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लड़की का आरोप- पटना के शेल्टर होम में करवाते थे गलत काम; जांच में क्या सामने आया?

जांच टीम ने लड़की को ही झगड़ालू बताया.

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बिहार में शेल्टर होम्स में होने वाले उत्पीड़न के खिलाफ़ आंदोलन की एक तस्वीर
पटना का गायघाट इलाका. यहां उत्तर रक्षा गृह में रहने वाली एक लड़की ने यौन शोषण की शिकायत की है. ये शेल्टर होम समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है. यहां से बचकर भागी एक लड़की का वीडियो वायरल है. जिसमें वो शेल्टर होम की सुप्रिटेंडेंट वंदना गुप्ता का नाम ले रही है. और कह रही है कि वापस जाने पर उसे मार दिया जाएगा. वीडियों में वो ये भी बता रही है कि उन्हें पुरुषों के साथ सोने पर मजबूर किया जाता है.
वायरल वीडियो जिसमें हाथ में ब्लेड के निशान दिखाते हुए लड़की बता रही है कि वंदना गुप्ता से तंग आकर उसने कई बार खुद को खत्म करने की कोशिश की थी. ये पूछे जाने पर कि क्या उसके साथ कभी जबरदस्ती की गई तो उसने हां में जवाब दिया.
लड़की ने बताया कि विरोध करने पर वंदना गुप्ता लड़कियों को मारती-पीटती थी. उन्हें नशे की दवाएं दी जाती थीं. लड़की ने ये भी बताया कि शेल्टर होम में कई लोग आते थे. जब लड़की से वापस शेल्टर होम जाने की बात कही गई तो उसने कहा कि वो वहां नहीं जाना चाहती है. वो वंदना गुप्ता के खिलाफ बोल रही है तो उसे मार दिया जाएगा. उसने एक लड़की का नाम लेते हुए कहा कि उसे मार दिया गया था. जांच रिपोर्ट में विक्टिम को बताया गया झगड़ालू दैनिक भास्कर की रिपोर्ट
के मुताबिक, वीडियो सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग ने इस मामले की जांच शुरू की. रिपोर्ट के मुताबिक जांच के लिए बनाई गई टीम ने लड़की को झगड़ालू बताते हुए शेल्टर होम की सुप्रिटेंडेंट को क्लीन चिट दे दी गई है. विभाग का दावा है मामले की बारीकी से जांच की गई है. कहा गया है कि शेल्टर होम और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से लड़की के दावों की पुष्टि नहीं हुई है. जांच टीम ने ये भी कहा है कि समय-समय पर हुई काउंसिलिंग से सामने आया है कि विक्टिम का व्यवहार स्थिर नहीं है. ये भी कहा गया है कि वो पहले भी लड़कियों को भड़काने, झगड़ा करने और शेल्टर होम में काम करने वालों को धमकाने में लिप्त रही है. केस ने दिलाई मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की याद Brajesh Thakur मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस का दोषी बृजेश ठाकुर.

मुंबई में मौजूद संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज़ यानी TISS ने साल 2017 में बिहार के बाल संरक्षण गृहों का ऑडिट किया. बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के निर्देश पर. 15 मार्च, 2018 को सोशल ऑडिट रिपोर्ट बिहार सरकार को सौंप दी गयी. 100 पन्नों की इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि मुजफ्फरपुर में चल रहे बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति में लड़कियों का यौन शोषण हो रहा है. इसे मीडिया में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस कहा गया. मुजफ्फरपुर के बाल संरक्षण के सहायक निदेशक दिवेश शर्मा के आवेदन पर महिला थाने में 31 मई 2018 को केस दर्ज किया गया. बालिका गृह सेवा संकल्प एवं विकास समिति के संचालक ब्रजेश ठाकुर और विनीत के साथ ही संस्था के कर्मचारियों और अधिकारियों पर यौन शोषण, आपराधिक षड्यंत्र और पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया गया.
केस दर्ज होने से ठीक एक दिन पहले 30 मई 2018 को ही समाज कल्याण विभाग के हस्तक्षेप के बाद बालिका गृह की 87 बच्चियों में से 44 बच्चियों को दूसरी जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया. राज्य सरकार ने 2 जून को मामले की जांच के लिए SIT बना दी. बालिका गृह में छापेमारी की गई. बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर और विनीत के साथ ही वहां की आठ महिलाओं को थाने ले जाकर पूछताछ की गयी.
बच्चियों की काउंसिलिंग में पुष्टि हुई कि न सिर्फ उनका यौन शोषण हुआ, बल्कि 29 बच्चियों का बलात्कार भी किया गया. इनमें से तीन बच्चियों के गर्भवती होने की बात भी सामने आई. एक बच्ची के रेप के बाद हत्या की बात भी सामने आई. कुल 49 बच्चियों के रेप और यौन शोषण का खुलासा हुआ. मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर हुई और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में इसकी सुनवाई ट्रांसफर हुई. कोर्ट ने 20 जनवरी, 2020 को ब्रजेश ठाकुर समेत अन्य 18 लोगों को दोषी पाया. इसमें से 11 फरवरी, 2020 को अदालत ने ब्रजेश ठाकुर और 11 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई. जनवरी, 2022 में बिहार सरकार ने सभी 49 पीड़िताओं को तीन से नौ लाख तक का मुआवजा दिया है.