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एक एलईडी लाइट की कीमत आप भी जान लो रमेश बाबू...

इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बिना बताए बड़ी चपत लगाते हैं.

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इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स हजारों का चूना लगा रहे हैं. (image-pexels)

टीवी से लेकर माइक्रोवेव और वाई-फाई राउटर से लेकर गेमिंग कंसोल की टिमटिमाती या बिलबिलाती एलईडी लाइट आपका कितना नुकसान कर सकती है? आप हमारे इस सवाल को सीधा शॉटसर्किट से जोड़िएगा. पर हम आपसे माली नुकसान या पैसे के झटके के बारे में पूछ रहे हैं. अगर हम कहेंगे कि एक छोटी सी लाइट आपको साल भर में करीब 12,000 रुपये का नुकसान करा सकती है तो आप यकीन करेंगे क्या... बता दें कि ये आंकड़ा कोई जुमलेबाजी नहीं है. हम आपको सबूत भी देंगे और विस्तार से सब बताएंगे भी.

एक फिल्म आई थी 'बत्ती गुल मीटर चालू'. बॉक्स ऑफिस पर इसकी बत्ती गुल हो गई थी. अब याद करिए इसके एक सीन को जिसमें शाहिद कपूर कोर्ट में जिरह करते हुए मीटर में लगी छोटी सी लाइट के बारे में बहस करते हैं. सीन खत्म होने पर पता चलता है कि वो छोटी सी लाइट से बिजली कंपनी साल भर में 73 करोड़ की मोटी रकम कमा डालती है. फिल्म आई और गई, शायद किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन अब इस बात पर ध्यान दीजिए क्योंकि स्विच ऑफ किए बिना छोड़े गए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को लेकर बाकायदा एक रिसर्च की गई है और इस बात को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) से लेकर कई और संस्थाओं ने प्रमुखता से उठाया है.

क्या कहता है रिसर्च?

British Gas जो यूनाइटेड किंगडम की एक प्रमुख एनर्जी कंपनी है, उसकी सहयोगी centrica ने इसपर रिसर्च की है. रिसर्च के मुताबिक, स्टैंडबाय मोड में रहते हुए कई प्रोडक्टस जो थोड़ी-थोड़ी एनर्जी चूसते हैं. उसका सालभर का बिल करीब 11971 रुपये होता है. कंपनी ने तो इन डिवाइस का नाम ही vampire devices रख दिया है. अपनी भाषा में कहें तो बिजली बिल बढ़ाने वाले पिशाच.

अब जरा स्टैंडबाय मोड समझते हैं. अब जैसे टीवी है तो उसको आमतौर पर रिमोट से बंद किया जाता है. टीवी तो बंद हो गई लेकिन हरे रंग की जगह आ गई लाल रंग वाली बत्ती. इसी को कहते हैं स्टैंडबाय मोड. ऐसा अकेले टीवी के साथ नहीं बल्कि वाई-फाई राउटर से लेकर माइक्रोवेव और दूसरे कई डिवाइस के साथ होता है. अब ये हमारी आदत में आ चुका है कि सिर्फ रिमोट से या डिस्प्ले पैनल से ही डिवाइस बंद कर दिया. खटका बोले तो बटन बंद करने की जहमत तो उठाते ही नहीं हैं. और आपकी यह कुंभकर्णी रवैया लगाता है जेब पर हजारों का चूना.

generally we never switch off most of the device(image-pexels unsplash)

वैसे स्टैंडबाय मोड में रहते हुए डिवाइस ज्यादा एनर्जी की खपत नहीं करते हैं, बात एलईडी की हो या अंदर की कोई मशीन की. लेकिन अपने आसपास नजर डालेंगे तो पता चलेगा कि हमारे घर और ऑफिस में तमाम ऐसे प्रोडक्ट से भरे पड़े है जिनके डिस्प्ले पैनल पर हरी या लाल बत्ती जलती ही रहती है. रिसर्च में भी घर और ऑफिस में इस्तेमाल होने वाले 13 डिवाइस को शामिल किया गया, लेकिन हम सभी को पता है इनकी संख्या इससे कहीं ज्यादा होती है.

रिसर्च भले विदेश में हुई हो लेकिन हमारी आदतें भी तकरीबन ऐसी ही हैं. डिवाइस की भी कोई कमी नहीं हैं हमारे यहां तो जेब हमारी भी हल्की होती ही होगी. वैसे भी टॉप फाइव में वो डिवाइस हैं जो अधिकतर घरों में होते हैं. जैसे कि वाई-फाई राउटर, एलईडी टीवी, डिश टीवी का डब्बा, माइक्रोवेव और गेमिंग कंसोल. इसके अलावा मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट स्पीकर्स से लेकर ऑटोमेशन डिवाइस तो गिने ही नहीं हैं जिनको तो सिर्फ शुभ मुहूरत देखकर ही बंद किया जाता है. मतलब फिजूल खर्च जितना बताया गया है उससे ज्यादा भी हो सकता है.

अब आपको करना क्या पड़ेगा?

एक लाइन में कहें तो जितना हो सके उतने डिवाइस रिमोट से तो बंद करना है, साथ में बटन से भी. बिजली तो बचेगी ही सही, इसी बहाने थोड़ा चल फिर लोगे तो सेहत भी बनी रहेगी. हां ऐसा करके वातावरण को साफ और हल्का रखने के लिए जो दुआ मिलेगी वो पूरी की पूरी आपकी. कुछ और तरीके भी हम आपको बताते हैं जो आप आजमा सकते हैं, क्योंकि मामला सिर्फ चंद पैसों का नहीं बल्कि हजारों का है.

दिन में नहीं हो सकता तो कम से कम रात में जब सोने जा रहे हो तो निश्चित कीजिए की सारे डिवाइस मेन स्विच से बंद हो. दूसरा जब भी नए डिवाइस लेने वाले हों तो एनर्जी रेटिंग पर थोड़ा ध्यान दीजिए. जितनी ज्यादा उतना अच्छा. गेमिंग कंसोल से लेकर लैपटॉप तक और डिश टीवी बॉक्स को एक एक्सटेंशन कॉर्ड से जोड़िए. ऐसा करने से इनको एक साथ बंद करने में आपको आसानी होगी.

एनर्जी बचाने वाले बल्ब तो लगाइए ही सही, साथ में रूम छोड़ते समय ध्यान से बंद भी कीजिए. अपने साथ बच्चों को भी इसकी आदत डालिए.  

जैसे खेल में टाइमिंग सबसे जरूरी है वैसे ही इन प्रोडक्ट के साथ आपकी टाइमिंग भी. हम सभी जब भी गैस पर कुछ बनाते हैं तो आंच तभी धीमी करते हैं जब उबाल बिल्कुल बाहर आने वाला होता है. फिर भले मुंह के साथ फू फू भी करना पड़े. थोड़ा पहले भी तो गैस की नॉब धीमी कर सकते हैं. ऐसा ही दूसरे डिवाइस के साथ करना सीखिए. एक कप चाय बनाना है तो पूरी कैटल क्यों भरना और कपड़े सिर्फ चार ही धोने हैं तो वाशिंग मशीन को क्यों पूरा भरना.

मोबाइल से लेकर लैपटॉप को रातभर चार्ज में क्यों लगाना भाई. आजकल सारे डिवाइस रॉकेट की रफ्तार से चार्ज होते हैं तो जबतक आप बाथरूम में 'ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए' गुनगुनाएंगे तब तक मोबाइल चार्ज हो जाएगा. बैटरी भी लंबी चलेगी.

वैसे ये सारी बातें इतनी आसान हैं कि इनको अपनाया ही जाना चाहिए. ऐसा करके जो पैसे बचेंगे उससे जिंदगी में कई सारी एलईडी जलाई जा सकती हैं.
 

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