अब बात इस लिस्ट की. भारत से इस लिस्ट में दो नाम हैं. एक तो है इंदिरा गांधी का. जो देश की प्रधानमंत्री रहीं. इन्हें साल 1976 के लिए इस लिस्ट में रखा गया. दूसरा नाम है राजकुमारी अमृत कौर का. जिन्हें साल 1947 के लिए इस लिस्ट में शामिल किया गया.

कौन थीं राजकुमारी अमृत कौर?
इनका जन्म 2 फरवरी 1889 को लखनऊ में हुआ था. पिता राजा हरनाम सिंह पंजाब के कपूरथला राज्य के राजसी परिवार से थे. राजकुमारी अमृत कौर ने इंग्लैंड के डोरसेट में स्थिति शेरबोर्न स्कूल फॉर गर्ल्स से स्कूली पढ़ाई पूरी की थी. अपने स्कूल में जाबड़ खिलाड़ी रहीं. हॉकी से लेकर क्रिकेट तक खेला.स्पोर्ट्स टीमों की कैप्टन भी रहीं. उसके बाद ऑक्सफ़ोर्ड चली गईं अपनी उच्च शिक्षा के लिए. 1918 में वापस आईं तो देश का माहौल देखा. 1919 में जलियांवाला बाग़ हत्याकांड हुआ. उसके बाद राजकुमारी अमृत कौर ने ठान लिया कि पॉलिटिक्स में आकर रहेंगी.
पिता हरनाम सिंह से मिलने उस समय के बड़े लीडर आते रहते थे. जैसे गोपालकृष्ण गोखले इनके पिता के करीबी थे. उनके ज़रिए ही राजकुमारी अमृत कौर को महात्मा गांधी के बारे में जानकारी मिली. उन्होंने माहात्मा गांधी को ख़त लिखने शुरू किए. लेकिन इनके माता-पिता नहीं चाहते थे कि वो आज़ादी की लड़ाई में भाग लें. लेकिन इस वजह ने राजकुमारी अमृत कौर को रोका नहीं. 1927 में मार्गरेट कजिन्स के साथ मिलकर उन्होंने ऑल इंडिया विमेंस कांफ्रेंस की शुरुआत की. बाद में इसकी प्रेसिडेंट भी बनीं.

इनकी लगन देखकर गांधी जी ने राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ने के लिए इन्हें खत लिखा. उस खत में महात्मा गांधी ने लिखा,
मैं एक ऐसी महिला की तलाश में हूं जिसे अपने ध्येय का भान हो. क्या तुम वो महिला हो, क्या तुम वो बन सकती हो?राजकुमारी अमृत कौर राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ गईं. दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने की वजह से जेल भी गईं. महात्मा गांधी की सेक्रेटरी के तौर पर इन्होंने करीब 17 सालों तक काम किया. गांधी आश्रम में ही रहा करती थीं.
आज़ादी के बाद इनका योगदान क्या था?
जब देश आज़ाद हुआ, तब उन्होंने यूनाइटेड प्रोविंस के मंडी से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा. और जीतीं. ये सीट आज हिमाचल प्रदेश में पड़ती है. सिर्फ चुनाव ही नहीं जीतीं, बल्कि आज़ाद भारत की पहली कैबिनेट में हेल्थ मिनिस्टर भी बनीं. लगातार दस सालों तक इस पद पर बनी रहीं. वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली की प्रेसिडेंट भी बनीं. इनसे पहले कोई भी महिला इस पद तक नहीं पहुंची थी. यही नहीं. इस पद पर पहुंचने वाली वो एशिया से पहली व्यक्ति थीं. स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने कई संस्थान शुरू किए, जैसे
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