तारीख 14 अप्रैल 2024. समय रात के करीब 10.30 बजे. भारत में अधिकतर स्पोर्ट्स फैन्स अपने टीवी और मोबाईल फोन के सामने चिपके बैठे थे. IPL 2024 में मुंबई इडियंस (Mumbai Indians) और चेन्नई सुपरकिंग्स (Chennai Super Kings) का हाईवोल्टेज मुकाबला देखने के लिए. लेकिन कुछ फैन्स की निगाहें दिल्ली से तकरीबन 6200 किलोमीटर दूर जर्मनी में हो रहे एक मैच पर टिकी हुई थीं. मैच क्रिकेट का नहीं, बल्कि फुटबॉल का था. जहां एक टीम इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ी थी. कुछ ऐसा करने जा रही थी, कि उन्हें ‘चोकर्स’ का टैग देने वालों को करारा जवाब मिलने वाला था. टीम या क्लब जो भी आप कहना चाहें, उसका नाम है बायर लेवरकुजन (Bayer Leverkusen).
120 साल का इंतजार, ट्रोलिंग पर ट्रोलिंग... अब फुटबॉल के सबसे बड़े 'चोकर्स' ने रचा इतिहास!
Bayer Leverkusen ने 120 साल के लंबे इंतजार के बाद Bundesliga का खिताब अपने नाम कर लिया. Xabi Alonso की मार्गदर्शन वाली टीम ने 5 मैच बाकी रहते ये कमाल कर दिया.
मैच खत्म होने से काफी पहले ही टीम के होम स्टेडियम 'बे एरिना' में फैन्स ने जबरदस्त अंदाज में सेलिब्रेशन शुरू कर दिया था. इतने फ्लेयर्स (टॉर्च) जलाए कि स्टेडियम धुआं-धुआं हो गया. और रेफरी की फाइनल सीटी बजने से चंद सेकंड पहले टीम के सुपरस्टार फ्लोरियन विर्त्ज (Florian Wirtz) ने शानदार गोल दाग दिया. फिर क्या था...रेफरी की सीटी बजते ही 30 हजार की क्षमता वाले स्टेडियम की पूरी भीड़ ग्राउंड पर पहुंच गई और टीम के साथ सेलिब्रेट करने लगी. सिर्फ मैच में एसवी वेर्डर ब्रेमेन के खिलाफ मिली 5-0 की बड़ी जीत का ही नहीं, बल्कि जर्मन फुटबॉल लीग बुंदेसलीगा (Bundesliga) का खिताब अपने नाम करने का. क्लब ने 120 साल के लंबे इंतजार के बाद इस प्रतिष्ठित लीग टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया. वो भी पांच मैच बाकी रहते ही. क्योंकि लीग के निर्धारित 34 में से लेवरकुजन ने अब तक 29 मुकाबले ही खेले हैं.
स्टोरी में आगे बढ़ने से पहले एक नाम याद कर लीजिए...जाबी अलोंसो (Xabi Alonso). वो प्लेयर जो स्पेन फुटबॉल की 2008-2012 वाली गोल्डन जेनरेशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रह चुका है. अब उन्होंने एक कोच के तौर पर पिछले साल रेलिगेशन के कगार पर खड़ी टीम की किस्मत को पूरी तरह से पलट दिया. उनके मार्गदर्शन में टीम ने बिना कोई मैच गंवाए इस टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया. अब तक खेले गए कुल 29 मुकाबलों में से टीम को 25 में जीत मिली, जबकि चार मुकाबले ड्रॉ रहे. मजे की बात ये रही कि सिर्फ इस टूर्नामेंट में ही नहीं, बल्कि इस सीजन किसी भी टूर्नामेंट में टीम ने अब तक कोई मैच नहीं गंवाया है. टीम का ये अजेय दौर 42 मैच तक पहुंच चुका है. जिसमें जर्मन कप और यूरोपा लीग के मैच भी शामिल हैं.
बायर्न का वर्चस्व खत्मइस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ ही बायर लेवरकुजन ने पिछले 11 साल से लगातार इस खिताब को जीतती आ रही बार्यन म्यूनिख (Bayern Munich) के एकतरफा वर्चस्व को भी खत्म कर दिया. इससे पहले टीम बुंदेसलीगा में पांच मौकों पर रनर अप रही थी. बायर लेवरकुजन को इससे पहले 1996–97, 1998–99, 1999–2000, 2001–02, 2010–11 सीजन में दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. पिछले सीजन लेवरकुजन की टीम एक समय रेलिगेशन की कगार पर खड़ी थी. लेकिन जाबी अलोंसो के कोच बनने के साथ ही टीम की किस्मत पलट गई. 18 टीम्स वाली इस टूर्नामेंट में लेवरकुजन पॉइंट्स टेबल में छठे नंबर तक पहुंच गई थी.
लेवरकुजन को पिछले काफी समय से 'नेवरकुजन' नाम से ट्रोल किया जाता था. ऐसे में इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के साथ बायर लेवरकुजन ने अपने ऊपर लगे चोकर्स के ठप्पे को भी हटा दिया. इस टीम की खराब किस्मत का अंदाजा आप इस बात से ही लगाया जा सकता है कि 1999-2000 सीजन में ये क्लब महज गोल के अंतर की वजह से टूर्नामेंट का खिताब जीतने से चूक गई थी. सीजन के दौरान खेले जाने वाले 34 मुकाबलों के बाद बायर लेवरकुजन और बार्यन म्यूनिख के 73-73 अंक थे. लेकिन गोल डिफरेंस के आधार पर बार्यन ने ये खिताब अपने नाम कर लिया था.
जबकि 2001-02 सीजन के दौरान भी क्लब दूसरे स्थान पर रही थी. लेकिन इस सीजन टीम दो और टूर्नामेंट का फाइनल हारी थी. चैंपियंस लीग फाइनल में जहां ज़िनेदिन ज़िदान के ऐतिहासिक गोल की मदद से रियाल मैड्रिड से इस टीम को हार मिली थी. वहीं जर्मन कप के फाइनल में टीम को शाल्का 04 ने बायर लेवरकुजन को हरा दिया था. और तब से इस टीम को ‘बायर नेवरकुजन’ के नाम से ट्रोल किया जाने लगा था. लेकिन अब ये टीम अपने करिश्माई प्रदर्शन को लेकर आगे आने वाले कई सालों तक फैन्स की जुबां पर छाई रहेगी.
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