एनडीटीवी से हुई बातचीत में दिशा रवि की मां मंजुला ने कहा,
"मैं काफी हल्का महसूस कर रही हूं. मैं खुश भी हूं. मुझे भारत की न्याय व्यवस्था में विश्वास है. भारत में सच का एक महत्व है. मुझे नहीं पता कि मैं उन लोगों का किस तरह से शुक्रिया अदा करूं जिन्होंने मेरी बेटी का समर्थन किया."दिशा रवि की मां ने अपनी बेटी को बहुत मजबूत इरादों वाली और बहादुर बताया. उन्होंने कहा कि जब भी उन्होंने दिशा से बात की उसने हमेशा आत्मविश्वास और ताकत दी. उनका कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद वो पहले से कहीं मजबूत मां बनकर उभरी हैं. अपने बच्चों के साथ मजबूती से खड़े हों मंजुला ने कहा कि वे दूसरे बच्चों के पेरेंट्स को भी यही सेंदेश देना चाहती हैं कि ऐसी कठिन परिस्थितियों में उन्हें अपने बच्चों के लिए पूरी मजबूती से खड़ा होना चाहिए.
जमानत मिलने के बाद दिशा रवि को दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा किया जा चुका है. उन्हें जमानत देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के जज धर्मेंद्र राणा ने अभिव्यक्ति की आजादी और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं.
उन्होंने कहा कि आरोपी लड़की का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. वहीं जांच करने वालों ने जो सबूत पेश किए हैं, वे अधूरे हैं और उनसे कोई निष्कर्ष भी नहीं निकलता. ऐसे में बेल देने के नियम को तोड़ा नहीं जा सकता. खासकर तब जब जांच करने वालों का तर्क यह है कि दिशा रवि भविष्य में कुछ गलत कर सकती हैं.
जज ने यह भी कहा कि आरोपी को केवल इसलिए दोषी नहीं माना जा सकता है कि उसने अलगाववाद की विचारधारा रखने वालों के साथ कभी कोई मंच साझा किया. और वॉट्सऐप मेसेज डिलीट करने के लिए भी उसे दोषी नहीं माना जा सकता.

दिशा रवि ने अदालत में कहा कि अगर किसानों का समर्थन करना देशद्रोह है तो वे जेल में ही ठीक हैं.
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी संविधान के अनुच्छेद 19 को लेकर की गई. जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि किसी भी देश के नागरिक सरकार पर सजग नजर रखने वाले होते हैं. उन्हें केवल इसलिए राज्यद्रोही नहीं माना जा सकता क्योंकि उनके विचार सरकार और राज्य के विचार से अलग हैं. हमारे संविधान का आर्टिकल 19 नागरिकों को सरकार से असहमति रखने का अधिकार देता है. इस अधिकार में किसी मुद्दे पर सही तरीके से विदेशी समर्थन जुटाने का अधिकार भी शामिल है.
दिशा रवि को टूलकिट मामले में गिरफ्तार किया गया था. उनपर आरोप लगाए थे कि उन्होंने अलगाववादी विचारधारा रखने वाले लोगों के साथ मिलकर 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा की साजिश रची. वहीं दिशा बार-बार खुद को निर्दोष बताती रही थीं. उन्होंने यह तक कह दिया था कि अगर किसानों का समर्थन करना देशद्रोह है तो वे जेल में ही सही हैं.