आजकल तो टेस्ट मैच भी अमूमन निर्धारित पांच दिन पूरे नहीं लेते. पहले ही नतीजा आ जाता है. वो ज़माना गया जब टीमें खूंटा डालकर बैठने में विश्वास रखती थीं. अब तो सबको नतीजे की फ़िक्र होती है. कोई भी ड्रॉ के लिए नहीं खेलना चाहता. आज की तारीख में ये यकीन करना मुश्किल है कि कभी एक टेस्ट मैच लगभग दो हफ्ते चला था.
आईपीएल का मैच, जो चार घंटे में निपट जाता है.
दिन था 3 मार्च 1939. उस वक़्त मैच में दिन निर्धारित होने का चलन नहीं था. नतीजा आने तक मैच खेलते ही रहते थे. यूं खेलते चले जाने की कीमत इस मैच में खेलने वाले खिलाड़ियों ने खूब चुकाई. # Timeless Test इस टेस्ट मैच को टाइमलेस टेस्ट कहा जाता है. जो दो टीमें इस मैच में आमने-सामने थीं, वो थीं साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड. साउथ अफ्रीका की धरती पर डरबन शहर में ये मैच खेला गया. और ऐसे खेला गया कि ख़त्म होने का नाम ही ले रहा था. 3 मार्च को शुरू हुए इस मैच को आखिरकार जब रोका गया, तब 14 मार्च की शाम हो चुकी थी. यानी पूरे 12 दिनों के वक्फे में फैला हुआ था ये मैच. इसमें दो दिन और मिला दो तो उतने दिन हो जाते हैं, जितने में भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग हुई थी.
इन 12 दिनों में दो दिन रेस्ट डे थे. इस टेस्ट के आंकड़े देखे जाए तो चकराने वाले हैं.
इस मैच में कुल 581 ओवर फेंके गए. टोटल 1981 रन बने जोकि वर्ल्ड रिकॉर्ड है. इन 12 या खेले गए 10 दिनों में सिर्फ 15 विकेट गिरे. कुल छह शतक लगे. 10 अर्ध शतक लगे.बावजूद इतने जतन के हार-जीत हुई ही नहीं.
उस मैच में खेले साउथ अफ्रीका के ओपनर ब्रूस मिशेल.
आख़िर क्यों नहीं निकला नतीजा?
जब मैच ख़त्म हुआ इंग्लैंड ने पांच विकेट पर 654 रन बना लिए थे. ये प्रथम श्रेणी क्रिकेट में चौथी पारी का सबसे बड़ा स्कोर था. जब उस दिन का खेल ख़त्म हुआ, इंग्लैंड को जीतने के लिए सिर्फ 42 रन चाहिए थे. इसका मतलब अगले यानी तेरहवें दिन वो आसानी से मैच जीत जाती. फिर भी ऐसा न हुआ. क्यों? क्योंकि इंग्लैंड को घर जाना था.इंग्लैंड का जहाज़ केप टाउन से रवाना होने वाला था. उसे पकड़ने के लिए इंग्लैंड को उसी शाम ट्रेन पकड़ना ज़रूरी था. वरना जहाज़ छूट जाता. मजबूरी में इंग्लैंड की टीम रवाना हुई और बावजूद इतना लंबा चलने के ये मैच आपसी रजामंदी से ड्रॉ हुआ.
फाइनल स्कोर शीट कुछ यूं थी:
साउथ अफ्रीका - पहली पारी 530/10 (203 ओवर) इंग्लैंड - पहली पारी 316/10 (118 ओवर) साउथ अफ्रीका - दूसरी पारी 481/10 (142.1 ओवर) इंग्लैंड - दूसरी पारी 654/5 (218.2 ओवर)जैसे चीरहरण के वक़्त द्रौपदी की साड़ी और लंका दहन के वक़्त हनुमान जी की पूंछ का अंत ही नहीं हो रहा था, उसी तरह ये मैच भी खिंचता ही चला गया था. शुक्र है ये कॉन्सेप्ट अब बंद हो चुका है. बोरियत से कौन मरना चाहता है!
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