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केरल की अनुपमा की कहानी, जो बताती है कि लोग किस हद तक निर्दयी हो सकते हैं

एक साल से अपने बच्चे को खोज रही है अनुपमा.

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अनुपमा चंद्रन के बेटे को पैदा होते ही उनसे अलग कर दिया गया था.
अक्टूबर की बात है. एक महिला केरल के सचिवालय के सामने पहुंची. हाथ में एक बोर्ड था, जिस पर मलयालम में 'शर्म करो केरल' लिखा हुआ था. ये महिला अपने सालभर के बेटे को वापस पाने के लिए लड़ रही है. वो बेटा जिसके पैदा होते ही उसे अलग कर दिया गया था. मां की मर्ज़ी के बिना ही उसे अडॉप्शन के लिए डाल दिया गया. क्या है पूरा मामला? चलिए जानते हैं.
अनुपमा एस चंद्रन तिरुअनंतपुरम की रहने वाली हैं. वो अजीत कुमार नाम के एक शख्स से प्यार करती थीं. अजीत कुमार पहले से शादीशुदा थे. एक साल पहले अनुपमा ने एक बेटे को जन्म दिया. पैदा होते ही अनुपमा के परिवारवालों ने बच्चे को उससे अलग कर दिया. मां की मर्ज़ी के खिलाफ बच्चे को चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल (CWC) की तरफ से चलाए जाने वाले अम्माथोट्टई केंद्र में छोड़ दिया. इस केंद्र में छोड़े गए बच्चे कुछ दिन बाल आयोग की देखभाल में रहते हैं और फिर उनको अडॉप्शन के लिए दे दिया जाता है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे के जन्म के कुछ वक्त बाद अजीत ने अपनी पहली पत्नी से तलाक लेकर अनुपमा से शादी कर ली. शादी के बाद से ही अनुपमा और अजीत बच्चे को ढूंढ रहे हैं. इस साल अप्रैल में तिरुअनंतपुरम के एक पुलिसथाने में अनुपमा ने अपने बच्चे के लापता होने की शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने इस बारे में उनसे पूछताछ तो की लेकिन FIR दर्ज नहीं की. अनुपमा को लगा कि पुलिस मामले को टालने की कोशिश कर रही है. तो उन्होंने राज्य के डीजीपी लोकनाथ बेहरा के पास इस मामले की शिकायत की. इसके साथ ही उन्होंने सीपीएम नेता वृंदा करात और अनावूर नागप्पन से 29 अप्रैल को इस बारे में बात की. इसके बाद जाकर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की.
Crime Child प्रतीकात्मक तस्वीर (Pixabay)

अगस्त में अनुपमा को पुलिस ने बताया कि उनका बच्चा बाल आयोग के पास है. हालांकि, अगस्त की शुरुआत में ही बच्चे को आंध्र प्रदेश के एक कपल ने एडॉप्ट कर लिया था. बच्चे को अपनी मर्ज़ी के बिना अडॉप्शन में दिए जाने के खिलाफ अनुपमा ने कई जगहों पर शिकायत की, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने अक्टूबर में सचिवालय के बाहर प्रोटेस्ट शुरू किया. उनके प्रदर्शन ने न केवल केरल बल्कि राज्य के बाहर के लोगों का ध्यान भी खींचा. नतीजा ये हुआ कि पुलिस ने 19 अक्टूबर को अनुपमा के पिता जय चंद्रन PS के खिलाफ FIR दर्ज की.
अनुपमा लगातार मांग करती रहीं कि उनका बेटा उन्हें सौंप दिया जाए. बच्चे को 21 नवंबर को आंध्र प्रदेश से केरल लाया गया. केरल में उसे CWC ने अपने पास रखा है. 22 नवंबर को बच्चे का डीएनए टेस्ट किया गया. रिपोर्ट अगले दो तीन दिन में आने की उम्मीद है. अनुपमा के परिवार का क्या कहना है? अनुपमा के पिता जयचंद्रन पीएस एक सीपीएम नेता हैं. तिरुअनंतपुरम के स्थानीय नेता हैं. उनका कहना है कि बच्चे के जन्म के वक्त अजीत ने तलाक को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई. उन्होंने ये भी कहा कि अनुपमा की सहमति से ही उन्होंने बच्चे को CWC के अम्माथोट्टिल में रखवाया था. ताकि अनुपमा की बहन की शादी हो सके. जयचंद्रन ने ये भी कहा कि उन्होंने अनुपमा से एक एग्रीमेंट भी साइन करवाया था, जिसमें लिखा था कि बच्चे का पिता अगर अपनी पहली पत्नी से तलाक लेकर उसके पास आ जाए तो वो CWC से बच्चा ले सकती है. उनका आरोप है कि अनुपमा और अजीत सीपीएम को बदनाम करने के लिए पुलिस के पास गए, जबकि उन्हें पहले परिवार की मदद लेनी चाहिए थी.
एक औरत से उसकी मर्ज़ी के बिना उसके बच्चे को अलग कर दिया गया. उसकी मर्ज़ी के बिना उसका अडॉप्शन हो गया. सिर्फ इसलिए कि जब बच्चा पैदा हुआ तब महिला शादीशुदा नहीं थी. बेटी अपने बच्चे के लिए परेशान होती रही लेकिन परिवार को इस बात की फिक्र होती रही कि बच्चा घर आ गया तो लोगों को क्या मुंह दिखाएंगे. एक मां के सामने शर्त रख दी गई कि उसे बच्चा चाहिए तो उसके पिता के साथ आना होगा. हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. हम केरल की बात कर रहे हैं जहां के लिंग अनुपात और साक्षरता दर की पूरे देश में मिसाल दी जाती है.