4. आड़ी रस्सी से नीचे से निकलना
5. छह फीट लंबा गड्ढा कूद कर पार करना
इन सभी टास्क में एक नियत समय होता है, जिसे हिसाब से परफॉरमेंस जज की जाती है. जैसे 60 मीटर की दौड़ अगर आप 16 सेकंड में पूरी कर लें, तो उसे एक्सेलेंट (बहुत अच्छा) कहा जाएगा. 19 सेकंड में अच्छा, और 20 सेकंड में संतोषजनक.
लेकिन 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक़, अब इन नियमों में बदलाव किए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मिलिट्री ट्रेनिंग (DGMT) ऑफ़ आर्मी हेडक्वार्टर्स ने इस बाबत मई में ही निर्देश जारी कर दिए थे.
रिपोर्ट के अनुसार नए निर्देशों में लिखा था,
‘ये नए स्टैंडर्ड सभी महिलाओं की एंट्री की कैटेगरी, सभी ट्रेनिंग एकेडमीज़ की ट्रेनीज़, और सभी आर्म्स और सर्विसेज के रेजिमेंट सेंटर्स के लिए फौरन लागू होंगे. चाहे उन्होंने किसी भी तारीख में जॉइनिंग क्यों न की हो.’
क्या बदलाव हैं?2011 में निर्देश दिए गए थे कि जो महिला सैनिक/अफसर 2009 से पहले कमीशन हुई हैं या जिनकी उम्र 35 साल से अधिक है, उन्हें BPET नहीं देना था. लेकिन नए आदेश के मुताबिक़ अब उन्हें भी इस टेस्ट से गुजरना होगा.
टाइम लिमिट में भी बदलाव किए गए हैं. जैसे आपने ऊपर उदाहरण पढ़ा 60 मीटर की तेज़ दौड़ का. उसमें बदलाव करके अब ये नई टाइम लिमिट रखी गई है:
बहुत अच्छा – 15 सेकंड
अच्छा- 17 सेकंड
संतोषजनक- 19 सेकंड
पांच किलोमीटर की दौड़ भी अलग-अलग ऊंचाइयों पर करवाई जाती है और उसी हिसाब से टाइम लिमिट भी निर्धारित होती है. 2011 में जारी निर्देशों के मुताबिक़ महिला अफसरों के लिए पहले ये स्टैंडर्ड तय किया गया था :
अगर आपकी उम्र 30 वर्ष से कम है, और पांच हजार फुट की ऊंचाई (समुद्र तल से) पर अगर आप दौड़ रही हैं, तो आपको ये दौड़ पूरी करने में इतना समय लगना चाहिए:
बहुत अच्छा: 31 मिनट
अच्छा: 32 मिनट 30 सेकंड
संतोषजनक: 35 मिनट
बहुत अच्छा: 30 मिनट या कम
अच्छा: 30 मिनट से लेकर 31 मिनट 30 सेकंड
संतोषजनक: 33 मिनट
लेकिन अब इसमें ये बदलाव किए गए हैं: कुल जमा बात ये कि हर तरह के टास्क में समय घटा दिया गया है.
भारतीय सेना की ऑफिशियल साईट पर BPET के स्टैंडर्ड ये दिए गए हैं. ये पुरुषों के लिए हैं, महिलाओं के लिए अलग मानक हैं जिनमें बदलाव किए गए हैं.क्या रिएक्शन आया इस पर?रिपोर्ट के अनुसार एक महिला ऑफिसर ने इस निर्देश को लेकर नाराज़गी जताई. उन्होंने कहा,
‘जब सुप्रीम कोर्ट ने महिला ऑफिसर्स के लिए परमानेंट कमीशन के पक्ष में निर्णय दिया, उसके बाद ही ये क्यों किया जा रहा है? ये एक तरीका है ये सुनिश्चित करने का कि जो महिला ऑफिसर्स ज्यादा उम्र की हैं और BPET के टेस्ट नहीं देती आई हैं, वो इस कोशिश में असफल हो जाएं और उन्हें सर्विस से बाहर कर दिया जाए?’
क्या है ये परमानेंट कमीशन?भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी, 2020 सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिए जाने का आदेश दिया. इसका मतलब ये कि अब महिलाएं भी रिटायरमेंट की उम्र तक अपनी सेवाएं दे सकेंगी. अभी तक महिला ऑफिसर की शॉर्ट सर्विस कमीशन में ही नियुक्ति होती थी, जिसमें 10 साल और अधिकतम 14 साल तक ही सर्विस दी जाती है. कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को अपने नजरिए में बदलाव लाना चाहिए.
इस फैसले से पहले तक आर्मी में कॉम्बैट रोल में महिलाएं नियुक्त नहीं की जाती थीं. अभी तक उन्हें शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में सपोर्ट रोल/स्टाफ रोल मिलते आए हैं. यानी जंग के मैदान के अलावा आर्मी के सपोर्ट में जो टुकड़ियां होती हैं, उसमें उन्हें नियुक्त किया जाता है. 14 साल बाद ही उन्हें रिटायर होना पड़ता है. यानी महिला ऑफिसर्स निचली रैंक्स पर ही रह जाती हैं, उन्हें ऊंची पोस्ट्स (जिन्हें कमांड पोस्ट कहा जाता है) तक पहुंचने का समय नहीं मिलता.
फीमेल ऑफिसरों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया कि परमानेंट कमीशन में उन्हें भी ऊंची पोस्ट पर नियुक्ति का मौका मिले. दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में ये निर्णय सुनाया था कि महिला ऑफिसर्स को भी परमानेंट कमीशन मिलना चाहिए. इसे चैलेन्ज किया था केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने महिला ऑफिसर्स के पक्ष में निर्णय दिया.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा, आर्मी में महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देना पड़ेगा