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'योगीजी, कभी आपकी ओवैसी से मुलाक़ात हुई है?' जानें क्या जवाब मिला

'जमघट' पर योगी का लल्लनटॉप इंटरव्यू.

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योगी बोले- औवैसी से कोई व्यक्तिगत मुलाकात नहीं हुई.

देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले दी लल्लनटॉप का 'जमघट' लग चुका है. इसमें हम चर्चित नेताओं का इंटरव्यू कर उनसे आपसे जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछते हैं. और बात करते हैं चुनावी सियासी सरगर्मी की. जमघट की पहले कड़ी में लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath Lallantop Interview) का इंटरव्यू किया. इसमें रोजगार, विकास से लेकर धर्म और जाति के आधार पर बनने वाले चुनावी समीकरणों को लेकर कई सवाल पूछे गए.

इसी बीच एक सवाल उठा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी को लेकर. सौरभ द्विवेदी ने योगी आदित्यनाथ से पूछा,

आपके तमाम राजनीतिक विरोधी हैं. उन्हीं में से आपके एक विरोधी हैं असदुद्दीन ओवैसी. लोग कहते हैं कि जब अखिलेश यादव सीएम थे तो ओवैसी को यूपी में नहीं आने देते थे. अब मुख्यमंत्री योगी हैं तो वे हैदराबाद में तो खूब ललकारते हैं, लेकिन यूपी में भी खूब स्वागत करते हैं, क्योंकि उनको लगता है कि ओवैसी जितना सक्रिय होंगे बीजेपी को उतना ही फायदा होगा. कभी आपकी ओवैसी से मुलाकात हुई है, आप दोनों सांसद रहे हैं?

योगी आदित्यनाथ का जवाब

देखिए सांसद के रूप में या मुख्यमंत्री के रूप में मेरी उनसे कोई व्यक्तिगत मुलाकात नहीं हुई. सांसद रहते हुए ऐसे कभी आमने-सामने जरूर मुलाकात हुई होगी. एक व्यक्ति को कानून और संविधान के दायरे में रहते हुए अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है. लेकिन हां, इतना तय है कि कानून को हाथों में लेने की छूट किसी को नहीं देंगे.

योगी आदित्यनाथ ने ये तो बता दिया कि उनकी ओवैसी से व्यक्तिगत मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन वो ये सवाल टाल गए कि ओवैसी की सक्रियता से यूपी चुनाव में उनको और बीजेपी को फायदा मिल सकता है या नहीं. गौरतलब है कि आरएसएस और दक्षिणपंथी राजनीति के धुरविरोधी रहे असदुद्दीन ओवैसी को कई लोग बीजेपी का मददगार बताते रहे हैं. उनका तर्क रहा है कि ओवैसी अपनी सियासी जमीन से इतर कई जगहों पर इसलिए चुनाव लड़ते हैं ताकि बीजेपी विरोधियों के वोटरों को बांट सकें. इसीलिए ये लोग AIMIM को वोट कटवा भी कहते हैं, जिसका असल मकसद भगवा दल को फायदा पहुंचाना है.

हालांकि ओवैसी इस दावे को सिरे को खारिज करते हैं. वो कहते हैं कि अपना राजनीतिक दायरा बढ़ाने और मुसलमानों के प्रतिनिधि के तौर पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ती है. उनका दावा है कि यूपी में उनका संगठन पहले से मजबूत है और इस बार उनकी पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.