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राघव चड्ढा! अपने घटिया बयान पर राखी सावंत से माफी मांगिये

नवजोत सिंह सिद्धू को राजनीति का राखी सावंत बताया था.

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राघव चड्ढा ने ट्वीट किया था कि नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति के राखी सावंत हैं.
राघव चड्ढा. विधायक. अध्यक्ष- दिल्ली जल बोर्ड. राष्ट्रीय प्रवक्ता- आम आदमी पार्टी. चार्टर्ड अकाउंटेंट. राजनीति में एक फ्रेश चेहरा. जिसे देखकर उम्मीद जगती है कि कुछ बदलाव होगा. कुछ विकास होगा. 2020 में जब वो रजिंदर नगर के विधायक चुने गए थे तो समाज के प्रगतिशील तबके को बड़ी उम्मीदें थीं. अब मुद्दों पर बात होगी, नए तरह की राजनीति देखने को मिलेगी. पर बीते डेढ़ साल में 'क्या से क्या हो गए देखते-देखते' वाला हाल हो गया है. शुरुआत में उन्होंने चंद वोटों के लिए धर्म की राजनीति करना शुरू किया. हमें शॉक लगा. पर फिर सोचा कि सब कर रहे हैं, खरबूजे को देख खरबूजा थोड़ा रंग तो बदलेगा ही. लेकिन अब तो उन्होंने जैसे ठान ही लिया है कि पक्के वाले वेरिफाइड खरबूजा, आई मीन नेता, बनकर रहेंगे. सारे दुर्गुण अपनाएंगे. तभी तो राखी सावंत को लेकर घटिया बात कहने में इन्हें ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई. क्या कहा राखी सावंत को लेकर? ये बताने के लिए कहानी में आएंगे नवजोत सिंह सिद्धू. पूर्व क्रिकेटर, एंटरटेनर और फिलहाल पंजाब कांग्रेस में नेता. नवजोत सिंह सिद्धू ने एक वीडियो पोस्ट किया. वीडियो में वो दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल से सवाल कर रहे थे. पूछ रहे थे कि किसान केंद्र सरकार के जिन तीन कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं, उनमें से एक था APMC को रद्द करके प्राइवेट मंडी खोलने वाला कानून. 1 दिसंबर को दिल्ली सरकार ने उस कानून को नोटिफाई किया था, बाद में सेशन बुलाकर ड्रामा किया, बिल फाड़ दिए गए. सिद्धू ने सवाल किया कि क्या बाद में दिल्ली सरकार ने उस कानून को डी-नोटिफाई किया? अगर किया है तो बात है. नहीं किया तो ये सब ड्रामा है, दिखावा है. इसे लेकर राघव चड्ढा ने सिद्धू को जवाब दिया. लिखा,
'पंजाब की राजनीति के राखी सावंत. नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ लगातार बकबक करने की वजह से कांग्रेस आला कमान ने डांट लगाई, तो वो अरविंद केजरीवाल के पीछे पड़ गए. कल तक इंतज़ार करें. वो पूरे जोश से कैप्टन पर आरोप लगाने में फिर से जुट जाएंगे.'
किसानों की बात हो रही है. एक नेता दूसरी पार्टी के नेता से सवाल पूछ रहा है. दूसरी पार्टी का नेता जवाब देने की बजाए एक महिला को बीच में घसीट रहा है. यहां एक बात साफ कर दें, हो सकता है कि आप या हम राखी सावंत के आइडिया ऑफ एंटरटेनमेंट से सहमत न हों. उनके फैन न हों, उन्हें फॉलो न करते हों. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आप अपनी पॉलिटिकल बयानबाजी में उनका नाम घसीटकर उनका अपमान करें. और जब राघव चड्ढा ने राखी सावंत का नाम खींच ही लिया है तो वो इन कुछ सवालों के जवाब दे दें. - सिद्धू को राजनीति की राखी सावंत कहकर वो क्या कहना चाह रहे हैं? कि सिद्धू एक व्यक्ति के पीछे पड़े हुए हैं, कल किसी और के पीछे पड़ेंगे और राखी सावंत भी ऐसा करती हैं? - अगर उनके कहने का मतलब ये है कि सिद्धू राजनीति के एंटरटेनर हैं तो इसके लिए उन्हें राखी सावंत का नाम लेने की ज़रूरत क्यों पड़ी? सिद्धू तो खुद भी एंटरटेनर रहे हैं. - क्या राघव चड्ढा मानते हैं कि राखी सावंत से तुलना करने पर नवजोत सिंह सिद्धू अपमानित महसूस करेंगे? क्योंकि राखी सावंत एक महिला हैं? शुरुआत में हमने दुर्गुण अपनाने वाली बात कही थी. थोड़ी गलती हो गई. दुर्गुण नेताओं के प्रोफेशन में नहीं, प्रोफेशनल्स में है. माने लोगों में. पर इतने लोगों में इतने ज्यादा दुर्गुण हैं, कि ऐसा आभास होता है कि प्रोफेशन में ही दिक्कत है. नेताओं के दुर्गुण वाली बात के लिए सॉरी. गलती पता चले तो माफी मांग लेनी चाहिए. राघव चड्ढा को भी अपने घटिया कमेंट के लिए राखी से माफी मांग लेनी चाहिए. वर्ना हम तो ये मान ही लेंगे कि स्त्री विरोध का दुर्गुण उन्होंने अपने सहयोगियों से नहीं कमाया, उनके अंदर ही था, बस सामने अब आया है.