The Lallantop

पीरियड आने पर लड़की शरिया में वयस्क हो सकती है, POCSO कानून में नहींः दिल्ली हाईकोर्ट

आरोपी का दावा था कि लड़की 16 साल पांच महीने की है, शरिया के मुताबिक वयस्क है.

Advertisement
post-main-image
पॉक्सो ऐक्ट के तहत बच्चे मतलब 18 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति (फोटो - India Today)

दिल्ली हाई कोर्ट में एक पेटिशन दायर की गई. एक व्यक्ति पर रेप के आरोप थे. उसने कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि घटना के समय पीड़िता 16 साल की हो गई थी. और शरिया क़ानून के तहत अगर एक लड़की को पीरियड्स आ जाते हैं, तो वो नाबालिग नहीं मानी जाएगी. इस तर्क के आधार पर आरोपी ने मांग की कि उस पर लगे रेप के आरोप हटा दिए जाएं. उसने कहा कि उस पर से POCSO की धाराएं हटा दी जाएं.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement

हाई कोर्ट ने आरोपी की अर्जी ख़ॉारिज कर दी. कोर्ट ने कहा,

"पॉक्सो 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बना ऐक्ट है. POCSO का मकसद बच्चों को सुरक्षित करना और ये सुनिश्चित करना है कि उनका शोषण न हो. उनका बचपन और युवावस्था उत्पीड़न से सुरक्षित रहें."

Advertisement
POCSO केस क्या है?

केस की FIR के अनुसार, आरोपी और केस के पेटिशनर का नाम इमरान है. मामला इसी साल की पहली जनवरी का है. आरोपी पीड़िता के घर गया, उसे शादी के लिए प्रपोज़ करने. लड़की के माता-पिता इस शर्त पर सहमत हो गए कि शादी तभी होगी जब पीड़िता बारहवीं कक्षा पास कर लेगी.

FIR में ये बात दर्ज की गई कि पीड़िता के माता-पिता ने आरोपी इमरान को सगाई के समय एक लाख नकद, चांदी की चेन, घड़ी, मोबाइल, सोने की अंगूठी, कपड़े दिए. पीड़िता के पिता ने अपना घर बेच दिया और इमरान को 10 लाख रुपये देने के लिए क़र्ज ले लिया.

सगाई के बाद आरोपी इमरान ने 1 जनवरी, 2022 को पीड़िता का रेप किया. इसके बाद उसने शादी करने से इनकार कर दिया और उसके माता-पिता के साथ गाली-गलौज भी की. हालांकि, जब मामला कोर्ट में आया तो इमरान ने कहा कि उसने पीड़िता से शादी करने से कभी इनकार नहीं किया और अभी भी वो उससे शादी करने को तैयार है. दूसरी ओर पीड़िता के माता-पिता ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्हें अपनी बेटी की शादी आरोपी से कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

Advertisement

मामला गया ट्रायल कोर्ट में. IPC की धारा 376 और 506 और POCSO Act की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया गया. मामला अभी निचली अदालत में विचाराधीन ही था कि आरोपी ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी डाल दी. अर्जी में कहा कि घटना के दिन पीड़िता 16 साल 5 महीने की थी और शरिया क़ानून के हिसाब अब उसे नाबालिग नहीं कहा जा सकता.

जस्टिस जसमीत सिंह ने इसी याचिका को ख़ारिज कर दिया. पॉक्सो ऐक्ट के तहत बच्चे मतलब 18 साल से कम उम्र का कोई भी व्यक्ति.

16 साल से ऊपर की मुस्लिम लड़की अपने मन से शादी कर सकती है?

जून 2022 के दूसरे हफ़्ते में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि 16 साल से अधिक उम्र की मुस्लिम लड़की अपने पसंद का जीवनसाथी चुन सकती है. कोर्ट ने कहा कि कानून इस शादी में कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता है.

दरअसल, एक जोड़े की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि दोनों ने अपने परिवार की इच्छा के ख़िलाफ़ निकाह किया है. और, उन्हें परिवार की ओर से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं.  लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 16. इसके संदर्भ में कोर्ट ने ये फ़ैसला सुनाया था.

POCSO की स्पेशल कोर्ट ने बच्ची के रेप केस में दोषी को 25 दिन में सुनाई फांसी की सज़ा

Advertisement