साल 1996 में एक फिल्म आई थी, जिसमें एक लड़का था और एक लड़की था. लड़का वही घिसेपिटे ढर्रे के मुताबिक, बड़े बाप की बिगड़ी औलत. तो वहीं लड़की साधारण से परिवार की सीधी-सादी, ईमान वाली थी. एक दिन दोनों के बीच झगड़ा होता है. लड़की गुस्से में लड़के को थप्पड़ मार देती है. लड़का फैसला लेता है कि अब बदला लिया जाएगा. फिर वो बदले के लिए कर देता है लड़की का रेप. मामला कोर्ट पहुंचता है. लड़के को सज़ा होने ही वाली होती है कि लड़की भावुक स्पीच देती है, कि मेरे घर अब कभी बारात नहीं आएगी वगैरह-वगैरह. इसके बाद कोर्ट दोनों को एक-दूसरे से शादी करने का आदेश देता है. शादी हो जाती है. जिस फिल्म की कहानी हमने आपको सुनाई, उसका नाम है 'राजा की आएगी बारात'. आप कहेंगे कि ये तो केवल एक फिल्म थी. लेकिन आपको बता दें कि असल ज़िंदगी में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं, जहां एक रेप सर्वाइवर अपने भविष्य को खतरे में देख अपने ही रेपिस्ट से शादी करने को तैयार हो जाती है, या दोनों की शादी करवा दी जाती है. इसी तरह का एक मामला अभी फिर सामने आया है. अच्छी बात ये रही कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने शादी की परमिशन नहीं दी. क्या है ये पूरा केस, आपको बताएंगे तसल्ली से.
लड़की का रेप करने वाला अगर उससे शादी कर ले तो क्या उसका गुनाह माफ़ हो जाता है?
पांच साल पहले जिस नाबालिग लड़की का रेप किया था, उसी से शादी करने को तैयार हुआ पूर्व पादरी.


क्या है मामला?
जिस मामले की हम बात कर रहे हैं उसे हम और आप केरल के कोट्टियूर रेप केस के नाम से जानते हैं. साल 2016 की बात है. 16 साल की एक लड़की सेंट सेबेस्टियन चर्च से जुड़े एक स्कूल में पढ़ती थी, जो कोट्टियूर में था. लड़की का परिवार इस चर्च का मेंबर था. इसी चर्च में था पूर्व पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी, जो इस चर्च का विकार था. 'विकार' चर्च में बड़े पदों पर तैनात लोगों को दिए जाने वाला एक टाइटल है, एक पद है. ये हमने आसान भाषा में आपको बताया है, समझने के लिए.
वापस मुद्दे पर आते हैं. लड़की स्कूल में डेटा एंट्री का भी काम करती थी. इसी स्कूल में रॉबिन वडक्कमचेरी ने लड़की का यौन शोषण और रेप किया. मई 2016 में लड़की प्रेगनेंट हो गई. फरवरी 2017 में उसने एक बेटी को जन्म दिया. ये मामला भी फरवरी 2017 में ही सामने आया था. सबसे पहले कन्नूर 'चाइल्डलाइन' को एक गुमनाम फोन कॉल गया था, जिससे एक लड़की के रेप होने की जानकारी चाइल्डलाइन से जुड़े अधिकारियों को दी गई थी. अधिकारियों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी. छानबीन हुई और कोट्टियूर के स्कूल में पढ़ने वाली लड़की के बारे में पता चला. 'आउटलुक' में फरवरी 2017 में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो लड़की के रेप की जानकारी न तो स्कूल वालों ने, न चर्च ने और न ही उस अस्पताल ने पुलिस को दी थी, जहां पर लड़की ने अपनी बेटी को जन्म दिया था.
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. शुरुआत में लड़की के परिवार वालों ने पुलिस को बताया कि लड़की के पिता ने ही अपनी बेटी का रेप किया था. लेकिन छानबीन के दौरान पुलिस को परिवार वालों के बयानों में गड़बड़ी दिखी. उनके बयान एक-दूसरे से मैच नहीं कर रहे थे. लेकिन कड़ी पूछताछ करने के बाद लड़की के पिता ने बताया कि रेप रॉबिन वडक्कमचेरी ने किया था. इसके बाद फरवरी 2017 के आखिरी दिनों में पुलिस ने रॉबिन को गिरफ्तार किया. वो तब कनाडा भागने की तैयारी में था.
मामला कोर्ट में गया. 'द न्यूज़ मिनट' की रिपोर्ट के मुताबिक, थलासेरी की पॉक्सो अदालत ने नाबालिग का रेप कर उसे प्रेगनेंट करने के अपराध में रॉबिन वडक्कमचेरी को दोषी पाया. और फिर 20 साल की सज़ा सुनाई. साथ ही तीन लाख रुपए जुर्माने के तौर पर देने को भी कहा. एक चाइल्डलाइन अधिकारी ने तब बताया था कि लड़की का परिवार चर्च की तरफ से बहुत ज्यादा दबाव में था, इसलिए उसके पिता ने रेप का दोष अपने ही सिर ले लिया था, लेकिन आखिर में उन्होंने रॉबिन का नाम लिया, और रॉबिन ने रेप किया था ये बात बच्ची के DNA टेस्ट से भी साबित हो गई थी.

पुलिस की गिरफ्त में रॉबिन वडक्कमचेरी. (फाइल फोटो)
रॉबिन की गिरफ्तारी से लेकर सज़ा का ऐलान होते तक परिवार ने अपना बयान भी बार-बार बदला. यहां तक कि लड़की और उसकी मां ने भी ये बात कह दी थी कि मई 2016 में लड़की 18 साल की थी, यानी बालिग थी. वहीं रॉबिन ने कोर्ट में ये दलील दी थी कि उसने रेप नहीं किया, बल्कि लड़की की मर्ज़ी से सेक्स हुआ था, और लड़की बालिग थी, इसलिए पॉक्सो के तहत केस नहीं बनता. हालांकि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान लड़की के बर्थ सर्टिफिकेट देखा, डीएनए टेस्ट के नतीज़ों का विश्लेषण किया और उसके बाद फैसला सुनाया था. इसी बीच रॉबिन को पादरी के पद से भी हटा दिया गया.
रॉबिन ने जताई शादी करने की मंशा
अब आया जुलाई 2020 का महीना. रॉबिन वडक्कमचेरी ने केरल हाई कोर्ट में एक याचिका डाली. कहा कि वो रेप सर्वाइवर लड़की से शादी करना चाहता है और उसकी बच्ची का ख्याल रखना चाहता है. रॉबिन ने कोर्ट से शादी की तैयारियों के लिए दो महीने की ज़मानत की भी मांग की. साथ ही शादी के बदले सज़ा को निलंबित करने की भी मांग की. करीब पांच महीने पहले केरल हाई कोर्ट ने ये याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक, जस्टिस सुनील थॉमस ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपनी सुनवाई में ये पाया था कि घटना के दौरान लड़की नाबालिग थी, इसलिए शादी की परमिशन देने से ऐसा लगेगा कि शादी को लीगल अप्रूवल मिला है.
हाई कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद 53 बरस के रॉबिन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी. शादी की परमिशन मांगी. इसके अलावा रेप सर्वाइवर ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन डाला और रॉबिन से शादी करने की परमिशन मांगी. कहा कि उसकी बच्ची की उम्र स्कूल जाने लायक हो गई है, इसलिए स्कूल एडमिशन फॉर्म में पिता का नाम लिखाना होगा, इसलिए वो रॉबिन से शादी करना चाहती है. वो अपने बच्चे को वैधता देना चाहती है. सोमवार यानी 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने भी इन याचिकाओं और आवेदन को खारिज कर दिया. जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बेंच ने कहा कि उन्हें हाई कोर्ट के आदेश को डिस्टर्ब करने का कोई कारण नहीं नज़र आया. बेंच ने याचिका पर विचार करने से ही मना कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अब काफी ज्यादा स्वागत हो रहा है. BBC की रिपोर्ट के मताबिक, फेमिनिस्ट थियोलॉजिस्ट कोचुरानी अब्राहम का कहना है कि अच्छा हुआ सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया, अगर इस पर विचार किया जाता तो एक गलत मिसाल कायम होती. वहीं फ्रेंको मुलक्कल के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले फादर ऑगस्टीन वॉटोली ने भी कोर्ट के इस कदम की तारीफ की है और कहा है कि इस आदेश ने कानून पर भरोसा बढ़ाया है. ये आदेश उन सभी लोगों के लिए झटका है, जिन्हें लगता है कि इस तरह के मामलों को सामने लाने पर चर्च की बदनामी होगी. असल में इससे उल्टा ही होता है.
सोशल मीडिया पर भी लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बारे में लगातार लिख रहे हैं. हम भी सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद कहते हैं कि इस मामले में बहुत ही सही और मिसाल कायम करने वाला एक्शन लिया गया है. याचिका पर सुनवाई न करने का फैसला. रेप करने के बाद अगर कोई आदमी लड़की से शादी करने की बात कहता है, या कर लेता है, तो इसका ये मतलब नहीं होता कि उसने कोई क्राइम नहीं किया या उसका अपराध कम हो गया. इस केस में लड़की ने भी रेपिस्ट से शादी करने की इच्छा जताई थी. लेकिन उसने इसके पीछे क्या कारण बताया, यही न कि वो अपनी बच्ची को पिता का नाम देना चाहती है, उसे स्कूल में कोई दिक्कत न आए, इसलिए वो अपने ही रेपिस्ट से शादी करने के लिए तैयार हो गई.
लड़की क्यों हुई शादी करने के लिए तैयार
ज़ाहिर है. लड़की के इस फैसले के पीछे कहीं न कहीं एक सोशल स्टिगमा जुड़ा हुआ है. लड़की की कथित इज्ज़त और गरिमा जाने की मजबूरी देखिए, वो अपने रेपिस्ट से शादी करने के लिए राजी हो गई. ऐसा इसलिए क्योंकि हमने लड़कियों के लिए ऐसा समाज बनाया है कि उनके साथ कुछ होता है तो उनको ही शर्मिंदा महसूस करवाया जाता है. हमने ऐसा समाज बनाया है कि वो नहीं डील कर पाती हैं ऐसी शर्म से. और ऐसे स्टेप्स लेने के लिए जब उनसे कहा जाता है, तो वो मान भी जाती हैं.
खैर, इस मामले में तो सुप्रीम कोर्ट ने संवेदनशील फैसला सुनाया है. लेकिन रेप के ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं, जहां हमारे देश की अलग-अलग अदालतें अजीब फैसले या टिप्पणी करते दिखी हैं. हाल ही में तरुण तेजपाल के मामले में गोवा की एक अदालत ने कहा था-
“यह ध्यान देने वाली बात है पीड़िता के बर्ताव में ऐसा कुछ नहीं दिखा कि जिससे लगे कि वो यौन शोषण की पीड़िता है.”
पिछले साल अगस्त के महीने में, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया था. यौन शोषण के एक आरोपी को एक शर्त पर ज़मानत दे दी थी. शर्त ये थी कि आरोपी, विक्टिम के घर जाकर उसेस राखी बंधवाएगा. हालांकि इस आदेश के खिलाफ नौ महिला वकीलों, सोशल वर्कर्स और लॉ के टीचर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. मामले की सुनवाई के दौरान नवंबर 2020 में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को ‘फ़िल्मी’ कह डाला था.
एक ताज़ा मामला मार्च के महीने में सामने आया था. तब उस वक्त के CJI एस.ए. बोबड़े ने रेप के एक मामले की सुनवाई के दौरान रेप के आरोपी से ये पूछा कि- क्या वो पीड़ित लड़की से शादी करने को तैयार है? इसके बाद काफी बवाल हुआ था. हालांकि कुछ ही दिनों बाद कोर्ट की तरफ से अगला बयान भी सामने आ गया था. कहा गया कि सवाल को अलग संदर्भ में लिया गया, कोर्ट ने आरोपी को शादी करने का सुझाव नहीं दिया था.
कैसे रेप जैसे क्राइम को नॉर्मल किया गया?
कोर्ट अलग-अलग मामलों के नेचर को देखकर सुनवाई करता है, तो कोर्ट की टिप्पणियां शायद इस वजह से अलग हो सकती हैं. लेकिन यहां सबसे ज्यादा अगर किसी मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए तो वो मुद्दा होगा सोसायटी का रवैया. हमारी फिल्मों ने और बहुत सारे एक्शन्स ने रेप जैसे गंभीर अपराध को नॉर्मल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. जो मामले अदालत तक पहुंचते हैं, उनमें हम उम्मीद कर सकते हैं कि विक्टिम के साथ न्याय होगा. लेकिन सोचिए जो मामले अदालत तक पहुंचे ही न, उनका क्या. ऐसे मामले गांव की पंचायतें अपने स्तर पर हल करने की कोशिश में रहती हैं. यदा-कदा खबरें आती हैं कि पंचायत ने रेप के आरोपी पर 50 हज़ार का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया, या विक्टिम के हाथों थप्पड़ मारने की सज़ा सुनाई और छोड़ दिया. वहीं खाप पंचायतें तो सज़ा के तौर पर रेप जैसे क्राइम का इस्तेमाल करती हैं. कुछ साल पहले खबर आई थी कि मेरठ की खाप पंचायत ने दो दलित बहनों का रेप कर उन्हें नग्न अवस्था में परेड करवाने का आदेश दिया, क्योंकि उनका भाई तथाकथित ऊंची जाति की लड़की के साथ भाग गया था.
कहीं पर रेप करने वालों को छोटी सी सज़ा देकर छोड़ दिया जा रहा है, तो कहीं पर रेप जैसे अपराध को सज़ा के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. बॉलीवुड की बात करें तो कुछ पुरानी फिल्में उठाकर देख लीजिए. ये तक दिखाया गया है कि लड़का शराब के नशे में लड़की का रेप करता है, लड़की सुसाइड करने जाती है, लड़का उसे बचाता है और फिर शादी कर लेता है. वहीं दूसरी तरफ कुछ फिल्मों में तो तथाकथित "जिस्म की गर्मी" देने के नाम पर ही लड़की का रेप कर दिया गया. और कई नामी एक्टर एक्ट्रेस की फिल्मों में इस तरह के सीन्स आपको देखने मिलेंगे. इन फिल्मों में रेप को शादी के नाम पर जस्टिफाई करने की भरसक कोशिशें की गई हैं. लेकिन याद रखिए कोई भी फिज़िकल रिलेशन अगर लड़की की मर्ज़ी के खिलाफ हो, या फिर लड़की नाबालिग हो, तो वो रेप की कैटेगिरी में ही आएगा. आप शादी करके उस अपराध को खत्म नहीं कर सकते.











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