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कॉमनवेल्थ गेम्स देख लिए लेकिन ये बातें याद हैं?

इंडिया के लिए कुछ ऐसे गए कॉमनवेल्थ गेम्स.

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इंडिया ने कई खेलों में जीते मेडल्स (Courtesy: AP)

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में इंडिया ने 61 मेडल जीतकर चौथे नंबर पर फिनिश किया है. इस टूर्नामेंट के दौरान इंडिया को अनगिनत नए चैम्पियन्स मिले. इंडिया ने बर्मिंघम के लिए 210 एथलीट्स को भेजा था. इन एथलीट्स ने कुश्ती, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, बॉक्सिंग, वेटलिफ्टिंग और एथलेटिक्स में ढेरों मेडल्स अपने नाम किए. और अब इस इवेंट के खत्म होने के बाद हम आपके लिए लाए हैं इस टूर्नामेंट का रिव्यू.

शुरू कुश्ती से करेंगे. कुश्ती में तो बोलबाला ऐसा रहा कि भारत ने 12 में से 12 इवेंट्स में मेडल जीता. बजरंग पुनिया, दीपक पुनिया, रवि दहिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और नवीन कुमार ने गोल्ड जीतकर इन पहलवानों की अगुवाई की.

गोल्ड और सिल्वर जीत इंडियन टीम ने पूरे देश की पहचान लॉन बोल्स से भी करवाई. 40 साल के शरत कमल ने एक बार फिर ढेर सारे मेडल्स पर कब्ज़ा किया. शरत ने मेंस सिंगल्स, मिक्स्ड डबल्स और मेंस टीम में गोल्ड और मेंस डबल्स में सिल्वर मेडल जीते.

अब बात वेटलिफ्टिंग की. मेडल्स की शुरुआत यहीं से हुई. पहला मेडल महाराष्ट्र के संकेत सरगर ने जीता, तो पहला गोल्ड मीराबाई चानू ने जीता. युवा लिफ्टर्स जेरेमी लालरिननुंगा और अचिंता शिउली ने भी गोल्ड जीता. बैडमिंटन में मिक्स्ड टीम में गोल्ड नहीं आया, पर सिंगल्स में लक्ष्य सेन और पीवी सिंधु ने गोल्ड जीता. मेंस डबल्स में चिराग शेट्टी-सात्विक साइराज रैंकिरेड्डी ने भी गोल्ड मेडल जीत लिया.

बर्मिंघम में इंडियन एथलीट्स की जर्नी यादगार रही. एथलेटिक्स में सबकी उम्मीदों से ऊपर उठ एल्डहोस पॉल ने ट्रिपल जंप में गोल्ड मेडल जीता. इसी इवेंट में अब्दुल्ला अबूबकर ने सिल्वर जीत कमाल ही कर दिया. जबकि लॉन्ग जंप और हाई जंप में तेजस्विन शंकर और मुरली श्रीशंकर ने मेडल्स जीते. 10,000 मीटर रेस वॉक में प्रियंका गोस्वामी ने सिल्वर और संदीप कुमार ने ब्रॉन्ज़ जीता.

अनु रानी विमेन जैवलिन थ्रो में ब्रॉन्ज़ मेडल ले आई. एथलेटिक्स का जिक्र हो और अविनाश साबले की बात न हो, ऐसा नहीं हो सकता. 3000 मीटर स्टीपलचेज़ में अविनाश ने सिल्वर मेडल जीता. 1994 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब इस इवेंट के पोडियम पर केन्या के अलावा किसी देश का एथलीट खड़ा हुआ.

एल्डहोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर (AP)

बॉक्सिंग की तरफ बढ़ते हैं. निकहत ज़रीन से वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद कॉमनवेल्थ गोल्ड जीतने की उम्मीद थी. और हुआ भी ऐसा ही. उनका साथ नेशनल चैंपियन नीतू ने गोल्ड जीतकर दिया. मेंस कैटेगरी के लीडर अमित पंघाल ने भी गोल्ड मेडल जीत लिया. सागर अहलावत ने अपने कॉमनवेल्थ डेब्यू पर सिल्वर मेडल जीता. अगले साल होने वाले एशियन गेम्स में इंडिया को बॉक्सिंग से गोल्ड की उम्मीद रखनी चाहिए.

अब टेबल टेनिस की बारी. मेंस टीम इवेंट में गोल्ड, मेंस डबल्स में सिल्वर, मिक्स्ड डबल्स में गोल्ड, और मेंस सिंगल्स में गोल्ड और ब्रॉन्ज़ आए. इस इवेंट के स्टार रहे शरत कमल. शरत ने हर इवेंट में मेडल जीते. तीन में तो गोल्ड भी जीता. श्रीजा अकुला, जी. साथियान और हरमीत देसाई ने उनका पूरा साथ दिया. रैकेट स्पोर्ट में स्क्वाश भी आता है. उसमें भी इंडिया को दो मेडल आए हैं. सौरव घोषाल ने मेंस सिंगल्स और दीपिका पल्लीकल के साथ मिलकर मिक्स्ड डबल्स में ब्रॉन्ज़ मेडल जीते.

कॉमनवेल्थ गेम्स के लेजेंड हैं शरत कमल (AP)

लॉन बोल. इसके चर्चे पूरे देश में हैं. लॉन बोल में इंडिया ने विमेंस फोर और मेंस फोर में मेडल जीते. विमेंस टीम ने गोल्ड और मेंस टीम ने सिल्वर मेडल अपने नाम किया.

इस चर्चा में हॉकी और क्रिकेट को कैसे भूल सकते हैं? कॉमनवेल्थ गेम्स में क्रिकेट दूसरी बार खेला गया. साल 1998 में मेंस के बाद अब बारी विमेन क्रिकेट की थी. विमेंस T20 फॉर्मेट में खेले गए इस इवेंट में इंडिया ने सिल्वर मेडल जीता. हॉकी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. इंडियन मेंस टीम ने सिल्वर और विमेंस टीम ने ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया.

लॉन बोल विमेन फोर्स की टीम (AP) 

अब चलते-चलते एक-दो ऐसे भी नाम बता देते हैं, जिनसे मेडल्स की उम्मीद थी, पर ऐसा हुआ नहीं. पहला तो मणिका बत्रा. मणिका ने 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में विमेंस सिंगल्स और विमेंस टीम के साथ गोल्ड और विमेंस डबल्स में सिल्वर मेडल जीता था. इंडिया को उनसे इस बार भी मेडल्स की उम्मीद थी, लेकिन सारी उम्मीदें टूट गईं. दूसरा नाम है, लवलीना बोरगोहेन का. टोक्यो ओलंपिक्स में मेडल जीतने के बाद लवलीना से यहां भी मेडल की उम्मीद थी, पर ऐसा हुआ नहीं. स्विमिंग में सजन प्रकाश से भी बहुत उम्मीदें थी.

ओवरऑल बात करें तो 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 101 मेडल्स जीतकर भारत दूसरे स्थान पर आया था. 2018 गोल्ड कोस्ट में इंडिया को तीसरा स्थान मिला था. 2018 में इंडिया ने 66 मेडल्स जीते थे. बर्मिंघम CWG में 61 मेडल्स के साथ भारत चौथे स्थान पर रहा. यह संयुक्त रूप से भारत के तीसरे सबसे सफल कॉमनवेल्थ गेम्स हैं. इससे पहले 2002 और 2006 CWG में भी भारत चौथे स्थान पर रहा था.

बर्मिंघम में शूटिंग के नहीं होने पर इंडिया की मेडल टैली पर प्रभाव पड़ने की बातें जोरों से हो रही थी. पर ऐसा हुआ नहीं. भारतीय एथलीट्स ने हर खेल में अच्छा प्रदर्शन किया. अब इंडियन एथलीट्स और फ़ैन्स का पूरा ध्यान अगले साल होने वाले एशियन गेम्स पर रहेगा. 

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