इन आरोपों पर फ्रैंको मुलक्कल की तरफ से कहा गया उसे फंसाया जा रहा है, आरोप झूठे हैं. फ्रैंको ने कहा था कि नन का भाई उसे धमका रहा था, क्योंकि बतौर बिशप उसने आरोप लगाने वाली नन को मदर सुपीरियर के पद से हटा दिया था. इस मामले में नन के भाई के खिलाफ पुलिस जांच भी शुरू हुई थी.

नन ने चर्च की सबसे बड़ी संस्था वेटिकन सिटी के पोप को भी पत्र लिखा था. नन ने आरोप लगाया कि चर्च ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया, पादरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, इस वजह से उन्हें पुलिस के पास जाना पड़ा.
मामले की जांच के लिए SIT बनाई गई. इस बीच विक्टिम नन के एक रिश्तेदार ने दावा किया कि उन पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है.
शिकायत के बाद से ही कई नन, सामाजिक कार्यकर्ता, महिला संगठन और नेता नन के समर्थन में आए. अगस्त, 2018 में आरोप लगाने वाली नन के समर्थन में चार नन्स ने केरल हाईकोर्ट के सामने भूख हड़ताल शुरू कर दी. फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग तेज होने लगी थी. तमाम दबावों के बीच सितंबर, 2018 में फ्रैंको मुलक्कल को जालंधर से कोच्चि लाया गया. तीन दिन तक चली पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार किया गया. हालांकि तीन हफ्ते के अंदर ही बिशप को बेल मिल गई थी.
अक्टूबर, 2018 में फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ गवाही देने वाले फादर कुरियाकोसे कट्टूथारा की मौत हो गई. 68 साल के फादर कुरियाकोसे जालंधर के भोगपुर इलाके के दासुआ स्थित सेंट मैरी चर्च में मृत पाए गए थे. फादर कुरियाकोसे आरोप लगाने वाली नन के टीचर रहे थे और उन्होंने रेप मामले में नन का सपोर्ट किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गवाही के बाद से ही फादर कुरियाकोसे को जान से मारने की धमकी मिल रही थी, उनकी कार पर हमला भी हुआ था. उनके परिवार ने भी हत्या की आशंका जताई थी.

इस मामले में अप्रैल 2019 में चार्जशीट दाखिल की गई और सितंबर, 2020 में मामले की सुनवाई शुरू हुई. 14 जनवरी, 2022 को कोर्ट ने फ्रैंको मुलक्कल को यौन शोषण के आरोपों से बरी कर दिया. चर्च ने नन्स को पर ही जांच बिठा दी थी फ्रैंको मुलक्कल ने आरोप लगाया था कि नन को एंटी चर्च लोग स्पॉन्सर कर रहे हैं. जस्टिस ऑफ मिशनरीज़ ने फ्रैंको पर आरोप लगाने वाली नन समेत छह नन्स के खिलाफ जांच बिठा दी थी. इनमें से चार वो नन थीं जिन्होंने केरल हाईकोर्ट के बाहर भूख हड़ताल की थी. विक्टिम का साथ देने वाली चार नन्स- सिस्टर एल्फी पल्लास्सेरिल, अनुपमा केलामंगलाथुवेलियिल, जॉसेफिन विल्लून्निक्कल और अंचिता ऊरुम्बिल- को चर्च की तरफ से जनवरी, 2019 में चिट्ठी लिखी गई थी. कहा गया था कि उन्हें कोट्टायम छोड़कर जाना होगा. आदेश दिया कि सिस्टर अनुपमा को चामियारी (पंजाब), सिस्टर अंचिता को परियारम (कन्नूर), सिस्टर एल्फी को बिहार और सिस्टर जोसेफ़िन को झारखण्ड जाना होगा.
इस चिट्ठी में ये भी लिखा था कि वो केस लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन केस को वो अपनी धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी से बचने का बहाना नहीं बना सकती हैं. इन नन्स का आरोप था कि वो लोग बिशप मुलक्कल के खिलाफ खड़ी हैं और उन्हें अलग करके कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है.
वहीं, एक नन लूसी पर नियमों के खिलाफ ड्राइविंग लाइसेंस लेने, पैसे उधार लेने, कविता की किताब छपवाने, जानकारी के बिना पैसा खर्च करने, नन की ड्रेस न पहनने और सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने जैसे आरोप लगाते हुए उन्हें धर्मसभा फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कांग्रिगेशन (FCC) से बाहर कर दिया गया था.