश के पहले मोबाइल ऑपरेटर बनने का श्रेय मिला आस्ट्रेलिया के Telstra और भारत के  B.K. Modi ग्रुप की साझेदारी में बनी Modi-Telstra को. साल 1995 में कुल आठ कंपनियों को सेलुलर सर्विस का लाइसेंस दिया गया.

11 मई 1998 के दिन भारत ने वो धमाका किया, जिसकी गूंज आज भी पूरी शान से सुनाई देती है. अमेरिका की नाक के नीचे भारत ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. साल 1995 में भारत की परमाणु बम परीक्षण की कोशिश नाकाम हो चुकी थी. लेकिन 11 मई 1998 को  दिवंगत राष्ट्रपति और एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में देश ने ऐसा धमाका किया कि पूरी दुनिया की आंखें फटी रह गईं. करीब 3:45 बजे ट्रिगर दबा और ऐसा ताकतवर विस्फोट हुआ कि पोखरण की रेतीली जमीन कांप उठी. रेत के बवंडर ने सबकुछ ओझल कर दिया. पोखरण में तब तीन बमों के सफल परीक्षण के बाद प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को एक परमाणु देश घोषित किया. इसके साथ ही भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘परमाणु क्लब’ में शामिल होने वाला छठा देश बना. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में कहा “ये बदला हुआ भारत है, जो दुनिया से आंख मिलाकर और हाथ मिलाकर चलना चाहता है. यह किसी प्रतिबंध से झुकेगा नहीं और शांति व सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.”

तकरीबन हर जगह जरूरी हो चुके आधार कार्ड के लिए यूआईडीएआई (UIDAI) के गठन का नोटिफिकेशन 28 जनवरी, 2009 को जारी हुआ. आज के नीति आयोग या तब के योजना आयोग ने विशिष्ट संख्या वाले पहचान पत्र यानी आधार की योजना तैयार की. इंफोसिस के संस्थापक नंदन नीलेकणी इसके पहले चेयरमेन बने. आधार योजना को सितंबर 2010 में प्रायोगिक तौर पर महाराष्ट्र के कुछ ग्रामीण इलाकों में लॉन्च किया गया और इसी साल दिसंबर में सरकार ने नेशनल आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया बिल 2010 संसद में पेश किया. आज भारत में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों के पास उनका खुद का आधार कार्ड है. पहला आधार कार्ड 29 सितंबर 2010 को महाराष्ट्र की रंजना सोनावाने का बना था.

फरवरी 2020 में रियलमी ने अपना स्मार्टफोन Realme X50 Pro 5G पेश किया. इसमें एक शानदार फीचर लगा हुआ था. जिसकी इबारत इसरो ने 1 जुलाई 2013 को लिखी. इस दिन इसरो ने स्वदेसी जीपीएस इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम को लॉन्च किया. नाम रखा गया NavIC (नाविक). नाविक भारत का अपना सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है. नाविक का सपोर्ट क्वॉलकॉम चिपसेट के कई स्मार्टफोन में मिलता है. इस शानदार नेविगेशन सिस्टम के बाद हम दुनिया के उन देशों वाली लीग में शामिल हैं, जिसमें चीन का बायडू (BeiDou), रूस का ग्लोनॉस और अमेरिका का जीपीएस आता है. यूरोप का गैलीलियो भी इसी लीग का हिस्सा है. नाविक एक बहुत उन्नत किस्म का नेविगेशन सिस्टम है, जो पांच मीटर की दूरी से भी सटीक जानकारी हासिल कर सकता है. जहां जीपीएस में सिर्फ एक ही फ्रीक्वेंसी होती है, वहीं नाविक डुअल फ्रीक्वेंसी से लैस है.

तारीख 24 सितंबर 2014. भारत ने वो कर दिखाया, जो इसके पहले दुनिया के कोई देश पहली बार में नहीं कर पाए थे. दरअसल इसी तारीख से कुछ महीने पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पहला मंगलयान अंतरिक्ष के लिए रवाना किया. मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) को मंगल की कक्षा में पहुंचाने वाला भारत पहला एशियाई देश बना. लेकिन सबसे खास बात ये रही कि पहले प्रयास में ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया. सिर्फ 75 मिलियन डॉलर में मार्स ऑर्बिटर मिशन को पूरा करने पर प्रधानमंत्री मोदी ने (ISRO) की तारीफ में कहा, "हॉलीवुड की मशहूर फिल्म Gravity से भी कम बजट में हम मार्स पर पहुंच गए." मोदी यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि अहमदाबाद में ऑटो रिक्शा से एक किलोमीटर का सफर तय करने में 10 रुपये लगते हैं, लेकिन मंगल गृह का सफर हमने 7 रुपये प्रति किलोमीटर में ही तय कर लिया.

आज डिजिटल पेमेंट एक आम बात है. लेकिन अप्रैल 2016 से पहले ऐसा नहीं था. तारीख 11 अप्रैल 2016 को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने रियल टाइम पेमेंट सिस्टम लॉन्च किया. आज इसी को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई के नाम से जाना जाता है. पेमेंट एप भीम (BHIM या Bharat Interface for Money) भी यूपीआई पर बेस्ड है, जिसको खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉन्च किया गया था. यूपीआई पेमेंट सिस्टम ने भारत के लोगों और व्यापारियों के लिए डिजिटल पेमेंट को बहुत आसान बना दिया. भारत में सभी बैंक तो यूपीआई की सुविधा दे ही रहे हैं, साथ ही साथ Google और WhatsApp जैसे टेक दिग्गज भी यूपीआई पेमेंट सिस्टम के दम पर भारतीय जनमानस में पैठ बनाए हुए हैं.

1 अगस्त 2022 को देश में टेलिकॉम सेक्टर में एक नया अध्याय लिखा गया. देश में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया पूरी हुई. 5G स्पेक्ट्रम नीलामी में कुल डेढ़ लाख करोड़ रुपये की बोली लगाई गई और देश में 5G का इंतजार खत्म हुआ. केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा "नीलामी पूरी हो गई है और 12 अगस्त तक मंजूरी, स्पेक्ट्रम आवंटन और एडवांस पेमेंट की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. ऐसा लगता है कि अक्टूबर तक देश में 5G सर्विस शुरू हो जाएगी." नीलामी में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी रही भारती एयरटेल ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इसी महीने अपनी 5G सर्विस लॉन्च करने का आधिकारिक ऐलान भी कर दिया.

नेतानगरी: राज्यसभा चुनाव का तिहाड़ जेल कनेक्शन शो में पता चल गया