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रेप केस को रिपोर्ट करने का कोई 'सही समय' होता है?

कई रेप केसेस में विक्टिम से पूछा जाता है- अब तक कहां थी?

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अक्सर इन मामलों में ये बात आ जाती है कि ये मामला पॉलिटिकली मोटीवेटेड है. विधायक जी भी यही बात कर रहे हैं.
राजस्थान के दौसा में गैंगरेप का एक मुक़दमा दर्ज हुआ है. अलवर राजगढ़ के विधायक जौहरी लाल मीणा के बेटे दीपक मीणा समेत पांच लोगों पर एक नाबालिग लड़की के गैंगरेप के आरोप हैं. कथित घटना 24 फरवरी, 2021 की है. पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया है कि आरोपियों ने रैणी इलाक़े से उसका अपहरण किया और मण्डावर थाना क्षेत्र में समलेटी पैलेस होटल ले गए, जहां उसका गैंगरेप किया गया. आरोप है घटना के वक्त विक्टिम की नग्न अवस्था में वीडियो भी बनाया गया था और आरोपियों ने वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी थी. पुलिस के मुताबिक, विधायक के बेटे ने फरवरी, 2021 में फेसबुक पर नाबालिग से दोस्ती की थी. वीडियो के एवज में पीड़िता से 15 लाख रुपये के गहने और कैश भी आरोपियों ने उससे लिए थे. इधर विधायक जोहरीलाल मीणा ने अपने बेटे की सफ़ाई में कहा,
"मेरे बेटे पर जो आरोप लग रहे हैं, वो बिल्कुल निराधार हैं. यह एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है. इन लोगों ने राजनीतिक अदावत से लिप्त मुझ पर भी आरोप लगाए थे, जो तफ़्तीश में बिल्कुल निराधार पाए गए. क्योंकि चुनाव आ रहे हैं, तो मेरी राजनीतिक विश्वसनीयता पर चोट करने के लिए इन लोगों ने ऐसा किया है."
कांग्रेस समर्थक विक्टिम पर पॉलिटिकली मोटिवेटेड होने के आरोप लगा रहे हैं. आरोपियों के समर्थन में कुछ लोग सवाल कर रहे हैं कि विक्टिम अब तक कहां थी? सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा कुछ हुआ तो एक साल बाद ये बात कैसे आई. रेप रिपोर्ट करने की तय सीमा क्या है? आपने ये तर्क पहले भी सुना होगा- 'अगर ऐसा हुआ है तो पहले कहां थी?' मी टू आंदोलन के समय भी ये बात आई थी कि इतने साल कहां रही? हमने ये समझने के लिए बात की सुप्रीम कोर्ट की लॉयर विजय लक्षमी से. किसी भी सेक्शुअल हरासमेंट के केस में अगर लेट से रिपोर्ट किया जाए, तो ये कहा जाता है कि इतने दिन कहां थी. पहला सवाल यही है कि क्या कोई 'सही समय' होता है केस रिपोर्ट करने का?
सबसे पहले FIR. FIR अपने नाम से ही बहुत क्लियर है. फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट. जो भी घटना हुई है, उसकी सूचना आपको दर्ज करानी है. जैसे ही घटना घटे, आपको तुरंत रिपोर्ट करना है. हालांकि, कुछ केसेज अपवाद हैं. कुछ केसेज में आपके पास लिबर्टी है कि आप अगर लेट भी रिपोर्ट करते हैं, तो FIR दर्ज की जाएगी. उस मामले की जांच की जाएगी. मसलन, अगर घर में कोई चोरी हुई और आप पांच साल बाद जा कर इसे रिपोर्ट करते हैं, तो उस केस की क्रेडिबिलिटी पर सवाल उठता है. लेकिन रेप या सेक्शुअल हरासमेंट के केसेज़ में लिबर्टी है. बहुत सारे सामाजिक कारणों की वजह से परिवार या लड़की ख़ुद केस रिपोर्ट नहीं करती. या कोई माइनर है, जिसके पेरेंट्स ने उस समय उसे रिपोर्ट नहीं करने दिया और वह 18 साल से ऊपर हो जाए और रिपोर्ट करना चाहे, तो वो शिकायत कर सकती है. मामला दर्ज होगा. उसकी जांच होगी.
अगर मामला लेट रिपोर्ट हो रहा है तो क्या केस की क्रेडिबिलिटी कम हो जाती है?
देखिए क़ानून की नज़र से कोई क्रेडिबिलिटी नहीं कम होती, लेकिन केस पर असर तो पड़ता ही है. अगर मामले को तुरंत रिपोर्ट किया जाए, तो उस केस में मेडिकल टेस्ट हो सकता है. मेडिकल होने से कई सारे सबूत आपको मिल जाते हैं, जैसे सीमेन या शरीर पर कोई निशान. और अगर ये आइडेंटिफाई हो जाए तो केस बहुत साफ़ हो जाता है. लेट रिपोर्ट करने की वजह से ये चीज़ें रिकॉर्ड नहीं हो पातीं. इसीलिए केस बनाना मुश्किल हो जाता है.
- अगर मामला लेट रिपोर्ट होता है, तो मेडिकल टेस्ट की तो गुंजाइश चली जाती है. फिर इस केस में सबूत कैसे जुटाएं?
मेडिकल एविडेंस न होने के केस में और एविडेंस का सहारा लिया जा सकता है. बहुत सारे एविडेंस हो सकते हैं. कोई वीडियो या रिकॉर्डिंग वगैरह हो या कोई चश्मदीद हो या कोई मेसेज हो जिसमें आरोपी ने कुछ स्वीकार किया हो, यह सारे एविडेंस हैं. इनफ़ैक्ट,‌अब तो कोई चैट या ईमेल पर भी अगर कुछ कुबूला गया है, तो वह भी सुबूत है.
रेप के साथ केवल फिजिकल वायलेंस नहीं जुड़ा होता है. उसके साथ इमोशनल वायलेंस भी होता है. सोशल स्टिग्मा होता है, परिवार का दबाव होता है. ऐसे में कई बार विक्टिम्स घटना के तुरंत बाद रिपोर्ट नहीं कर पाती हैं. इसलिए अगर कोई रेप विक्टिम घटना के तुरंत बाद रिपोर्ट नहीं कर पाती हैं तो भी हमारा कानून उन्हें हर तरह से लीगल सपोर्ट देता है.