तनु 32 साल की हैं. उनको कभी कोई सीरियस हेल्थ इशूज़ नहीं हुए. पर पिछले कुछ महीनों में उन्होंने अपने शरीर में काफ़ी बदलाव देखा है. उन्हें बहुत थकावट रहती है, सीढ़ियां चढ़ते-उतरते समय सांस एकदम फूल जाती है. अगर वो ज़्यादा देर खड़ी रहती हैं, या कुछ काम करती हैं तो उनको ऐसा लगता जैसे उनके शरीर में जान ही नहीं बची है. इसके अलावा उन्हें चक्कर आना, सिर दर्द, तेज़ हार्ट बीट की भी शिकायत रहती हैं. एहतियातन उन्होंने डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने उनसे कुछ ब्लड टेस्ट करवाने को कहे. जब रिपोर्ट आई तब पता चला कि तनु का हीमोग्लोबिन बहुत कम है. इस कारण उन्हें सारी दिक्कतें हो रही हैं. तनु जानना चाहती हैं अपना हीमोग्लोबिन लेवल ठीक करने के लिए वो क्या कर सकती हैं. तो चलिए आज हीमोग्लोबिन पर ही बात करते हैं. हीमोग्लोबिन क्या होता है, इसका काम क्या है? ये हमें बताया डॉक्टर अमित उपाध्याय ने.

डॉ. अमित उपाध्याय, हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट, पीएसआरआई हॉस्पिटल, नई दिल्ली
हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स यानी लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन होता है. इनका काम पूरे शरीर में खून के माध्यम से ऑक्सीजन की सप्लाई करना होता है. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन जितना कम होगा, उतना ही हमारे शरीर में खून की कमी होती जाएगी. जिसका मतलब है खून की ऑक्सीजन सप्लाई करने की क्षमता उतनी ही कम हो जाती है. इस स्थिति को एनीमिया कहा जाता है. हीमोग्लोबिन जितना कम होता जाएगा, एनीमिया उतना ही बढ़ता जाएगा. एनीमिया औरतों में ज्यादा होता है क्योंकि उनको हर महीने पीरियड में ब्लड लॉस होता है. यह हमारे देश में सबसे आम समस्या है. लगभग 40 प्रतिशत आबादी इससे ग्रस्त है. हेल्थ रिस्क हीमोग्लोबिन की कमी से जो खून की ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता है, वह कम हो जाती है. इसकी वजह से कई सारी दिक्कतें आ सकती हैं. जैसे अगर दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो इंसान को चक्कर आ सकते हैं. अगर दिल में ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो धीरे-धीरे दिल कमजोर होने के साथ हार्ट फेल हो सकता है. ये जानलेवा हो सकता है. हीमोग्लोबिन अगर कम हो जाता है तो बार-बार इंफेक्शन होने की संभावना होती है. अगर एनीमिया को वक्त रहते ठीक न किया जाए तो इंसान चिड़चिड़ा होने लग जाता है, कई बार डिप्रेशन की कंडीशन भी हो सकती है. हीमोग्लोबिन कम है, ये कैसे पता चलेगा? हीमोग्लोबिन की कमी होने पर चक्कर आने लग जाते हैं, सीढ़ियां चढ़ने-उतरने में थकावट होती है. सांस फूलने लगती है, मन अच्छा नहीं रहता है.

जिन लोगों में हीमोग्लोबिन की कमी होती उनका शरीर सफेद सा नजर आता है, उनकी आंखें और जीभ का रंग सफेद सा होता है. इसके अलावा बच्चों में कई बार देखा गया है कि उन्हें मिट्टी खाने की आदत पड़ जाती है. उनको बर्फ खाना अच्छा लगने लगता है, यह भी आयरन की कमी की निशानी है.
इन लक्षणों के होने पर आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए. वह आपको खून की कुछ जांच बताएंगे, जिससे पता चलेगा कि आपको किस कारण से आयरन या हीमोग्लोबिन की कमी हो रही है. हर बार हिमोग्लोबिन की कमी आयरन, विटामिन बी-12 या पोषण की कमी से नहीं होती. कई बार जेनेटिक बीमारियों जैसे थैलेसीमिया की वजह से भी होती है. इन बीमारियों का पता सिर्फ स्पेशल जांचों के द्वारा ही लगाया जा सकता है. बचाव और इलाज हीमोग्लोबिन की कमी से बचाव के लिए आप अपने खानपान में बदलाव कर सकते हैं. जैसे अंकुरित दालें ज़्यादा खानी चाहिए.

फल और हरी पत्तेदार सब्जियां खासतौर पर खानी चाहिए. ड्राई फ्रूट्स जैसे किशमिश और अखरोट खाएं. सोयाबीन अच्छी मात्रा में खाना चाहिए. अगर आप मांसाहारी हैं तो अंडा और मीट का सकते हैं. अगर आपको हीमोग्लोबिन की कमी पोषण की कमी के कारण है तो इन सब टिप्स से वह ठीक हो सकती है.
लेकिन अगर हीमोग्लोबिन की कमी किसी और कारण से है यानी किसी और बीमारी की वजह से है तो उस सूरत में डॉक्टर से मिलना चाहिए. ताकि वह सही कारण का पता कर सकें.
अगर डॉक्टर्स के बताए गए लक्षण आपको महसूस हो रहे हैं तो एक्सपर्ट की सलाह लेकर अपने खून की जांच ज़रूर करवाएं. ज़्यादातर डॉक्टर्स CBC यानी कंप्लीट ब्लड काउंट करवाने के लिए कहते हैं. ये एक ब्लड टेस्ट है. इससे साफ़ पता चल जाता है कि आपके खून में किन-किन चीज़ों की कमी है. ये टेस्ट आप अपने नज़दीकी पैथ लैब से करवा सकते हैं. पर देरी न करें.