जुलाई 2021 की बात है. मोरादाबाद में 10 साल रेयाशं अपने घर की छत पर खेल रहा था. खेलते-खेलते वो बिजली का हाईटेंशन लाइन के संपर्क में आ गया. उसे जोर का करंट लगा, वो जल गया. अस्पताल में सात दिन के इलाज के बाद उसकी मौत हो गई. अगस्त 2020 में एक 12 साल के बच्चे की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से मौत हो गई. मई, 2019 में तीन साल के एक बच्चे ने खेलते-खेलते फोन के चार्जर का तार मुंह में रख लिया, चार्जर उस समय प्लगड था. करंट लगने से उसकी मौत हो गई.
ये केवल कुछ हादसे हैं. देश में हर साल कंरट लगने से हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है. अगस्त, 2019 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया प्लस में छपी एक खबर के मुताबिक, देश में हर दिन लगभग 30 लोगों की मौत करंट लगने से होती है. बीते सात साल में 5700 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं.
ऐसे में ये जानना ज़रूरी है कि करंट लगने कि स्थिति में तुरंत किस तरह की फर्स्ट ऐड देनी चाहिए. इस पर तो हम बात करेंगे ही पर पहले डॉक्टर्स से ये समझ लेते हैं कि करंट लगने पर शरीर में क्या होता है और किन कारणों से मौत हो जाती है. करंट लगने पर शरीर में क्या होता है? ये हमें बताया डॉक्टर दीपक ने.

डॉक्टर दीपक शुक्ला, क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट, मार्बल सिटी हॉस्पिटल, जबलपुर
हमारे आसपास की सभी चीजें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स में हैं. जैसे पृथ्वी में नॉर्थ और साउथ पोल्स हैं, उसी प्रकार से हमारा शरीर भी है, हमारे शरीर में कई प्रकार के आयन होते हैं जैसे सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम. जब किसी भी तरह का करंट लगता है तो ये आयन रिएक्ट करते हैं. जिस तरह का एक्स्पोज़र होता है, उसी तरह का रिएक्शन देखने को मिलता है, मान लीजिए कि मसल में एक्स्पोज़र होता है तो मसल टाइट हो जाती है, इसे मसल स्पैज्म कहते हैं. मान लीजिए यही चीज आपके ब्रेन के साथ होती है, तो ब्रेन में झटके आने लग जाते हैं. यही अगर हार्ट के साथ होता है तो आपका हार्ट अलग तरह से धड़कने लगता है. इसे एरिदमिया कहते हैं.
जब हमारी बॉडी करंट लगने पर रिएक्ट करती है तो तीन प्रकार की इंजरी होती हैंः
- फ्लेश (स्किन) इंजरी. इसमें थोड़े समय के लिए एक्स्पोज़र होता है और थोड़े से टिश्यू डैमेज होते हैं. ये लोकल डैमेज होता है, अगर थोड़े लंबे समय के लिए एक्स्पोज़र हुआ और जिसमें कपड़े जल जाएं तो उसे फ्लेश इंजरी कहते हैं.
- एक और प्रकार का शॉक होता है जिसमें बहुत ही कम समय के लिए शॉक लगता है, लेकिन करंट पूरी बॉडी में चला जाता है. इसको लाइट इंजरी बोलते हैं
- इसके बाद होती है- ट्रू इंजरी, इसमें ह्यूमन बॉडी इलेक्ट्रिक सर्किट का ही एक पार्ट बन जाती है

करंट लगने से मौत क्यों हो जाती है? - ट्रू और लाइट इंजरी बहुत ही डेंजरस होती हैं. यह एक इमरजेंसी सिचुएशन होती है
- इमरजेंसी सिचुएशन मानकर तुरंत इमरजेंसी में कांटैक्ट करें
- करंट लगने से मौत होने का सबसे बड़ा कारण हार्ट का रिएक्शन होता है
- इसमें हार्ट फड़फड़ाने लगता है यानी न खून पंप करता है न रुकता है, बस जल्दी-जल्दी पंप होता है इसे एट्रियल एवं वेंट्रिकुलर फेब्रिलेशन कहते हैं और यह मौत का भी कारण बन सकता है
- कई बार पेशेंट कोमा में भी चला जाता है, सांस बंद हो जाती है. इसे कार्डियो पल्मोनरी अरेस्ट भी कहते हैं करंट लगने पर तुरंत क्या करना चाहिए, क्या नहीं? - अपने आसपास के एरिया को चेक करें कि कहीं वहां करंट तो नहीं फैला है, अगर करंट फैला है तो बहुत ही सावधानी से उस इलाके में जाएं

- विद्युत कुचालक जो चीजें होती हैं जैसे लकड़ी, कार्डबोर्ड ऐसी चीज़ों से स्विच को बंद करें, फिर उस पेशेंट को चेक करना है कि उसमें किस तरह का रिस्पांस आ रहा है. अगर वह बात कर पा रहा है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं.
- अगर वह कोमा में है, कुछ भी रिएक्ट नहीं कर रहा है तो सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन देना चाहिए यानी छाती पर दबाव देकर और मुंह से सांस देकर रिवाइव करने की कोशिश करें.
- इसके बाद तुरंत इमरजेंसी में डॉक्टर के पास जाना चाहिए आगे चलकर क्या मेडिकल प्रॉब्लम हो सकती है? - इसमें तीन प्रकार के मेजर साइड इफेक्ट होते हैं
- फिजीकल साइड इफेक्ट जो लंबे समय तक देखने को मिलते हैं- जैसे दर्द होना, जहां जल गया है वहां पर छाले पड़ जाना, चोट लग जाना
- अगर ब्रेन में करंट लगा है तो झटके आने लगना
- हाथ-पैर जहां भी करंट लगा है वहां लगातार झुनझुनी बनी रहना
- न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर में कभी-कभी आपको झटके आ सकते हैं, हो सकता है याददाश्त चली जाए
- साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर में कई बार देखा जाता है कि पेशेंट को पीटीएसडी यानी पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर हो जाता है, यानी कि अगर चोट लगी है तो उसकी वजह से पैनिक अटैक आ सकते हैं.

- इलेक्ट्रिक शॉक की सिचुएशन में लोगों के साथ इस तरह के साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं
अगर किसी को करंट लग जाए तो आप उसकी मदद कैसे कर सकते हैं ये आपने डॉक्टर साहब से समझ लिया. इसे याद रखिएगा, कभी भी ज़रुरत पड़ सकती है. और हां, नंगी तारों से दूर ही रहें, उनके आसपास सावधानी बरतें.